नयी दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जहां घरेलू मोर्चे पर राजद द्वारा दिया गया दबाव झेल रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने भी उनके फेक नैरेटिव की हवा निकाल दी है। असल में ऑपरेशन सिंदूर के बाद नरेंदर-सरेंडर का नारा देने वाले राहुल गांधी के इस दावे की बुनियाद ही हिल गई है। पाक के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने अल जजीरा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि हमने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से गुहार लगाई थी कि वे नरेंद्र मोदी से बात कर ऑपरेशन सिंदूर के मामले में मध्यस्थता करें, लेकिन नरेंद्र मोदी इसके लिए तैयार ही नहीं हुए। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी इस मामले में किसी भी तीसरे पक्ष के लिए तैयार ही नहीं थे। इस प्रकार इशाक डार ने राहुल गांधी के उस फेक नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत ने अमेरिका के कहने पर ऑपरेशन सिंदूर के समय सीज फायर किया। जब पाकिस्तान ने ही इस बात को स्वीकार कर लिया है कि नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की बात मानी ही नहीं तो फिर इस नैरेटिव का अब कोई मतलब ही नहीं रह जाता है।
सनद रहे कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग 35 बार से अधिक बार दावा किया था कि मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज फायर कराया। जवाब में भारत के सत्ता पक्ष ने बार-बार यही कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच न कभी कोई तीसरा पक्ष था और न ही होगा, और न ही हम इसे स्वीकार करेंगे। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही भारत का विपक्ष डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को निशाने पर रखता रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो इस बात को खूब प्रचारित किया। इशाक डार के इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि डोनाल्ड ट्रंप झूठ बोल रहे थे। डार कि साफ तौर पर कहना है कि पाकिस्तान तो तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए तैयार था पर भारत ने साफ मना कर दिया और कहा कि ये हमारा द्विपक्षीय मामला है।
खैर, इस मामले में कांग्रेस के अलावा सपा, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल हो या अन्य कोई दल, सबने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश की। पर अब जब सच्चाई सामने आई है तो सब की बोलती भी बंद है। मीडिया द्वारा इस विषय पर सवाल पूछने पर विपक्ष सवाल को टाल कर इधर का उधर जवाब देने लगे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता अभय दुबे से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने सवाल का जवाब न देते हुए कहा कि पहले भाजपा बताए कि ट्रंप के दावों के दौरान ही मोदी ने आखिर उनका खंडन क्यों नहीं किया। यानी पूछो कुछ और और जवाब कुछ और। यही हाल अन्य दलों का भी रहा। वे सवालों के जवाब में सिर्फ लीपापोती करते रहे। इस बाबत शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि पाकिस्तान क्या कहता है, इससे हमारा कोई सरोकार नहीं है। वह झूठा देश है, हम उसकी बात नहीं मान सकते। उसके नेता क्या कहते हैं, ये हमारा सब्जेक्ट नहीं है। फिर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि चूंकि डोनाल्ड ट्रंप नरेंद्र मोदी जी के दोस्त हैं, तो हमें उनकी बात को गंभीरता से लेना पड़ेगा। और ज्यादा नहीं, तो कम से कम 20% तो मानना ही पड़ेगा।
दूसरी ओर लश्कर आतंकी मसूद इलियासी ने भी एक और खुलासा करते हुए कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत द्वारा की गई बमबारी में आतंकवादी सरगना मसूद अजहर का पूरा परिवार खत्म हो गया। यानी जो पाकिस्तान यह कहता फिर रहा है कि भारत की कार्रवाई में उसे कोई खास नुकसान नहीं हुआ है, और उसने भारत को जवाबी कार्रवाई में मात दी है, उसका वह दावा झूठा है। पाकिस्तान इसी पर विजय का जश्न मना रहा था और पुरस्कार स्वरूप पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि से भी नवाजा गया। अब उसकी भी कलई खुल गई है। इलियासी की स्वीकारोक्ति के बाद साफ हो गया है कि भारत ने पाकिस्तान की ऑपरेशन सिंदूर के समय जमकर पिटाई की थी। फिर भी भारत का विपक्ष नरेंद्र मोदी और सेना के शौर्य को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
जहां तक सवाल इस बात का है कि डोनाल्ड ट्रंप फिर क्यों इतनी बार ये दावा करते रहे कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीज फायर कराया था, तो इसका सीधा सा जवाब यही है कि उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए भारत की सिफारिश चाहिए थी, और मोदी ने मना कर दिया था। इसी से चिढ़कर उन्होंने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की। जब वे सफल नहीं हुए तो इसी चिढ़ के चलते उन्होंने भारत के खिलाफ 50 फीसद टैरिफ भी लगाया है। क्योंकि भारत उनके दबाव में नहीं आया और वह रूस से लगातार संबंध बनाते हुए तेल की खरीद भी कर रहा है, जबकि इसके लिए ट्रंप ने मना किया था। भारत के रूस से तेल खरीद करने से अमेरिका का वह दावा भी झूठा साबित हो रहा है कि वह अकेला पूरे विश्व का चौधरी है। उसका एक दावा तो पहले ही फेल हो चुका है कि वह यूक्रेन और रूस का युद्ध रुकवा देगा। वैसे अब तो ट्रंप के भी सुर बदले हैं। वे नरेंद्र मोदी को अब अपना दोस्त बताते हैं, जन्मदिन की बधाई देते हैं। और तो और अब दोनों देशों में व्यापार वार्ता के लिए अमेरिकी प्रतिनिधि भारत भी आ चुके हैं।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक


