लखनऊ। आजादी के पहले और बाद में जनजातीय समाज समेत सभी दबे-कुचले लोगों के लिए संसाधनों को पहुंचाने का काम किया जा सकता था, लेकिन यह नहीं हो सका। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शासक नहीं सेवक बनकर इस समाज के लिए सभी संसाधनों को पहुंचाने का काम किया। यही तो आजादी है इसी स्वाधीनता का सपना स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा ने देखा था। यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राष्ट्रनायक भगवान बिरसा मुंडा जी की 146वीं जयंती पर उत्सव महोत्सव कार्यक्रम में कही।
सोमवार को वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले जनजातीय समाज का कोई पुरसाहाल तक नहीं था। यह समाज मुख्यधारा से ही नहीं जुड़ा था। इन्हे न तो सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ मिल रहा था और न ही इन्हे सरकार चुनने का अधिकार था। लेकिन समय बदला और हमने प्रदेश के 54 जनजातीय बस्तियों को राजस्व गांवों की मान्यता दी। अभियान के तहत हर जनजातीय लोगों को जमीन का पट्टा दिया। यही नहीं राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड की भी व्यवस्था दी गई है। इसके साथ ही उनके रोजगार की भी व्यवस्था की जा रही है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार जनजातीय समाज को सभी संसाधन पहुंचाने की व्यवस्था करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 100 साल पहले प्लेग जैसी महामारी आई थी। जिसमें लगभग ढाई करोड़ लोगों की मौत हुई थी। इसमें सबसे ज्यादा मौते भुखमरी से हुईं। ठीक सौ साल बाद जब कोरोना जैसी महामारी आती है तो स्वाधीन भारत में किसी महामारी का सामना कैसे किया जाता है यह आपने देखा होगा। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री की प्रेरणा से देशभर की 130 करोड़ जनता में से 100 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि वहीं प्रदेश में भी 14 करोड़ की जनता को वैक्सीन दी जा चुकी है। प्रधानमत्री देश के शासक नहीं बल्कि सेवक के रूप में काम करते हैं। यही तो स्वाधीन भारत है यही महानता होती है। इसी स्वाधीनता के लिए राष्ट्रनायक बिरसा मुंडा ने अपना बलिदान दिया था। यही कहा था बिरसा मुंडा ने कि देश का विकास तभी होगा जब हर तबके को प्राथमिकता दी जाएगी। यही प्रयास हमारे प्रधानमत्री कर रहे हैं। शौचालय, आवास, रसोई गैस, खादयन्न योजना जैसी व्यवस्था को सभी के लिए किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करके अमृत महोत्सव में शामिल किया गया। प्रधानमंत्री का यह फैसला जनजातीय समाज को गौरवान्वित करने वाला है।