ई वाहनों का वैश्विक हब बन रहा भारत

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ओला के मेगाटेक प्रोजेक्ट में जून से होगा उत्पादन

ई वाहनों का सरताज बनेगा भारत

इलेक्ट्रिक वाहनों का भारतीय बाजार शैशवकाल से गुजर रहा है। देश में ई-बाइकों की सालाना बिक्री का आकड़ा तीस हजारी भी नहीं हो पाया है, हालांकि दो दर्जन कंपनियां इनके उत्पादन में लगी हैं।टेकनाॅलाॅजी पर आधारित कैब सेवा देने वाले ओला ग्रुप के ही एक प्रमोटर भावीष बंगलुरू से करीब ३५ किलोमीटर फासले पर तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिला के होसुर में 500 एकड़ पर फैले क्षेत्र को ई- वाहनों का ऐसा इंटीग्रेटेड हब बना रहे हैं। जिसमें टेक महारथी सीमेंस की अद्यतन तकनीकी डिज़ाइन, 3-5 हजार रोबॅट और 10 हजार कर्मियों की मदद से उत्पादन किया जाएगा।

ताजा जानकारी मिली है कि परिसर में रात- दिन चल रहे निर्माण कार्य की टेकमाॅनीटरिंग खुद भावीष कर रहे हैं। टेक्नाॅलॉजी के मामले में अद्वितीय और विश्व का यह वृहत्तम ई-वाहन परिसर 2022-23 तक 1 करोड़ वाहन उत्पादन क्षमता से लैस होगा। चरणबद्ध ढंग से इसमें बाइक और थ्रीव्हीलर से लेकर ई- कारों का उत्पादन-निर्यात करने की योजना है।

इलेक्ट्रिक स्कूटरों का उत्पादन इसी साल जून-जुलाई से और इनका निर्यात भी इस वर्ष के अंत तक शुरू कर दिया जाएगा। परिसर साॅफ्टवेयर से लेकर मोटरों, बैट्रियों, चार्जरों, मोटर कंट्रोलर और वाहन कंप्यूटरों तक के उत्पादन में पूर्ण आत्मनिर्भर होगा। खुद की सौर ऊर्जा से परिसर में बिजली की २० फीसद जरूरत पूरी करने की योजना भी है।

मुंबई आईआईटियन भावीष अग्रवाल और अंकित भाटी ने मिलकर ओला कैब्स की नींव 2010 ,3 दिसंबर को मुंबई में डाली थी। भारत में श्रीगणेश के बाद अगला पड़ाव जनवरी 2018 में आस्ट्रेलिया तथा सितंबर में ही न्यूज़ीलैंड और मार्च 2019 में यूके में ओला ने एंट्री ली। भावीष ने अपने 92.5 फीसद स्वामित्व में 2017 में ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रा. लि. की स्थापना की, इसका मुख्यालय बंगलुरू में है।

ओला इलेक्ट्रिक के बैनर तले ही ई-वाहन परियोजना लगाई जा रही है। तेज गति से क्रियान्वित की जाने वाली इस परियोजना के पूरा होने पर प्रति वर्ष इसमें कुल 2 करोड़ ई- वाहन बनाने का लक्ष्य लेकर चला जा रहा है। और तब विश्व में उत्पादित कुल ई – स्कूटरों की संख्या में ओला की भागीदारी 15 फीसद पहुंचाने की अति महत्वाकांक्षी योजना है।

ओला ग्रुप कंपनी ओला फ्लीट टेक्नाॅलॉजीज़ के पास खुद का एक लाख कारों का बेड़ा है। जिससे यह लीज़ पर कारें देकर आय अर्जित करती है। ओला शुरुआती दौर में अपने कैब ड्राइवरों को 25 फीसद तक कमीशन देती थी, जिसे घटाते- घटाते अब 6 फीसद पर ले आई है। जाहिर है ओला को कैब बिज़नेस से मुनाफा होने लगा है। वैसे ओला अब तक 25 राउंड में 44 बड़े निवेशकों से 28 हजार करोड़ रु एकत्र कर चुकी है।

होसुर परियोजना के शुरुआती चरण में 2500-2600 करोड़ रु का निवेश होने का अनुमान है। ओला ने ई- बाइकों के उत्पादन में नवीनतम टेक्नाॅलॉजी का इस्तेमाल करने के मकसद से पिछले वर्ष ऐम्स्टर्डम स्थित टेक स्टार्टअप ‘इटरगो बी वी’ का अधिग्रहण भी कर लिया था। परिसर में वाहनों के स्टोरेज से लेकर डिलीवरी तक में अतिआधुनिक टेक प्राॅसेस को अपनाया जाएगा। इसका पेटेंट भी भावीष ने करा लिया है।

पुख्ता जानकारी है कि ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी स्कूटरों, थ्रीव्हीलरों और कारों के बिक्री मूल्यों को भारतीय ग्राहकों की सामर्थ्य (एफोर्डेबिलिटी) को भली-भांति ध्यान में रखकर ही निर्धारित करेगी। जहां तक देशी ई- वाहन बाजार का संबंध है सोसायटी आॅफ मैन्युफैक्चरर्स आॅफ इलेक्ट्रिक व्हेकिल्स के आकड़े बताते हैं- 2020 कलेंडर वर्ष में ई- दोपहिया वाहनों की सकल बिक्री 2019 के मुकाबले 5.4 फीसद घटकर (कारण – कोविड) 25735 रह गई, 2019 में बिक्री 27224 दर्ज की गई थी।

कोविड की वजह से 2020 अप्रैल में मात्र 68 और मई में 343 ई-दोपहिया वाहन बिके। हीरो इलेक्ट्रिक इन वाहनों की बिक्री में पहले स्थान पर बनी हुई है जबकि 2019 की तुलना में 2020 में इसकी बिक्री 28.17 फीसद घटकर 8111 वाहन पर सिमट गई। ओकिनावा आॅटोटेक की बिक्री 50.46 फीसद घटकर 5564 रह गई। एम्पियर इलेक्ट्रिक की 269 फीसद की वृद्धि के साथ 2020 में 4422 रही, 71 फीसद देशी बाजार इन तीन कंपनियों के हाथ में है।

एथर एनर्जी ने उन्नत तकनीक पर कई नए फीचरों से लैस 2972 वाहन, रिवोल्ट मोटर्स ने 2055 और बेनलिंग ने 1067 वाहन बेचे। अन्य दो कंपनियों का बिक्री आकड़ा एक हजार के काफी नीचे रहा और आठ कंपनियां का आकड़ा तो 100 पर भी नहीं पहुंच सका। देश में 250 वाॅट से कम और 25 किलोमीटर/घंटा से कम स्पीड वाले ई-वाहनों की बिक्री सबसे ज्यादा (90फीसद) होती है क्योंकि इनके लिए ड्राइविंग लाइसेंस न ही रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता है। सर्वाधिक बिक्री 48 वोल्ट बैट्री के वाहनों की है।

भारत मे दोपहिया ई- वाहनों की कुल संख्या पांच लाख से कुछ अधिक है। पड़ोसी चीन में 2020 के पहले चार महीनों में 6.4 लाख ई-दोपहिया वाहनों का उत्पादन किया गया। चीन में ई-दोपहिया और ई- साइकलों की कुल संख्या 21 करोड़ पहुंच चुकी है। भारत सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन 2013 में लाॅंच किया था। सरकार प्रोत्साहन सब्सिडी दे रही है पर उद्योग बदले हालात में कुछ और सपोर्ट सरकार से चाहता है।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी