नयी दिल्ली। रोते नहीं हैं, शकल ही ऐसी है। यह कहावत कांग्रेस के पोस्टर ब्वाय और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर पूरी तरह फिट लग रही है। ये उनका कमजोर ज्ञान है या फिर राजनीतिक नासमझी, पर बयान देने में उनसे एक बार फिर चूक हो गई। इस बार उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी करते हुए ये तक कह दिया कि कांग्रेस पार्टी आरएसएस, भाजपा के साथ साथ इंडियन स्टेट के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रही है। इसी इंडियन स्टेट पर राजनीतिक रार का दौर शुरू हो गया है। भाजपा जहां इसे देश की अस्मिता से जोड़ रही है, वहीं कांग्रेसी राहुल गांधी के बयान को जस्टिफाई करने में लगे हैं।
बात चूंकि भाजपा के विरोध की है, इसलिए राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भी राहुल का समर्थन कर दिया है। अब कुछ भाजपाई इसमें जार्ज सोरोस कनेक्शन भी ढूंढने में लगे हैं। उनका मानना है कि राहुल गांधी का बयान जार्ज सोरोस के लैब से निकला हथियार है। खैर, किसी भी परिपक्व राजनीतिज्ञ से इस बयान की अपेक्षा नहीं की जा सकती कि उसकी लड़ाई इंडियन स्टेट से है। संविधान में स्टेट का मतलब केंद्र सरकार, राज्यों की सरकारें, संसद, विधानसभाएं या फिर अन्य सरकारी संस्थाएं हैं। तो सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी भारत से लड़ाई करना चाहते हैं।
राहुल गांधी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से लड़ रहे हैं। साथ ही हमारी लड़ाई इंडियन स्टेट से भी है। उनके इसी इंडियन स्टेट शब्द को लेकर बवाल मचा हुआ है। राहुल गांधी का कहना है कि भागवत का बयान संविधान और देश विरोधी है। यदि वे दूसरे देश में होते तो गिरफ्तार कर लिए गए होते। राहुल ने कांग्रेस के नये मुख्यालय भवन के उद्घघाटन के अवसर पर इंडियन स्टेट से लड़ने की बात कहकर ऐन चुनाव के मौके पर सेल्फ गोल कर लिया है। राहुल गांधी का आरोप है कि भाजपा और आरएसएस ने देश की संवैधानिक संस्थानों पर कब्जा कर लिया है। इसलिए हमारी लड़ाई सिर्फ बीजेपी या आरएसएस से नहीं बल्कि इंडियन स्टेट से भी है। राहुल ने कहा, यदि आप सोच रहे हैं कि हमारी लड़ाई संघ या बीजेपी से है, तो आप गलत सोच रहे हैं। हमारी लड़ाई आरएसएस और भाजपा के साथ इंडियन स्टेट से भी है। क्योंकि हम भाजपा राज में निष्पक्षता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
राहुल गांधी का बयान आने के बाद भाजपा खेमा भी सक्रिय हो गया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि राहुल गांधी का संबंध उन ताकतों से है जो देश में अराजकता फैलाना चाहते हैं। ये वही ताकतें हैं जिन्हें अर्बन नक्सल कहा जाता है। बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी कहते हैं कि राहुल गांधी ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि वे भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं। असल में राहुल गांधी उन ताकतों के कंट्रोल में हैं जो भारत को खत्म करना चाहते हैं। राहुल के इरादे राष्ट्रीय हित के खिलाफ हैं। पार्टी प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि लगता है कि राहुल गांधी पागल हो गए हैं। इसीलिए वे इस तरह की अनाप-शनाप बातें बोल रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि कोई अपने ही देश से कैसे लड़ाई लड़ सकता है। ये तो देश की संप्रभुता का अपमान है। भाजपा नेता गौरव वल्लभ का कहना है कि मोहन भागवत ने देश की सांस्कृतिक आजादी की बात कही है। उनकी बात को गलत अर्थ में लिया जा रहा है। वैसे भी राहुल गांधी को उनकी बातें समझ में नहीं आएंगी। उन्होंने कहा कि ये सही है कि देश को राजनीतिक आजादी 1947 में मिल गई थी, किंतु सांस्कृतिक आजादी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही मिली है।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया का कहना है कि राहुल गांधी का बयान देश विरोधी है और देश की संप्रभुता पर आक्रमण है। और ज्यादा संभव है कि यह बयान जार्ज सोरोस की लैब से निकला कोई नया हथियार हो। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इसीलिए कहा जाता है कि राहुल गांधी बालक बुद्धि हैं। वैसे भी उनका मोहन भागवत से कोई मुकाबला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कहां मोहन भागवत और कहां राहुल गांधी। भाजपा नेता और पूर्व सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी न तो मोहन भागवत को समझते हैं और न ही संविधान को। वह अंट-शंट बोलने के आदी हो गए हैं।
दूसरी ओर राहुल गांधी के बयान पर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि उनके बयान का जवाब तो आपको उन्हीं से ही पूछना चाहिए। वे क्या समझते हैं और क्या बोलते हैं, वही बेहतर बता सकते हैं। जबकि राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि संघ प्रमुख का बयान स्वतंत्रता आंदोलन का अपमान है, महात्मा गांधी का अपमान है, सुभाष चंद्र बोस का अपमान है और रानी लक्ष्मीबाई का भी अपमान है। वे इस तरह की बात कैसे कह सकते हैं। तेजस्वी ने कहा कि कल भागवत यह भी कह सकते हैं कि जब देश से आरक्षण खत्म हो जाएगा, तब सच्ची आजादी मिलेगी। उन्होंने कहा कि दरअसल संघ और भाजपा आरक्षण विरोधी हैं। और देश को यह बात समझनी चाहिए।
उधर कांग्रेस के समर्थक और राजनीतिक विश्लेषक वरुण पुरोहित ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा है कि नेता प्रतिपक्ष का इंडियन स्टेट से मतलब राजशाही से था। बीजेपी उनके बयान का गलत अर्थ निकाल रही है। उधर देश के वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा का मानना है कि राहुल गांधी अब सत्ता न मिलने की हताशा में इस तरह का बयान दे रहे हैं। उनका मानना है कि चाहे कुछ भी हो जाए परन्तु संघ की राष्ट्रभक्ति पर संदेह करना कतई उचित नहीं है। राहुल गांधी लगातार सत्ता से दूर रहने की हताशा में अब जनमत का अपमान कर रहे हैं।
राहुल गांधी का बचाव करते हुए छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता टी एस सिंहदेव ने कहा कि राहुल गांधी का इंडियन स्टेट से मतलब सरकारी और संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग से था। उनके बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। जबकि कांग्रेस नेता सचिन पायलट का कहना है कि राहुल गांधी का बयान भारत में निरंकुशता के खिलाफ था और संवैधानिक संस्थाओं पर अवैध कब्जे के खिलाफ था। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि मोहन भागवत अब बीमार हो गए हैं। इसलिए कुछ भी अनाप-शनाप बोल रहे हैं। जबकि कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा है कि राहुल गांधी ने संवैधानिक संस्थाओं की दुर्दशा के खिलाफ लड़ने की बात कही है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी राहुल के सुर में सुर मिलाते हुए भागवत की आलोचना की है।
क्या कहा था संघ प्रमुख मोहन भागवत ने…
दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के एक साल पूरे होने के अवसर पर इंदौर में कहा था कि देश को सच्ची आजादी प्राण प्रतिष्ठा के दिन ही मिली थी। सही मायने में यही हमारी सांस्कृतिक आजादी है। उनका कहना था कि ये सच है कि हम राजनीतिक रूप से अगस्त 1947 में ही आजाद हो गए थे लेकिन सांस्कृतिक आजादी हमें 22 जनवरी 2024 को ही मिली थी, जब राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। संघ प्रमुख ने कहा कि बैकुंठ द्वादशी यानी राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का दिन ही वह दिन है जब हम सांस्कृतिक रूप से आजाद हुए थे। अब हम सभी को इस आजादी को संभाल कर रखना है। इसीलिए हमें हमेशा धर्म के पक्ष में खड़े होना है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी मोहन भागवत के इसी बयान पर कमेंट कर रहे थे।
इसमें दो राय नहीं कि मोदी और संघ की बेधड़क आलोचना कर राहुल ने अपनी राजनीतिक जमीन पुख्ता की है। हालांकि उनकी यह आलोचना हमेशा तार्किक हो, यह जरूरी नहीं है। लेकिन समर्थकों के सामने राजनीतिक विरोधियों को गरियाने की हिम्मत दिखाना भी साहस का प्रतीक माना जाता है। उधर भारत की विपक्षी पार्टियों भी अजीब हैं। कुछ दिन ही पहले जब मोहन भागवत ने हर मस्जिद में मंदिर न खोजने वाला बयान दिया था तो पूरे विपक्ष ने उनका समर्थन किया था। और अब जब राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर बयान दिया है तो वही विपक्ष भागवत के खिलाफ हो गया है।
कहीं पनौती तो नहीं है कांग्रेस का नया दफ्तर
दिल्ली में बना और स्थानांतरित हुआ कांग्रेस का नया मुख्यालय लगता है किसी अच्छे मुहूर्त में नहीं बना है। लगता है कि उसमें कोई वास्तु दोष है। क्योंकि राहुल गांधी ने उसमें प्रवेश करते ही ऐसा बयान दे दिया है कि बवाल शुरू हो गया। राहुल गांधी के विवादित बयान के चलते कांग्रेस और उसके समर्थक परेशान हैं। दिल्ली में भाजपा मुख्यालय के सामने बना कांग्रेस के इस नये दफ्तर की खास बात यह है कि इस दफ्तर का दरवाजा पीछे की तरफ से खुलता है। क्योंकि सामने की ओर दरवाजा होने से भाजपा दफ्तर और भाजपाइयों से सामना होता। कांग्रेस का यह कार्यालय 252 करोड़ की लागत से बना है। इसका नाम इंदिरा भवन रखा गया है। इस भवन में सरदार मनमोहन सिंह के नाम पर लाइब्रेरी की भी स्थापना की जानी है। नये कांग्रेस कार्यालय का पता 9 ए कोटला मार्ग है। दिवंगत इंदिरा गांधी ने जब 24 अकबर रोड को कांग्रेस मुख्यालय बनाया था तब भी कांग्रेस की हालत ठीक नहीं थी। और कांग्रेस अपने दुर्दिन में भी। तो क्या इस बार भी कांग्रेस कुछ ऐसी ही स्थिति में आने वाली है।
राहुल गांधी के विवादित बयानों की कुछ बानगी
* राहुल गांधी द्वारा अमेरिका यात्रा के दौरान लोकसभा चुनावों में धांधली का आरोप सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। उनके इस बयान से देश का सियासी पारा भी काफी दिनों तक चढा रहा।
* राहुल ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर कहा था कि यह संघ और भाजपा का कार्यक्रम है। तब भड़के संतों ने कहा था कि उनकी बुद्धि खराब हो गई है। राम मंदिर के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास ने कहा था कि कांग्रेस हमेशा ही राम के अस्तित्व को नकारती रही है।
* नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद भी यूएस गए राहुल गांधी के विवादित बयान के रिकॉर्ड में कोई बदलाव नहीं आया। इस बार उन्होंने वहां सिख समुदाय को लेकर विवादित बयान दे दिया।
* अमेरिका में प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार की आलोचना करते-करते उन्होंने भारत में आरक्षण और बेरोजगारी को भी लेकर विवादित बयान दे दिया।
* उन्होंने अमेरिका यात्रा के दौरान न सिर्फ चीन की तारीफ की बल्कि भारत के धुर विरोधी अमेरिकी सांसद इल्हान उमर से मुलाकात भी की। इसके चलते काफी रार मची रही।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक