माइग्रेन को हमेशा के लिए कहें अलविदा

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सिर में कील ठोकने जैसा भयंकर पित्तज माइग्रेन और पित्त विकारों से बचाव के लिए सुप्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य केंद्रीय आयुष मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के बोर्ड मेंबर डॉ रवीन्द्र पोरवाल, मुख्य चिकित्सक श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट कानपुर ने बहुत ही सरल सहज और प्रभावशाली उपाय बताएं है।

एसिडिटी अल्सर सिर दर्द हेतु रामबाण उपाय : भाले की तरह चुभने वाला पित्तज माइग्रेन जो कड़वी कड़वी खट्टी पित्त की उल्टी होने के बाद ही शांत होता है। बहुत से लोगों को विशेषकर युवाओं में एसिडिटी, खट्टी डकार, पेट में जलन, सुबह सोकर उठते ही उल्टी जैसा लगना और खाना खाते ही पेट दर्द जैसी समस्याएं गर्मी में बहुत दुख देती हैं। किसी किसी को पित्तज माइग्रेन भीषण सिरदर्द के साथ उल्टियां लगा देता है, घबराहट के साथ जी मिचलाता है, उल्टी में पीला पीला पित्त गिरता है। तब सिर दर्द हल्का होता है। ऐसी स्थिति में प्रातः सूर्योदय के पूर्व खाली पेट एक चम्मच कच्चा जीरा चबा चबा कर उसका रस चूसने और ऊपर से हरी धनिया का बिना चीनी वाला एक गिलास शरबत पी ले।यदि हरी धनिया का शरबत ना मिले तो सामान्य पानी के साथ चबाया हुआ कच्चा जीरा निगल ले। इसके आधे घंटे बाद तक कुछ भी ना खाएं पिए।

आधे घंटे बाद गुलाब के फूल की पंखुड़ियों को तोड़कर धो लें और उसे चबाकर खा ले ऊपर से फ्रिज का ठंडा एक कप बिना चीनी का दूध घूट घूट कर के पी ले। मिठास के लिए दो टुकड़े पेठा चबा चबा कर खा सकते हैं। पित्त विकारों और पित्तज माइग्रेन से बरसों से पीड़ित हताश और निराश रोगी भी इस समस्या से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए 6 सप्ताह तक प्रतिदिन इस प्रयोग को करें। यह एक श्रेष्ठ अचूक उपाय है।

यह सतर्कता रखें : लाल मिर्च, हरी मिर्च, काली मिर्च ,गरम मसाले, तला प्याज, लहसुन, टमाटर, चाट, बतासे जंक फूड और फास्ट फूड से बचाव करना चाहिए। जिन्हें अत्यधिक पित्त बनता है, वह साबुत अनाज, राजमा, छोला, लोबिया, खड़ी मूंग, उड़द आदि और सभी प्रकार की दालें विशेषकर अरहर की दाल और आलू भी 6 सप्ताह तक ना खाएं।

पित्त की उल्टी और माइग्रेन को अलविदा कहें : गर्मी के मौसम में यदि प्रातः काल 9:00 और 10:00 के बीच नाश्ते में 200 ग्राम ताजा दही और 40 ग्राम काली किसमिस या सामान्य किसमिस के साथ सेवन किया जाए तो पित्त प्रकोप, एसीडिटी के साथ-साथ आंखे कान और गाल लाल हो जाना, अत्यधिक पसीना आना व बहुत गर्मी लगना, मुंह सूखना और अत्यधिक कमजोरी लगने जैसी समस्याएं पूरी तरह ठीक हो जाती हैं। किशमिश और दही की के सेवन के साथ कभी भी चीनी गुड या मिश्री का प्रयोग ना करें। इसके साथ दो तीन पीस पेठा का सेवन किया जा सकता है। इसमें दो चम्मच बारीक कटा हुआ पुदीने की पत्तियां भी मिला सकते हैं। इससे दही किशमिश के आरोग्यकारी गुणों में वृद्धि हो जाती है। पित्त की उल्टी के बाद शांत होने वाले भयंकर माइग्रेन से स्थाई रूप से छुटकारा पाने के लिए नाश्ते में यह बहुत अच्छा आहार है।

दही और किसमिस की पौष्टिकता भी जाने : इससे खून की कमी, कैल्शियम की कमी लाभकारी बैक्टीरिया और उच्च स्तर के फाइबर की पूर्ति तो होती ही है। साथ ही साथ शरीर की जरूरत के अनुसार पौष्टिक तत्व शरीर को प्राप्त हो जाते हैं क्योंकि दही में भारी मात्रा में विटामिन और पोषक तत्व होते हैं। साथ ही इस की तासीर उग्र हुए पित्त को संतुलित करके मस्तिष्क की गर्मी, तनाव, चिड़चिड़ापन व क्रोध को कम करके मन को शांत करने वाली होती है। दही विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी, फोलेट, विटामिन बी-2, विटामिन बी -12, विटामिन पाइरिडोक्सिन, कैरोटिनॉइड जैसे विटामिन पाए जाते हैं, जो शरीर में दिनभर की जरूरत के अनुसार विटामिन खनिज एवं पौष्टिक तत्वों की भरपूर मात्रा उपलब्ध कराता हैं। वहीं किशमिश में आयरन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम और फाइबर भरपूर होता है। यह शरीर मे अतिरिक्त मात्रा में बनने वाले अम्लपित्त यानी एसिड निर्माण की प्रक्रिया को संतुलित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा शरीर के लिए कई बीमारियों पाचन तंत्र संबंधी विकारों लीवर के दोष, आंतों की गंदी गैस और कब्ज, यहां तक की बवासीर की प्रारंभिक अवस्था से बचाने में भी मददगार हैं।