24 करोड़ लोगों का बिग बजट….. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के नये ‘बिग’ बजट 2023-24 में कुछ अच्छे कदम उठाए गए हैं। योगी जी राज्य को 2027 तक वन ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था करने का अतिमहत्वाकांक्षी लक्ष्य साध कर चल रहे हैं। इसे हासिल करने की कड़ी के तौर पर 22 फरवरी को प्रस्तुत किए गए बजट में एक खेल विश्वविद्यालय, 14 मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना के लिए 2525 करोड़ रुपए, 60 करोड़ रुपए से ‘टेक स्टार्टअप योजना’, स्टूडेंट्स को स्मार्टफोन/ टैबलेट उपलब्ध कराने को 3600 करोड़ रुपए की व्यवस्था, एक फार्मा पार्क और चार एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी में ‘एग्रि स्टार्टअप’ योजना शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए सिर्फ 100 करोड़ रुपए ख़र्च का प्रावधान किया गया है। पर्यटन बोर्ड का गठन करने का निर्णय किया गया है ताकि पर्यटन क्षेत्र से आय बढ़ाई जा सके। बुंदेलखंड में ग्रीन एनर्जी काॅरिडाॅर निर्माण हेतु अगले तीन वर्षों में 1554 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पीएसी की 3 महिला बटालियनथ का गठन किया जाएगा। अतिगरीब विधवाओं के लिए 4032 करोड़ रुपए का व्यय प्रस्ताव है।
ग्रामीण महिला सशक्तीकरण के लिए 83 करोड़ रुपए का व्यय प्रस्तावित है। योगी सरकार ने हाइवे, सड़कों और पुलों समेत समग्र इंफ्रास्ट्रक्चर पर सर्वाधिक फोकस किया है ताकि कनेक्टिविटी बेहतर करके औद्योगिक विकास और इसके साथ ही रोजगार की गति में वृद्धि की जा सके। इसी क्रम में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने, फोरेंसिक व साइबर लैब्स की स्थापना करने की योजना है।
नैमिषारण्य (सीतापुर) में वेदशिक्षा केंद्र का निर्माण किया जाएगा। धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों की इंटरकनेक्टिविटी पर जोर दिया जा रहा है। पर्यटन स्थलों के विकास को 2324 के लिए 300 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है। लखनऊ में यू पी टूरिज्म बोर्ड का गठन किया जाएगा। 2023-24 का बजट 6.90 लाख करोड़ रुपए (2223 का 6.15 लाख करोड़ रुपए) है, इसमें 5.70 लाख करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियां और 11247 करोड़ रुपए की पूंजीगत प्राप्तियों की व्यवस्था प्रस्तावित है।
वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने 2022-23 में 16.8 फीसद की तुलना में वित्तवर्ष 2023-24 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 19 फीसद की विकास दर रहने के आधार पर यूपी की अर्थव्यवस्था 20.48 लाख करोड़ रुपए की होने का अनुमान लगाया। 75 जिलों में 24 करोड़ बसी आबादी वाले, सबसे बड़े कहे जाने वाले अपने राज्य की वित्तीय नब्ज को टटोलते हैं। राज्य का राजकोषीय घाटा बेकाबू रफ्तार से बढ़ता हुआ चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है, यह 2022-23 में 81177 करोड़ से बढ़कर 23-24 में 89000 हजार करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंचने के आसार हैं।
आमदनी कमती और बेकाबू अनियोजित खर्च। सरकार पर कर्ज़ का बोझ साल दर साल तेजी से बढ़ ही रहा है, 2017-18 में राज्य सरकार पर 4.45 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ था, 20.21 में 5.65 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले 22-23 में 6 लाख करोड़ के स्तर को पार कर गया, मार्च 2024 तक कुल कर्ज 7 लाख करोड़ के अल्ले पल्ले पहुंचना संभव दिखता है।अपने बिग स्टेट का प्रति व्यक्ति औसतन 26000 रुपए से भी ज्यादा क़र्ज़ तले है जो कि 2017-18 में 18476 रुपए था।
इसका परिणाम यह हुआ कि सरकार के सकल व्यय का तकरीबन आठ फीसद सिर्फ ऋण ब्याज की अदायगी में निकल जाता है। अकेले 16 लाख सरकारी कर्मचारियों और 12 लाख पेंशनर्स पर 25 फीसद और वतन सहायता प्राप्त संस्थाओं पर 12 फीसद राशि खर्च हो जाती है। फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी ऐंड बजट मनेजमेंट (एफ आर बी एम) ऐक्ट कमेटी के मानदंड के अनुसार यह राजकोषीय घाटा राज्य जी डीपी के 20 फीसद के स्तर पर रहना चाहिए जबकि उत्तर प्रदेश में इसके 2022-23 में 32.5 फीसद पहुंचने का अनुमान है। कर्ज के मकड़जाल से निकलने के लिए सिर्फ और सिर्फ ठोस रणनीति तैयार करने और उसका सख्ती से समयबद्ध क्रियान्वयन करने के अलावा दूसरा विकल्प दिखता नहीं।
प्रणतेश बाजपेयी