लखनऊ। अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की एक और मूर्ति स्थापित हो रही है। इस मूर्ति में राजा के रूप में अपने परिजनों के साथ दरबार लगाते दिखेंगे। मंदिर निर्माण समिति के जिम्मेदार इस अवसर पर होने वाले पूजन कार्यक्रमों की श्रृंखला को प्राण प्रतिष्ठा समारोह जैसे समारोह का नाम दे रहे हैं। परंतु इसे सीधे तौर प्राण प्रतिष्ठा समारोह कहने से हिचकिचाते भी हैं। यह समारोह जून महीने में पांच तारीख को होगा। और इसे छह जून को श्रद्धालुओं के लिए भी खोल दिया जाएगा। अर्थात अयोध्या में एक बार फिर प्राण प्रतिष्ठा जैसे कार्यक्रमों की धूम रहेगी।
उधर योगी सरकार की निगरानी में इस ऐतिहासिक राम मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। बीते बुधवार को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर में रामलला के अलावा 18 और मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा जून में होगी। ये सभी मूर्तियां राजस्थान के जयपुर में बनाई जा रही हैं। उम्मीद है कि ये सभी मूर्तियां 15 अप्रैल के बाद अयोध्या पहुंच जाएंगी। इसके बाद इन्हें 23 मई के दिन सिंहासन पर रखा जाएगा। इसके बाद फिर 5 जून को शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। राम दरबार की स्थापना मंदिर की पहली मंज़िल पर की जाएगी। श्रद्धालुओं के लिए इसे छह जून से खोला जाएगा।
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ट्रस्ट के सभी सदस्यों की उपस्थिति में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगा। इसमें जलवास, अन्नवास, औषधि वास और शैय्यावास जैसे अनुष्ठान होंगे। उन्होंने बताया कि शेषावतार मंदिर का कार्य बाद में शुरू होगा। इसके बाद परकोटा के उत्तर और दक्षिण हिस्से का निर्माण शुरू होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि राम मंदिर का निर्माण कार्य अक्तूबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि ये आयोजन, 2020 में शुरू हुए मंदिर निर्माण के पूरा होने से भी जुड़ा है। उन्होंने बताया कि वैसे तो राम लला की प्राण प्रतिष्ठा इस मंदिर के भूतल पर 2024 में ही हो चुकी है, पर अब राजा राम को प्रथम तल पर राम दरबार में विराजमान करने की बारी है। उन्होंने कहा कि जब भगवान राम की प्रतिमा उनके दरबार में स्थापित होंगी तो स्वभाविक है कि एक धार्मिक समारोह के बाद ही यह होगा। यहां पूजा होगी, लेकिन इसे प्राण प्रतिष्ठा कहना ठीक नहीं होगा। हां, इतना जरूर है कि यह पूजा प्राण प्रतिष्ठा जैसी ही होगी। उन्होंने कहा कि 23 मई और 5 जून की तिथियों का अपना ज्योतिषीय योग है।
इसके अलावा राम मंदिर के परकोटा में छह और मंदिरों की स्थापना होगी। इनमें सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा, शिवलिंग, गणपति और हनुमान जी की मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी। सप्त मंडप में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, निषाद राज, शबरी और अहिल्या की मूर्तियां स्थापित होंगी। ये सभी प्रतिमाएं सफेद मकराना मार्बल से तैयार की गई हैं, जिनका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। अब मूर्तियों के श्रृंगार, वस्त्र और आभूषणों की तैयारी भी जोरों पर है। तुलसीदास की मूर्ति पहले ही स्थापित की जा चुकी है। यात्री सुविधा केंद्र के मंडप में श्रद्धालु उनके दर्शन कर सकेंगे।
चंपत राय ने कहा कि कुल 18 मूर्तियां जयपुर से आनी हैं। सप्त मंडप की महर्षि बाल्मीकि, गुरु वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी, अहिल्या आदि की मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। साथ ही परकोटे के अन्नपूर्णा, हनुमान जी, शिव समेत सभी छर मंदिरों के विग्रह भी आने हैं।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक