बोर्ड फाॅर रेग्युलेशन ऐंड सुपरविज़न आॅफ पेमेंट्स (बीपीएसएस) और भारतीय रिज़र्व बैंक के संयुक्त दिशा निर्देश के अंतर्गत नेशनल पेमेंट्स काॅर्पोरेशन आॅफ इंडिया लि. (एनपीसीआईएल) ने अपनी भारत बिल पेमेंट सेंट्रल यूनिट (बीबीपीसीयू) को पृथक कर अपनी सब्सिडियरी बना दिया है।
एनपीसीआई भारत बिल पे लिमिटेड (एनबीबीएल) नाम से बनाई गई सब्सिडियरी एक अप्रैल से प्रभावी भी कर दिया गया अर्थात बीबीपीसीयू की सभी आॅपरेटिव यूनिट्स की व्यावसायिक डीलिंग एनबीबीएल से शुरू हो गई।
एनबीबीएल की शेयर पूंजी, इसके बंटवारे सहित पूरी वित्तीय संरचना का खुलासा अभी नहीं किया गया है। क्योंकि आरबीआई के निर्णय पर इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) और दस प्रमुख बैंकों के पूंजी निवेश से एनपीसीआईएल की स्थापना 2007-08 में की गई, और एनपीसीआईएल ने ही 2013-14 में भारत बिल पेमेंट सिस्टम की नींव डाली थी।
दरअसल 2012 के दौरान देश में जन उपयोगी सेवाओं और अन्य सुविधाओं के एवज में भुगतान करने का आसान और सस्ता उपाय उपभोक्ताओं के पास नहीं होता था। देश में ईसीएस, नेफ्ट, आईएमपीएस, क्रेडिट कार्ड, प्रिपेड और एनईसीएस जैसे माध्यमों से बिजली-पानी, टैक्स, मोबाइल, बीमा प्रीमियम, डीटीएच सहित तमाम तरह की सेवाओं-सुविधाओं के बिलों का डिजिटल भुगतान संभव नहीं था।
आरबीआई ने बिल भुगतान के लिए डिजिटल माध्यम की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए 2013 में जी. पद्मनाभन की अध्यक्षता में समिति गठित की। समिति ने देश विदेश में जानकारी करने के बाद रिपोर्ट सौंपी। उस दौरान सिंगापुर, जर्मनी, ब्राज़ील आदि देशों में बिलों का भुगतान करने के लिए ‘जनरल इंटरबैंक रिकरिंग आॅर्डर’ (जीआईआरओ -गीरो) का प्रचलन था।
वास्तव में भारत बिल पेमेंट सिस्टम ‘गीरो’ का ही भारतीय संस्करण है। एनपीसीआईएल ने साल 2017 अप्रैल से दिसंबर तक भारत बिल पेमेंट सिस्टम का परीक्षण किया। परीक्षण के अंतर्गत कोई नौ महीनों में कुल 14000 करोड़ रु से ज्यादा के 19करोड़ से अधिक संख्या में लेन-देन अर्थात ट्रांज़ैक्शन हुए।
भारत बिल पेमेंट्स आॅपरेटिव यूनिट्स की संख्या 66 है। जिसमें सभी प्रमुख बैंक और पेटीएम, फोनपे, गूगलपे, अमेज़ाॅनपे जैसी फिनटेक कंपनियां शामिल हैं। भारत बिल पेमेंट सिस्टम के माध्यम से बिजली के बिल, मोबाइल रिचार्ज, टैक्स का भुगतान, स्कूल फीस, डीटीएच बिल, क्लब के बिल, फास्टैग, गैस और बीमा प्रीमियम से लेकर अस्पताल आदि के बिलों का भुगतान करने की सुविधा ग्राहक की मुट्ठी में समा गई है।
एनपीसीआईएल के आंकड़ों के अनुसार भारत बिल पेमेंट सिस्टम से 2021 मार्च में 19000 बिलर्स के 3.5करोड़ भुगतानों का निपटान किया गया। जिनकी समग्र धनराशि 5196 करोड़ रु थी। भारत बिल पेमेंट सिस्टम को अपने जन्मदाता से हमेशा के लिए विलग कर दिया गया। अर्थव्यवस्था में एनपीसीआईएल के समानांतर एक अथवा कई छतरी संगठन स्थापित करने के लिए निजी और विदेशी निवेशकों को भारतीय धरातल उपलब्ध होने में अब अधिक समय नहीं लगेगा।
आरबीआई इसके लिए इच्छुक निवेशकों से आवेदन पहले ही प्राप्त कर चुका है। देखना है कि ऐसे तेज बदलाव की बयार में मांझी बने नीति निर्धारक भविष्य में एनबीबीएल की नाव किस दिशा की ओर ले जाएंगे।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी