अभी मलेरिया का खात्मा सम्भव नहीं। जी हाँ, मलेरिया उन्मूलन के लिए कम से कम 2030 तक इन्तजार करना होगा। भारत सरकार का तो यही कहना है। प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को ‘विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष के विश्व मलेरिया दिवस का शीर्षक जीरो मलेरिया लक्ष्य तक पहुँचना है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा, मलेरिया उन्मूलन का कार्य धीमा नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, सक्रिय सामुदायिक भागीदारी और तीव्र अंतर-क्षेत्रीय समन्वय के साथ, भारत 2030 तक अपने मलेरिया उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने इस वर्ष के समारोहों के लिए विशेष विषय चुनने के लिए मंच को बधाई दी और कहा, यह विषय हमारे देश के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम राष्ट्रीय स्तर पर मलेरिया को समाप्त करने और बेहतर स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता और गरीबी उन्मूलन में योगदान करने के लिए काम कर रहे हैं। विश्व मलेरिया दिवस समारोह वैश्विक समुदाय और सभी प्रभावित देशों को प्रेरणा प्रदान करते हैं, जो इस घातक बीमारी को जड़ से समाप्त करने और अपने लोगों के स्वास्थ्य और आजीविका में सुधार लाने के लिए काम कर रहे हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने भारत से मलेरिया बीमारी को समाप्त करने के लिए सरकार के प्रयासों पर कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन 18 वैश्विक नेताओं में से हैं, जिन्होंने 2015 में मलेशिया में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर बैठक में एशिया प्रशांत नेतृत्व मलेरिया गठबंधन की मलेरिया उन्मूलन कार्य योजना का समर्थन किया था। शिखर सम्मेलन में उस समय गठबंधन नेतृत्व ने यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था कि यह क्षेत्र 2030 तक मलेरिया मुक्त हो जाए।
उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इस दिशा में प्राप्त किए गए लाभ को भी विस्तार से बताया। 2018, 2019 और 2020 की विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार भारत, मलेरिया को कम करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करने में सक्षम रहा है। इस दौरान 84.5 प्रतिशत मलेरिया के रोगियों में कमी और 83.6 प्रतिशत लोगों की मृत्यु के मामले में कमी आई है, जिसे विश्व ने बखूबी स्वीकार किया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की सफलता के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता को श्रेय दिया है। मज़बूत तकनीकी नेतृत्व, वेक्टर नियंत्रण उपायों और उन्मूलन रणनीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए घरेलू वित्त पोषण में वृद्धि के सही गठजोड़ को प्राथमिकता देने पर केंद्रित है।
डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने महामारी के दौरान एक शानदार उपलब्धि हासिल की है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कई तरह के अच्छे व्यवहार भी देखे गए हैं, जैसे गैर-कोविड आवश्यक सेवाएं, मलेरिया रोधी हस्तक्षेपों के प्रभावी वितरण की निरंतरता सुनिश्चित बनाए रखने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण। यह ध्यान देने योग्य है कि सभी स्तरों पर सभी दवाओं और नैदानिक किटों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में मलेरिया मुक्त अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। जिसमें 3.78 मिलियन लोगों की मलेरिया की जांच की गई। इसके अलावा, मलेरिया से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों में समुदाय को 25.2 मिलियन लंबे समय तक चलने वाले कीटनाशक जाल वितरित किए गए।