कानपुर। बहन चाहे भाई का प्यार नहीं चाहे महंगे उपहार रिश्ता अटूट रहे सदियों तक मिले मेरे भाई को नशा मुक्त खुशियां अपार, भाई दूज पर भारतीय सनातन संस्कृत में बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जो न सिर्फ परिवार रूपी संस्कृत को नव ऊर्जा प्रदान करता है बल्कि भाइयों को बहनों के प्यार रूपी संकल्प को भी पूरा करना होता है। रिश्तो में आई नमी को भैया दूज पर्व फिर से वर्ष भर के लिए स्नेह और प्रेम की गर्माहट से भर देता है।
उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के तहत सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में सोशल ऑडिट टीम उत्तर प्रदेश रोजगार सेवक संघ उत्तर प्रदेश के सहयोग से भैया दूज पर्व पर आयोजित ई-संगोष्ठी शीर्षक क्या बहनों को भाई दूज पर पर भाइयों से नशा मुक्त जीवन का उपहार मांगना चाहिए पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड एंबेसडर योग गुरु ज्योति बाबा ने कही।
ज्योति बाबा ने आगे कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण द्वारा असुर नरकासुर का वध करने के पश्चात वह अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे जहां पर बहन ने अच्छे-अच्छे पकवानों के साथ ऊर्जामयी टीका व आरती उतारकर स्वागत किया था ऐसा कहते हैं कि तभी से भैया दूज मनाया जा रहा है। ज्योति बाबा ने कहा कि भैया दूज पर पर हम पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी सुरक्षा का संकल्प लेकर आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ पर्यावरण का तोहफा दे सकते हैं क्योंकि पंच दिवसीय दीपावली पर्व प्रकृति के संरक्षण का भी पर्व है यह सत्य है कि धरती मैया की गोद वृक्षों से जब तक भरी पूरी रहेगी तभी तक हम अपनी तरक्की का सुख भोग सकते हैं।
इस भैया दूज पर्व पर वर्तमान बढ़ती युवा नशाखोरी को देखते हुए टीका करने के बाद भाइयों से नशा छोड़ने का उपहार मांगे तो पर्व सार्थक हो जाएगा। प्रदेश उपाध्यक्ष अंजूसिंह, मानवाधिकारवादी गीता पाल व प्रीति सोनी सोशल ऑडिट टीम ने संयुक्त रूप से कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, यमुना ने यमराज को तिलक लगाकर आरती उतारी थी जिसके बाद से यह पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।