लोकतक झील : सौन्दर्य का अद्भूत खजाना, पानी में तैरते लघु द्वीप

0
687

प्राकृतिक खजानों में भी आश्चर्य की कमी नहीं। जी हां, प्रकृति ने जीवकोपार्जन से लेकर आनन्दित जीवन के लिए प्रचुर संसाधन उपलब्ध कराये। उत्तर-पूर्व भारत की ‘लोकतक झील” भी प्रकृति का एक सुन्दर खजाना है। शांत सौन्दर्य खासियत वाली यह झील देश-दुनिया में अपनी एक अलग ख्याति रखती है। देश-दुनिया को जहां एक ओर जल प्रदूूषण से दो-चार होना पड़ रहा है तो वहीं यह निराली झील अपनी जल निर्मलता के लिए भी पहचान रखती है।

मोती सा साफ व चमकदार जल देख निश्चय ही अठखेलियां करने का मन करे। ‘रहस्य एवं रसायन” का यह अजूबा दुनिया के लिए आश्चर्यचकित करने वाला है। कारण इस विशाल झील में झीलों की भी एक लम्बी श्रंखला दिखती है। लघु झीलों की इस श्रंखला को लघु द्वीप श्रंखला का भी नाम दिया जा सकता है। ‘लोकतक झील” को तैरती लघु झील श्रंखला कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।

स्थानीयता में इस झील श्रंखला को फुमदी के नाम से जाना-पहचाना जाता है। करीब चालीस वर्ग किलोमीटर दायरे में विस्तार रखने वाली ‘लोकतक झील” अपने आगोश में लघु झील श्रंखला अर्थात फुमदी की असंख्य इकाईयों को रखती है। विशेषज्ञों की मानें तो ‘फुमदी” स्वत: विकसित होने वाली श्रंखला है। खास यह है कि यह झील श्रंखला अनवरत विस्तार ले रही है। जैविक पदार्थों-मृदा-मिट्टी तथा पेड-पौधों का संयुक्त विकास ही फुमदी का स्वरुप धारण कर लेता है।

यह फुमदी इस विशाल झील में कहीं भी अपना आकार ग्रहण करने लगती है। फुमदी के आकार-प्रकार में कोई भी अनावश्यक छेडछाड़ संभव नहीं होती क्योंकि फुमदी आकार लेने के साथ ही मजबूत भी होती जाती है। जिससे तोडना या आकार में बदलाव करना आसान नहीं होता। विशेषज्ञों की मानें तो यह ‘रहस्य एवं रसायन” का करिश्मा है। हां, इतना अवश्य है कि आवश्यकता होने पर खास मौसम में फुमदी को जलाया जा सकता है।

अब इसे ‘रहस्य एवं रसायन” की खासियत ही माना जायेगा कि तोडफोड़ संभव नहीं लेकिन जलाना आसान होता है। फुमदी  पानी के निरन्तर सम्पर्क में रहने के बावजूद न गलती है आैर न मिटती या पिघलती है। यह फुमदी विशाल झील में यत्र-तत्र-सर्वत्र कहीं भी विचरण करते दिख जायेगी। कारण भूखण्ड अर्थात द्वीप के छोटे-छोटे टुकड़े तैरते रहते हैं। जल प्रवाह के साथ ही फुमदी भी तैरती है।

विशेषज्ञों की मानें तो फुमदियों की यह श्रंखला केवल उत्तर-पूर्व भारत के इम्फाल में ही दिखेंगी। मणिपुर की राजधानी इम्फाल से करीब चालीस किलोमीटर दूर यह झील स्थित है। इस झील में फुमदियों का अवलोकन एक विशेष एवं अनोखा एहसास है। एहसास का यह अनुभव केवल इम्फाल में ही मिलेगा। देश का यह एक पर्यटन स्थल भी है। फुमदी पर लघु काटेज की व्यवस्था भी होती है। इनमें पर्यटक विश्राम एवं सौन्दर्य का आनन्द ले सकते हैं।

दुनिया का यह सबसे बड़ा एवं लम्बा तैरता पार्क माना जाता है। स्थानीयता में इसे किबुल लामिआयो नेशनल पार्क के नाम से भी जाना-जाता है। मणिपुर के विकास में भी इस झील के जल का योगदान माना जाता है। झील के जल से विद्युत परियोजनाएं भी संचालित होती हैं तो वहीं पर्यटन को भी स्थान मिलता है।

जल विविधिता का भी यह झील अद्भूत संगम है क्योंकि यहां जल पौध की करीब ढाई सौ प्रजातियां एवं पक्षियों की सौ से अधिक प्रजातियां पुष्पित एवं पल्लवित होती हैं। खास बात यह है कि वन्य जीवन की सवा चार सौ से भी अधिक प्रजातियां इस क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करती हैं। भौंकने वाले हिरण भी इसी क्षेत्र में पाये जाते हैं।