… अब चाय की चुस्की भी मंहगी

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चाय पर कोरोना, बाढ़ का कहर, चाय उत्पादन में आई भारी गिरावट

निर्यात भी 26.6 प्रतिशत घटकर 7.44 करोड़ किलोग्राम रह गया

ऐसी उम्मीद तो नहीं की गई थी कि चाय के प्याले पर भी बाढ़ और कोरोना का कहर यूं बरपा करेगा। पिछले  छह महीनों में उत्पादन केंद्रों में चाय उत्पादन में 26.4 प्रतिशत की कमी से देश को दोहरी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। घरेलू बाजार में चाय के मूल्यों में जबरदस्त बढ़ोतरी के साथ-साथ निर्यात मोर्चे पर भी झटका लगा है।

असम में बाढ़ विभीषिका ने चाय बागानों को तहस-नहस जैसी स्थिति में खड़ा कर दिया। मार्च में कोरोना की देशव्यापी खुली फाइल ने हालत को बद से बदतर कर डाला। जून-जुलाई से अब तक डिब्बाबंद चाय पत्ती के मूल्यों में 40-50 प्रतिशत की बम्पर बढ़ोतरी हुई है। किचेन बजट को आगे भी चाय चुस्की पर झटके झेलने को तैयार रहना चाहिए।

बाजार में डिब्बाबंद हो या लूज दोनों तरह की और हर ब्रांड की चाय पत्ती की कीमत में इजाफा हुआ है। मसलन- एक प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह की जो चाय जून में 90 रुपए में 250 ग्राम मिल जाती थी किराना दुकान से अब उसी वजन के पैक को खरीदने के लिए उपभोक्ता 105 रुपए दे रहा है। कुछ बाजारों में ऊपर जिक्र किए गए ब्रांड की आई नई खेप का 250 ग्राम का पैक 125 रुपए में बिकने भी लगा है। उद्योग संगठन टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सूत्रों का कहना है कि चाय उत्पादन में आई भारी गिरावट की वजह से आगे भी मूल्यों में वृद्धि होने की संभावना बनी हुई है।

चाय उद्योग के सबसे बड़े संस्थान टी बोर्ड, जो कि वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है, के जिम्मेदार सूत्रों ने बताया कि देश में चाय उत्पादन में इस साल अप्रैल में 53.8 प्रतिशत, मई में 28.3 प्रतिशत और जून में 8 प्रतिशत की गिरावट आई। भीषण बाढ़ की स्थिति सितंबर से सुधरी। इन सूत्रों ने कोविड -19 और बाढ़ को वजह बताया जिनके चलते इस साल की पहली छमाही में चाय का कुल उत्पादन 26.4 प्रतिशत घटकर 34 करोड़ किलोग्राम रह गया। देश का चाय निर्यात भी साल के पहले पांच महीनों में 26.6 प्रतिशत घटकर 7.44 करोड़ किलोग्राम रह गया।

चाय के बड़े व्यापारी गणेश मल जैन कहते हैं, नीलामी केंद्रों में चाय के भाव अप्रैल से ही बढ़ने शुरू हो गए थे और 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक की तेजी आई थी लेकिन घटकर 100 रुपए के स्तर पर आ गई। उत्पादन को कोरोना और बाढ़ से बहुत नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई कम से कम इस सीजन में तो नहीं ही हो पाएगी और ऐसी स्थिति में चाय मूल्यों में तेजी रहने के आसार हैं।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी