लखनऊ। कहते हैं कि केंद्रीय सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यानी यूपी की जनता जिसको चाहती है उसको केंद्रीय सत्ता मिल जाती है। इसीलिए दोनों प्रमुख गठबंधन एनडीए और इंडिया इसी कोशिश में लगे हैं कि वे यूपी में बहुमत के साथ जीतें। भाजपा को जहां अपना पुराना रेकॉर्ड बचाकर आगे बढ़ने की चिंता है वहीं सपा और कांग्रेस को चिंता है कि कैसे वे भाजपा को कम से कम सीटों पर रोकें। अभी तक यूपी में आधे से अधिक सीटों पर चुनाव हो गए हैं। और दोनों ही गठबंधन दावा कर रहे हैं कि उनकी जीत सुनिश्चित है। अब तक के मतदान के दौरान मुद्दे भी बदलते रहे।
शुरुआती दौर में मुद्दा राम मंदिर और आरक्षण का था। आगे चलकर बृजभूषण शरण सिंह, ठाकुरों की नाराजगी, सैम पित्रोदा का बयान, विरासत टैक्स, कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुसलमानों का तुष्टिकरण, मुफ्त राशन वितरण, संविधान की रक्षा आदि मुद्दे रहे। चौथा चरण आते-आते ये मुद्दे भी गौण हो गए। अब फिर राम मंदिर को बचाने या उस पर कथित खतरे की चुनावी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सपा नेता रामगोपाल यादव ने यह कह कर नये विवाद को जन्म दे दिया है कि राम मंदिर अधूरा बना हुआ है, बेकार है, इसका कोई मतलब नहीं है। भाजपा और एनडीए इसको लेकर हमलावर हैं। उनका आरोप है कि इंडी गठबंधन राम मंदिर का विरोधी है और उनके राज में सुरक्षित नहीं रहेगा। अब तो लगता है कि आने वाले बाकी चरणों में राम मंदिर का अस्तित्व और मुफ्त राशन वितरण ही प्रमुख मुद्दे रहेंगे।
इसके अलावा भाजपा ने मंडल और कमंडल को राजनीतिक रूप से इस कदर मिक्स कर दिया है कि इंडी गठबंधन को इसकी काट खोजना मुश्किल हो गया है। इस समय लगभग सभी पिछड़ी और दलित जातियां राम मंदिर बनने के बाद मंडल-कमंडल भूल कर रामधुन गाने में लगी हैं। राम मंदिर बन जाने के बाद तो लगता है कि माहौल ही बदल गया है। 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन वितरण, शौचालय, मुफ्त गैस कनेक्शन, मुफ्त आवास ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि पिछड़े और दलित मोदी और भाजपा का गुणगान करने में लगे हैं। किसानों को मिल रही सम्मान राशि भी कमाल दिखा रही है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना और भारत की विदेशों में बढ़ती साख ने भी लोगों को प्रभावित किया है।
विपक्ष भाजपा के 400 पार के नारे को भी भोथरा करने में और भाजपा विरोधी नैरेटिव गढ़ने में लगा रहा। किंतु इसमें उसको सफलता मिलती नहीं दिख रही है। विपक्ष का आरोप था कि ऐसा होने पर भाजपा संविधान बदलकर चुनाव और आरक्षण की व्यवस्था खत्म कर देगी। विपक्ष ने इस संदर्भ में फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह के बयान को कोट किया गया। इस नैरेटिव को तोड़ने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत, पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह जैसे दिग्गजों को लगना पड़ा। बाद में लल्लू सिंह को अपने बयान पर सफाई भी देनी पड़ी। लल्लू सिंह ने अपने बयान में कहा था कि सरकार बनाने के लिए तो 272 सांसद ही पर्याप्त हैं लेकिन हमें गरीबों हित में संविधान में संशोधन करना है इसलिए हमें 400 पार की जरूरत होगी। विपक्ष ने इसी बात को पकड़ लिया लेकिन धीरे-धीरे यह मसला डायलूट होता गया।
भाजपा को महिला सुरक्षा के मामले पर भी घेरने की कोशिश की गई। इसमें बृजभूषण शरण सिंह का नाम विशेष रूप से लिया गया। उन्हें महिला पहलवानों से बदसलूकी का दोषी कहा गया। विपक्ष आरोप लगाता रहा कि भाजपा ने बृजभूषण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और उनके बेटे को ही टिकट दे दिया। किंतु संयोग से भाजपा के हाथ स्वाति मालीवाल से बदसलूकी का मामला हाथ लग गया। उसने इस मुद्दे को लपक लिया। अब बृजभूषण शरण सिंह का मुद्दा भी डायलूट हो गया है।
अब तक का चुनाव कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिमों को विशेष अधिकार देने की बात पर भी लड़ा गया। इस मुद्दे पर भी एनडीए इंडी गठबंधन पर लगातार हमलावर है। भाजपा की लगभग सभी सभाओं में प्रधानमंत्री समेत अन्य सभी नेता जोरदारी से इसे उठा रहे हैं। लग रहा है यह मुद्दा सातवें चरण तक खूब जोर मारेगा। ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के विरासत कर वाले बयान को भी लपकते हुए भाजपा ने इसे देश विरोधी बताया। भाजपा का आरोप था कि विपक्ष लोगों की कमाई पर डाका डालकर उन्हें कंगाल करना चाहता है। इस मामले पर इतनी हाय तौबा हुई कि सैम पित्रोदा को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ गया। बाद में कांग्रेस ने भी इससे किनारा कर लिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संपत्ति सर्वे कराकर अमीरों की संपत्ति गरीबों में बांटने की योजना पर भी भाजपा ने खूब हल्ला मचाया। पीएम का कहना है कि अगर कुछ वेल्थ क्रिएटर देश में न हो तो देश की इकोनॉमी नहीं सुधर सकती। जिस प्रकार कांग्रेस के राज में टाटा और बिरला जैसे धन कुबेर थे वैसे ही समय अडानी और अंबानी हैं । इनका देश में रहना जरूरी है ताकि देश उनके सहारे आर्थिक प्रगति कर सके। प्रधानमंत्री ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में भी इसकी पुरजोर वकालत की।
अब तक का चुनाव मोदी का बनाम विपक्ष के नाम पर भी लड़ा गया। मोदी ने चुनाव होने के लगभग 6 महीना पहले कार्यकर्ताओं को कह दिया था कि आप इसकी चिंता मत कीजिए कि आपका प्रत्याशी कौन है। आप इतना याद रखिए कि चुनाव कमल के नाम पर लड़ा जाएगा। पीएम का कहना था कि आप कमल को अपना प्रत्याशी मानकर प्रचार शुरू कर दीजिए। कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुसलमानों को विशेष अधिकार देने का मामला खूब उछला। इस चुनाव में मुख्य रूप से यह मुद्दा भाजपा की प्राथमिकता पर है। और लगता नहीं कि भाजपा इसको छोड़ेगी। विपक्ष ने यह भी कोशिश की कि भाजपा को सांप्रदायिक और अल्पसंख्यक विरोधी होने के नाम पर फंसा दें किंतु इसमें वह सफल नहीं हो सका। हालांकि दोनों तरफ से वार-पलटवार चलते रहे।
चौथे चरण का चुनाव आते आते केंद्रीय सलाहकार समिति की आई रिपोर्ट में मुसलमानों की आबादी बढ़ने का मुद्दा भी बड़ी तेजी से उठा। भाजपा ने इसे डेमोग्राफिक चेंज के रूप में लिया। विपक्ष वैसे तो उसको दबाने की कोशिश करता रहा किंतु भाजपा और एनडीए के घटक दलों ने इसे ऐसा लपका कि विपक्ष को जवाब देते नहीं बन रहा था। टीवी चैनलों पर इस मुद्दे पर खूब महाभारत हुई। इस मुद्दे पर बीजेपी जितनी हमलावर है उसको देखकर ही लगता है कि भाजपा आगे के चरणों में इस मुद्दे को जोरदारी से उठाती रहेगी।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के नेपाल से जुड़े सीमावर्ती इलाकों में विदेशी वोटरों का भी मामला चर्चा में है। सूत्रों का कहना है कि ऐसे बहुत से वोटर हैं जो रहते तो नेपाल में है लेकिन चुनाव के समय यूपी में आ जाते हैं क्योंकि उनकी खेती भारत के सीमावर्ती इलाकों में भी है। वे चुनाव के पहले आ जाते हैं और वोट देकर फिर वापस नेपाल चले जाते हैं। हर चुनाव में कोशिश होती है कि किसी तरह इसको रोका जाए किंतु दोनों देशों में जमीन होने और आवाजाही सुगम होने के कारण इन पर रोक लगाना पूरी तरह से संभव नहीं हो पाता है। इन इलाकों के लोग दोनों देशों में खेती करते हैं। इसलिए वे दोनों देशों के वोटर बने हुए हैं। ये वाटर सीजनल होते हैं। वे अधिकतर रहते तो नेपाल में हैं किन्तु वोट देने के समय इंडिया में आ जाते हैं और राजनीतिक समीकरण को प्रभावित करते हैं।
अब लगता है कि बचे हुए बाकी चरणों का चुनाव राम मंदिर की राजनीति पर टिका है। भाजपा जहां लोगों को यह समझाने में लगी हुई है यदि सपा और कांग्रेस का गठबंधन सरकार में आया तो वह पहले राम मंदिर पर प्रहार करेगा। इस संदर्भ में सपा के मुसलमान समर्थकों का बयान भी आता रहा है कि अगर हमारी सरकार आएगी तो हम राम मंदिर तुड़वा देंगे और वहां मस्जिद बनवा देंगे। भाजपा वोटरों को समझाने में लगी हुई है कि हिंदू और राम मंदिर का सम्मान भाजपा के राज में ही सुरक्षित है।
इसके अलावा केजरीवाल के घर में राज्यसभा सांसद और दिल्ली प्रदेश की पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट और बदसलूकी का मुद्दा भी गरम है। भाजपा ने इसे हाथों हाथ लिया है। स्वाति मालीवाल ने भी पीछे न हटने की बात कह कर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को मुसीबत में डाल दिया है।उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करा कर कोर्ट में अपना बयान भी दे दिया है। इस मामले में केंद्रीय महिला आयोग सक्रिय हो गया है। अब आप के जिम्मेदारों की बोलती बंद है। इस मामले का पता चलने के बाद संजय सिंह ने स्वीकार कर लिया था कि मालीवाल के साथ मारपीट की घटना हुई और केजरीवाल इस पर कार्रवाई करेंगे। लेकिन दो दिन बीतने के बाद दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता कर स्वाति मालीवाल पर ही आरोप जड़ दिए। पहले लगा था कि विभव कुमार के खिलाफ कुछ कार्रवाई होगी किंतु कारवाई तो दूर केजरीवाल आरोपी विभव कुमार को अपने साथ लखनऊ तक ले आए। वह उनके साथ पत्रकार वार्ता में भी दिखा। बाद में सवाल उठने पर केजरीवाल अपनी निर्धारित पंजाब यात्रा पर बिना विभव कुमार के निकल गये और विभव कुमार वहीं से फरार हो गए। ऐसे में चुनाव के आने वाले चरणों में यह मुद्दा भी इंडी गठबंधन के लिए भारी पड़ेगा। इंडी गठबंधन से जुड़े प्रवक्ता टीवी चैनलों पर इस संदर्भ में सवाल पूछे जाने पर असहज हो जाते हैं।
इसके अलावा अमेठी और रायबरेली के चुनाव भी बहुत चर्चा में है। वैसे तो गांधी परिवार सिर्फ रायबरेली में लड़ रहा है किंतु अमेठी में गांधी परिवार से जुड़े किशोरी लाल शर्मा भी चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल गांधी तो परिवार के हैं ही पर अमेठी में लड़ाई को स्मृति ईरानी बनाम प्रियंका गांधी करने की कोशिश की जा रही है। दोनों सीटों पर कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर है। ताजा आकलन के अनुसार कांग्रेस अमेठी सीट लूज कर सकती है। रायबरेली में भी उनकी स्थितियां बहुत अच्छी नहीं है। इसीलिए कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेता कभी राहुल को पीएम पद का दावेदार बताते हैं तो कभी गांधी परिवार का वारिस।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो बैठे-बिठाए भाजपा को एक और मुद्दा दे दिया। बुधवार को लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ पत्रकार वार्ता में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि गरीबों को मुफ्त राशन योजना को हम और आगे बढ़ाएंगे और 5 किलो अनाज को 10 किलो करेंगे। जबकि यही कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर लगातार मोदी सरकार को घेरती आई है। उसका कहना था कि अगर अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है तो इसका मतलब देश से गरीबी अभी गई नहीं है। अब भाजपायों का कहना है कि ये बयान देकर मल्लिकार्जुन खड़गे में मान लिया है कि नरेंद्र मोदी सरकार की मुफ्त राशन वितरण योजना जनहित में है। हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी कहा कि फूड सिक्योरिटी कानून कांग्रेस पार्टी ले आई थी। जिसके परिणाम स्वरूप मोदी सरकार गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है।
कुल मिलाकर अब गरीबों को राशन, गैस कनेक्शन, किसान सम्मान निधि के साथ राम मंदिर के अस्तित्व से भी जुड़े मुद्दे चर्चा में रहे। विपक्ष का यह कहना कि कम वोटिंग से भाजपा को नुकसान हुआ है, गले नहीं उतरता। भाजपा का अपना दावा है कि उसके वोटरों को उसके कार्यकर्ताओं ने बूथ तक पहुंचा दिया है और अपनी वोटिंग करा दी है। अब विपक्ष जाने कि उसके वोटर बूथ तक क्यों नहीं आए। भाजपाई पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उसके सभी वोटरों ने वोट दिया है और उनकी जीत सुरक्षित है। दूसरी तरफ विपक्ष कम वोटिंग को भाजपा की हार के रूप में देख रहा है। इसमें यह भी हो सकता है कि ये विपक्ष की पेशबंदी हो ताकि भाजपा का मनोबल तोड़ा जाए। और यदि चुनाव हारने की नौबत आए तो ठीकरा इवीएम पर फोड़ने में आसानी हो। अब जनता क्या करेगी यह तो 4 जून को निकलने वाले परिणाम ही बता पाएंगे।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक