कानपुर l कानपुर में पान मसाला के सैकड़ों ब्रांड निकलते हैं लेकिन एक भी ब्रांड ऐसा नहीं है जो परीक्षण में मानक के अनुरूप निकला हो या शुद्धता की गारंटी दे पाया हो। अगर बात करें सुपारी, कत्था, लोंग, इलाइची तो सभी का खतरनाक केमिकल एसेंस प्रयोग किया जा रहा है। सबसे खतरनाक गेमबेयर का प्रयोग किया जाना है। चमड़ा रंगने में इस्तेमाल टैनिंन का प्रयोग प्रमुखता से किया जा रहा है। पान मसाला खाने वाला लगभग 80% कुपोषण का शिकार हो जाता है। धीरे-धीरे उसको पता ही नहीं चलता की मुंह की स्वास्थ्यवर्धक लार कब निकलकर सबम्यूकस फाइब्रोसिस प्रथम अवस्था का कैंसर का रोगी बना देती है।
उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में राष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी नीतू शर्मा के सहयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जन्म दिवस के परिप्रेक्ष्य में जनकल्याण और स्वराज अभियान के अंतर्गत मोदी जी के मन की बात को साकार करने के लिए नशा हटाओ कुपोषण मिटाओ कोरोना भगाओ बचपन बचाओ अभियान के तहत यशोदा नगर में आयोजित ई-संगोष्ठी शीर्षक पान मसाला मौत मसाला पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही।
ज्योति बाबा ने कहा कि सेकंड और थर्ड स्टेज के कैंसर के रोगी का ठीक होने का प्रतिशत बहुत ही कम है। केवल इलाज के नाम पर रोगी अपने साथ परिवार का आर्थिक, शारीरिक शोषण ही करवाते हैं। पान मसाला में जो तंबाकू मिलाई जा रही है, उसमें शरीर को लती बनाने वाली निकोटिन होती है। निकोटिन खतरनाक ड्रग्स धीरे-धीरे पंगु बना देती है, इसीलिए पान मसाला या किसी भी प्रकार का मुख शुद्ध मसाला से दूरी बनाना अपने व बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अपरिहार्य है।