जेएंडके : पंजाबी व गोजरी को भी राजभाषा बनाने की पुरजोर मांग

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जम्मू। जम्मू-कश्मीर में उर्दू, अंग्रेजी, हिन्दी, कश्मीरी तथा डोगरी भाषा को राजभाषा बनाने की मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद जहां इन भाषाओं से जुड़े लोग खुशामदीद कह रहे हैं। वहीं पंजाबी व गोजरी भाषा को इसमें शामिल न किए जाने को लेकर सरकार की आलोचना भी की जा रही है। पंजाबी व गोजरी समुदाय के लोगों ने केंद्र सरकार से पुरजोर मांग की है कि पंजाबी व गोजरी को भी राजभाषा का दर्जा मिले।

पांच राजभाषा वाला जम्मू-कश्मीर पहला प्रदेश होगा। हालांकि अभी इन पांच राजभाषाओं को केंद्र की कैबिनेट ने मंजूरी दी है। अभी इस बावत संसद में विधेयक पेश किया जाना है। केंद्र सरकार के पांच भाषाओं को अधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने की खबर के बाद जम्मू में डोगरी भाषा से जुड़े संस्थाओं व लोगों ने केंद्र सरकार की जमकर तारीफ की है।

डोगरी संस्था के प्रो. ललित मगोत्रा, टीम जम्मू के जोरावर सिंह तथा संघ की जम्मू-कश्मीर भारतीय इतिहास संकलन समिति की सह संयोजक डा. नीलम सरीन समेत बड़ी संख्या में लोगों ने मोदी सरकार का आभार व्यक्त किया है। वहीं पंजाबी को राजभाषा का दर्जा नहीं मिलने पर जम्मू-कश्मीर गुरूद्वारा प्रबंधक बोर्ड के चेयरमैन त्रिलोचन सिंह वजीर के नेतृत्व में पंजाबी समुदाय के लोगों ने एक विरोध रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने पंजाबी को राजभाषा में शामिल करने की पूरजोर मांग की।