डाइटिंग करें पर सेहत को लेकर सावधान भी रहें

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इकहरी स्लिम शरीर और सुंदर आकर्षक त्वचा के लिए डाइटिंग और यह खाना है यह नहीं खाना जैसा सोच आज हर युवा के मन मस्तिष्क में रच बस गया है। डॉक्टर रजनी पोरवाल देश की जानी मानी चिकित्सक है और श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर की मुख्य चिकित्सक है। उन्होंने इस विषय पर बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी है।

शक ना पाले : कुछ चिकित्सकों का सामान्य बजन वाले रोगियों के लिए भी निर्देश रहता है कि वजन कम करें। वही कुछ उच्च शिक्षित और संभ्रांत वर्ग के परिवार की लड़के लड़कियों का थोड़ा सा भी पेट निकला या अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के आदर्शों से थोड़ा बहुत भी शरीर का वजन बढ़ता है तो उनके माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगती हैं। थोड़ा बहुत बजन में परिवर्तन मौसम आहार और दिनचर्या पर निर्भर करता है। इसलिए इसी चिंता का विषय नहीं बनाएं।

खतरनाक है अनावश्यक डाइटिंग : युवावस्था में शरीर को अपनी जैव रासायनिक क्रियाओं को चलाने के लिए बड़ी मात्रा में मिनरल्स विटामिंस और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ऐसे समय अगर वजन को कम करने के लिए क्रैश डाइटिंग या जबरदस्त उपवास किया जाता है तो इसका शरीर के आंतरिक अंगों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और शरीर के जैव रासायनिक क्रियाओं को सुव्यवस्थित रुप से संचालित करने के लिए आवश्यक खनिज लवण और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। जिससे शरीर की रक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और इम्यूनिटी कम होने से विभिन्न प्रकार की रोग और समस्याएं घेर लेते हैं। वही चेहरे का लावण्य और आकर्षण कम हो जाता है जो युवाओं के लिए अच्छा नहीं है। ढलती उम्र जैसी त्वचा ढीली हो जाती है… मांसपेशियां लटक जाते हैं… इसलिए चिकित्सक के परामर्श के बगैर स्वयं डाइटिंग उपवास इत्यादि ना करें। किसी उच्च शिक्षित योगाचार्य या नेचुरोपैथ के मार्गदर्शन में उपवास करने से हित होगा।

घातक है अत्यधिक परहेज : युवाओं में दूध की मलाई को छानकर पीना ताजी फल सूखे मेवे हरी सब्जियां से अरुचि तो अच्छी सेहत के लिए बहुत खराब है ही लेकिन आज के युग में एक नया सोच पैदा हो गया है कि हम ना तो मीठा खाएंगे ना ही नमकीन लेंगे चाय भी बिना गुड़ या चीनी की बिना दूध की पीना युवा वर्ग का शौक बन गया है। यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है। अगर हमें कोई बीमारी नहीं है तो हमें अत्यधिक केवल सावधानी बस अत्यधिक परहेज नहीं करना चाहिए। साथ ही उच्च सोसाइटी के नाम पर जंक फूड फास्ट फूड कोल्ड ड्रिंक साफ्ट ड्रिंक विभिन्न प्रकार के नशा इत्यादि से बचना बुद्धिमानी की बात है।

ध्यान रखना है यह भी : दिन में भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए। बोतलबंद पानी के स्थान पर स्वच्छ और ताजा जल अच्छी सेहत के लिए किसी महा औषधि से कम नहीं है। हमें अनावश्यक रूप से शौकियां औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए और चिकित्सक से परामर्श के बाद ही किसी भी औषधि का सेवन हितकारी होता है लेकिन अनेकों लोग विटामिन की गोलियां कैल्शियम की गोलियां स्वास्थवर्धक विभिन्न प्रकार के पाउडर, दर्द की दवाइयां, नींद की दवाइयां अनेकों अनेक दवाइयों का सेवन अपनी मनमर्जी से करते हैं जो उचित नहीं है। हमें पौष्टिकता को ध्यान में रखते हुए हरी सब्जियों सूप ताजे फलों ड्राइफ्रूट्स अंकुरित अनाज दूध दही मट्ठा जैसे प्राकृतिक तत्वों की प्राकृतिक आहार पर ध्यान देकर अपने शरीर की पौष्टिक तत्वों की पूर्ति करने का उपाय करना चाहिए।

खतरनाक है यह भी : जब हमें खुलकर भूख लगी हो तब हम अनावश्यक रूप से डाइटिंग का बहाना लेकर भूखे रहे। यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है। यदि हम वजन कम करने के लिए परहेज कर रहे हैं उपवास कर रहे हैं। तब भी तेज भूख लगने पर हमें कम कैलोरी का आहार जैसे खीरा ककड़ी पपीता खरबूजा तरबूज मूली गाजर टमाटर सलाद जैसी कच्चे आहार को भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। क्योंकि भूख लगने पर ना खाना प्राकृतिक चिकित्सा की दृष्टि से सेहत के लिए खराब है। वही जब भूख ना लगा हो तो अनावश्यक रूप से ठोस ठोस कर खाना भी गलत है।

बचें यह जहर है : अपने आहार में मैदा चीनी और नमक का यथासंभव कम उपयोग करना चाहिए। रिफाइंड ऑयल सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के केमिकल्स कलर्स और परफ्यूम डालकर बनाई गई जंग फूड फास्ट फूड सेहत के लिए विशेषकर पाचन तंत्र लिवर पेनक्रियाज गॉलब्लेडर आतो के लिए अच्छे नहीं होते। डिब्बाबंद आहार जिसमें भारी मात्रा में पेस्टिसाइड्स पड़े होते हैं इन से भी बचें।