भारत को क्रूड निर्यात में पिट गए इराक, सऊदी, रूस टाॅप पर, आयात खर्च 13लाख करोड़…. भू-राजनीतिक उलटफेर के परिणामस्वरूप भारत के क्रूड ऑयल आयात में रूस टाॅप पर पहुंच गया है, यूक्रेन युद्ध के चलते भारत को सस्ती कीमत पर क्रूड की सप्लाई मिलने का फायदा तो मिला पर दूसरी तरफ भारत के क्रूड आयात में अकेले ओपेक का रुतबा ही कमजोर नहीं हुआ बल्कि इराक और सऊदी का दो दशकों से कायम दबदबा एक झटके में ढीला पड़ गया। ओपेक यानी ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज। यह पेट्रोलियम उत्पादन और निर्यात करने वाले चौदह देशों का संगठन है। विश्व के समग्र क्रूड उत्पादन में ओपेक की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत के आसपास रहती है।
पहले भारत की क्रूड ऑयल की जरूरत का जायजा लेते हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय की पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनलिसिस सेल के आंकड़ों के अनुसार भारत में तेईस पेट्रोलियम रिफाइनरियां हैं, इनमें सालाना 24 करोड़ 93 लाख टन क्रूड रिफाइन करने की क्षमता है। भारत को 21-22 में अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत क्रूड आयात करना पड़ा लेकिन 22_23 में आयात निर्भरता 87 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई, क्रूड का घरेलू उत्पादन बढ़ने के बजाए 1.7 प्रतिशत घटकर 22_23 में 2.92करोड़ टन रह गया। दूसरी तरफ पेट्रोलियम की घरेलू खपत एक साल के अंदर 10 प्रतिशत बढ़कर 22_23 में 22 करोड़ 23 लाख टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई।
परिणामस्वरूप भारत के पेट्रोलियम आयात खर्च में 22_23में 31प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई , देश को 21_22में 11हजार 920 करोड़ डॉलर की तुलना में 22_23में 15 हजार 830 (करीब 13 लाख करोड़ रुपए) करोड़ डॉलर का भुगतान करना पड़ा। अपना देश विश्व में क्रूड ऑयल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। भारतीय रिफाइनरी उद्योग को प्रतिदिन औसतन 49 लाख बैरल क्रूड चाहिए ही चाहिए। एक बैरल में 158.98 लीटर होते हैं। देश में मोटर वाहनों की तेजी से बढ़ती संख्या से इनमें लगने वाले ईंधनडीजल और पेट्रोल की खपत भी उसी रफ्तार से बढ़ती जा रही है।
भारत के क्रूड आयात में ओपेक के महत्व को इसी तथ्य से समझा जा सकता है पंद्रह साल पहले 2008 में हमारे सालाना क्रूड आयात में ओपेक की हिस्सेदारी 87 प्रतिशत हुआ करती थी। भू-राजनीतिक स्थितियों में बदलाव से आहिस्ता-आहिस्ता ओपेक की भागीदारी कम होती गई और 2021 में 70 प्रतिशत रह गई। सऊदी अरब 2017 तक भारत को क्रूड का टाॅप निर्यातक रहा। लेकिन 2021 में इसे पछाड़ कर इराक शीर्ष पर आ गया। रूस ने पिछले साल यूक्रेन पर धावा बोल दिया और इस घटना ने दुनिया के कई समीकरणों में जबरदस्त उलटफेर कर दिए। रूस पर प्रतिबंध लगा दिए गए, भारत पर रूस से क्रूड का आयात बंद करने को काफी दबाव भी पड़ा। रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी बुरी तरह से प्रभावित है।
यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न स्थिति के कारण मजबूर रूस ने रियायती मूल्यों पर भारत को क्रूड ऑयल की सप्लाई न सिर्फ जारी रखी बल्कि अच्छी-खासी बढ़ोतरी कर दी। लंदन स्थित एनर्जी कार्गो ट्रैकर -वोर्टेक्स के अनुसार रूस ने अक्टूबर 2022 से भारत को क्रूड ऑयल की सप्लाई बढ़ाई, तभी से वृद्धि का सिलसिला चल रहा है और रूस टाॅप निर्यातक है। अक्टूबर 2022 में भारत ने रूस से प्रतिदिन 9.55 लाख बैरल, नवंबर में 9.09 लाख बैरल, दिसंबर में 12.82 लाख बैरल से बढ़कर जनवरी 2023 में 14 लाख बैरल और मार्च में रिकॉर्ड तोड़ 16 लाख बैरल क्रूड का आयात होने से रूस सबसे बड़ा निर्यातक बन गया।
प्रणतेश बाजपेयी