आरबीआई को 89 हजार करोड़ की चपत तो डॉलर से 1.72 लाख करोड़ कमाए

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आरबीआई को विदेशी प्रतिभूतियों पर 89 हजार करोड़ की चपत तो डॉलर से 1.72 लाख करोड़ कमाए…… भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को किस मद से कितनी कमाई हुई और कितना नुक़सान उठाना पड़ा। आरबीआई के खर्च, आमदनी, लाभार्जन और अपनी गाढ़ी कमाई से ही हर साल हजारों करोड़ रुपए केंद्र सरकार की झोली में डालने का ब्यौरा पेश कर रहे हैं। आरबीआई के समकक्ष और भी केंद्रीय बैंक हैं अन्य देशों के लेकिन अपने केंद्रीय बैंक की रेपुटेशन सबसे अलग ही है, यह हम भारतवासियों के लिए गर्व है।

आरबीआई की आय के प्रमुख स्रोत तीन हैं- ब्याज, देशी – विदेशी प्रतिभूतियों से होने वाली आमदनी और विदेशी मुद्रा की खरीद -बिक्री। इनमें विदेशी मुद्रा की खरीद -बिक्री आय का सबसे बड़ा स्रोत है। विदेशी मुद्राओं में भी अमेरिकी डॉलर के सौदे बहुत बड़े पैमाने पर किए जाते हैं। अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी विदेशी प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) में अच्छा खासा निवेश करता है। इधर कुछ समय से विदेशी प्रतिभूतियों के मूल्यों में आई गिरावट से आरबीआई को तगड़ा नुकसान हुआ। बीते दो वित्तीय वर्षों में 2 लाख 46 हजार करोड़ रुपए का नुकसान, 2021-22 में तो 1 लाख 74 हजार करोड़ से भी ज्यादा लेकिन 2022-23 में 71 हजार करोड़ से अधिक।

आरबीआई को देशी यानी रुपया प्रतिभूतियों पर ब्याज के रूप में 2020-21 में 59,825 करोड़ और 2022-23 में 96396 करोड़ रुपए की आय हुई। रिज़र्व बैंक अगर डॉलर की खरीद -बिक्री बंद कर दे तो इसकी बैलेंस शीट की तस्वीर कुछ और ही हो जाएगी। डाॅलर से होने वाली कमाई रिज़र्व बैंक की रीढ़ की भूमिका निभाती है। इसकी बैलेंस शीट्स के विश्लेषण से पता चला कि डाॅलर की बिक्री से पिछले दो वर्षों में 1 लाख 72 हजार 298 करोड़ रुपए का फायदा हुआ- 2022-22 में 68 हजार 990 करोड़ और 2022-23 में 1 लाख 3 हजार 308 करोड़ रुपए।

बताते चलें कि इसी भारीभरकम फायदे की बदौलत रिज़र्व बैंक ने 2021-22 और 2022-23 में 1लाख 18 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार को सौंपे। इसमें 2019-20 और 2020-21 की धनराशि भी जोड़ लें तो रिज़र्व बैंक पिछले चार वर्षों में 2 लाख 54 हजार करोड़ केंद्र सरकार को दे चुका है। निश्चित रूप से इतनी बड़ी धनराशि ने केंद्र सरकार के लिए ऑक्सीजन जैसा काम किया।

वैसे आरबीआई ने सख्त अनुशासन से खर्चों पर लगाम कसी रखी।नतीजतन 2022-22 के मुकाबले इस साल मार्च में समाप्त वित्तीय वर्ष में समग्र व्यय 14 प्रतिशत बढ़कर 1 लाख 48करोड़ रुपए हुआ। जबकि इसी अवधि में 47 प्रतिशत की अप्रत्याशित वृद्धि के साथ सकल आय 2 लाख 35 हजार करोड़ रुपए के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई।

प्रणतेश बाजपेयी