मोदी, राजनाथ, अमित शाह सेना और पीओके

मोदी, राजनाथ, अमित शाह सेना और पीओके पीओके के भारत में आ जाने का काउंटडाउन अब शुरू हो गया पीएम, रक्षामंत्री और गृहमंत्री के बयान इसी ओर कर रहे इशारा थल सेनाध्यक्ष, वायु सेनाध्यक्ष के बयानों का भी यही संकेत 31 मई को होने वाले माक ड्रिल को लेकर पडोस में बेचैनी सीमापार फिर दिखने लगे आतंकी, कसूरी की मोदी को धमकी जानकारों का भी यही मानना है कि कुछ तो है बड़ा होने वाला

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नयी दिल्ली। पिछले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, थल सेनाध्यक्ष और वायु सेनाध्यक्ष के बयानों पर गौर करें तो एक बात समझ में आती है कि कुछ तो है जो सरकार और सेना के बीच चल रहा है। और कुछ ऐसा बड़ा होने वाला है जो पड़ोस का भूगोल बिगाड़ सकता है। पूर्व राजनयिक भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादियों का बिल से बाहर आना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने की धमकी देना, भारत को नुकसान पहुंचाने देने की धमकी देना आदि कुछ ऐसी बातें हैं जो किसी बड़े घटनाक्रम का संकेत दे रहे हैं। देश के वायु सेनाध्यक्ष जब ये कहते हैं कि प्राण जाए पर वचन न जाए, हम जनता से किया वादा जरूर निभाएंगे तो उसे ऐसे ही सुनकर टाल नहीं सकते। थल सेनाध्यक्ष जब जगद्गुरु रामभद्राचार्य को गुरु दक्षिणा में पीओके देने की बात करते हैं तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। बात सिर्फ इतने ही तक नहीं रुक जाती। जब प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और गृहमंत्री अपने भाषणों में बार-बार कहें कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसके अलावा भारत के सीमावर्ती राज्यों में 29 तारीख को माक ड्रिल दिल की घोषणा करना फिर उसको टालकर 31 तारीख को ही करना किसी बड़ी तैयारी का संकेत है। इसको लेकर भी पाकिस्तान की सरकार, सेना और आतंकवादियों में बेचैनी बढ़ गई है। अब तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से सीधे-सीधे यहां तक का दिया है कि जब वह हाफिज सईद, मसूद अजहर और सैफुल्लाह कसूरी जैसे आतंकियों को भारत को सौंपने की बात करेगा तभी बात बनेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों अपने भाषणों में पड़ोसी देश पाकिस्तान के आतंकवादियों को सीधे-सीधे ये चेतावनी देते हैं कि खुद भी चैन से रहो चैन की रोटी खाओ, वरना हमारी गोली तो है ही खाने के लिए। तो ये बात इतनी आसानी से सुन के टाली नहीं जा सकती। और जब देश का विपक्ष बार-बार मोदी सरकार को पीओके लाने की चुनौती दे रहा हो तो इसे भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। यानी कुछ तो है जो होने वाला है। और सिर्फ होने वाला ही नहीं, उसकी जमीन भी तैयार हो गई है। क्योंकि भारत लगातार अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार विदेश के दौर पर हैं। खबर यह भी है कि रूस से हथियारों की कुछ और खेप आने वाली है। सूत्रों का तो दावा है कि कुछ खेप तो आ भी गई है। इसको लेकर पाकिस्तान में बड़ी बेचैनी है। वहां की मीडिया लगातार इसके संकेत दे रही है। पाक के नेता लगातार समर्थक देशों के दौरे करके सहायता प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में सरकार और सेना के खिलाफ बढ़ती नाराजगी भी पाकिस्तान के संकट और किसी बड़ी कार्रवाई का इशारा कर रही है। ये सभी बातें किसी भारतीय रणनीति का संकेत दे रही हैं। दूसरी ओर खबर है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भी पाकिस्तान के लिए समस्या खड़ी कर रखी है। उसने पाकिस्तान के खिलाफ एक फ्रंट खोलने की तैयारी कर ली है। इधर के दिनों में भारत की अफगानिस्तान से बढती नजदीकी किसी से छिपी नहीं है। इस तरह लगता है कि भारत ने पाकिस्तान को घेरने की पूरी तैयारी कर रखी है।

अब जरा भारत में चल रही बयानबाजियों पर गौर करें। पीएम नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में लोगों से कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, बस एक अल्पविराम है। हम शक्ति को पूजने वाले लोग हैं। वैसे भी हमने पाकिस्तान को तीन बार घर में घुसकर मारा है, और जरूरी हुआ तो आगे भी पीछे नहीं हटेंगे। पीएम मोदी ने कहा है कि पाकिस्तान ने हम भारतीयों को बांटने की कोशिश की लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुआ। क्योंकि हम एकजुट थे, हैं और हमेशा रहेंगे। पीएम ने पाकिस्तान के लोगों से भी कहा है कि अपने हुक्मरानों को समझाओ, खुद भी चैन से रहो और हमको भी चैन से रहने दो। आतंकियों और सेना से कहा है कि चैन की रोटी खाओ, वरना हमारी गोली तो है ही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह लहजा आमतौर पर देखने को नहीं मिलता है। परंतु उन्होंने पाकिस्तान के हुक्मरानों, आतंकवादियों और सेना को जिस तरह से चेतावनी दी है उसके साफ संकेत है कि कुछ होने वाला है। उन्होंने पाकिस्तान की अवाम को भी समझाने की कोशिश की है कि वे अपने हुक्मरानों के बहकावे में न आएं और अपने हित की सोचें। और ये सारी बातें अचानक नहीं हो सकतीं।

उधर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लगातार कहा है कि पीओके खुद ही हमारे पास आएगा,, वह खुद कहेगा कि हम भारत के हैं। उन्होंने कहा कि पीओके के लोग भी हमारे ही हैं और हम उनको अकेले नहीं छोड़ सकते। इसके अलावा रक्षामंत्री ने युद्धपोत आईएनएस विक्रांत पर नौसैनिकों से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान को अगर शांति से रहना है वह हाफिज सईद, मसूद अजहर और सैफुल्लाह कसूरी जैसे आतंकवादियों को भारत को सौंपने की बात करे, नहीं तो हम अपने तरीके से कार्रवाई करेंगे। फिर हम पाकिस्तान को ऐसा जवाब देंगे जिसके बारे में उसने कल्पना भी नहीं की होगी। उन्होंने कहा कि है कि मैं फिर बताना चाहता हूं कि आपरेशन सिंदूर अभी खत्म हुआ है सिर्फ अल्पविराम हुआ है। ऐसे में पाकिस्तान को किसी भी हिमाकत से बाज आना चाहिए। रक्षामंत्री का भी यह बयान अनायास तो नहीं हो सकता। यानी कुछ तो है जो आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है।

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी बीते बृहस्पतिवार को जम्मू कश्मीर के राज भवन में उप राज्यपाल और बीएसएफ के अफसरों के साथ बैठक की। इस बैठक में राज्य के डीजीपी भी मौजूद थे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद गृह मंत्री की यह पहली जम्मू कश्मीर यात्रा है। गृहमंत्री ने इस मौके पर पहलगाम हमले और उसके बाद हुए पाकिस्तानी हमले में मृत और घायल लोगों के परिजनों को नियुक्ति प्रमाण पत्र भी वितरित किए। शाह ने यहां सुरक्षा तैयारियों का जायजा लिया और उसे और मजबूत करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में रहने वालों की सुरक्षा के लिए और बंकरों का निर्माण करने के भी निर्देश दिए। सामान्य परिस्थितियों में इस तरह की तैयारियां नहीं होती हैं। ये सभी बातें सैन्य तैयारी के तहत आती हैं, जो आने वाले असामान्य स्थितियों की ओर इशारा करते हैं। यानी गृहमंत्री का भी इशारा साफ है, कभी भी कुछ भी हो सकता है।

दूसरी ओर देश के सीमावर्ती राज्यों में 29 मई को होने वाली मार्क ड्रिल टाल दी गई थी, लेकिन अचानक दो ही दिन बाद इसे 31 को करने का ऐलान कर दिया गया है। सनद रहे कि पिछली बार भी सरकार ने माक ड्रिल करने का घोषणा की थी लेकिन उसके पहले ही ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दे दिया गया था। भारतीय सेना भी लगातार पीओके पर बयान दे रही है। इस सिलसिले में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने कहा है कि हमने एक बार जो कमिटमेंट कर दी है, तो फिर हम खुद की भी नहीं सुनते हैं। उन्होंने कहा कि हम तो प्राण जाए पर वचन न जाए की नीति का पालन करने वाले लोग हैं। ऐसे में पाकिस्तान किसी हिमाकत की ग़लती न करे, और जो हमारा है, उसे जल्द वापस करे। थल सेना अध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भी जब जगतगुरु रामभद्राचार्य से मिलने और गुरु दीक्षा लेने गए तो रामभद्राचार्य ने उनको आशीर्वाद देने के बाद गुरु दक्षिणा में पीओके की मांग कर दी। तो इस पर थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि आपके आदेश का पालन होगा। मीडिया में इसकी बड़ी चर्चा रही। सामान्य स्थितियों में सेना के लोग इस तरह के बयान नहीं देते हैं। ऐसे में इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला, या तो सरकार की तरफ से ऐसे बयान देने की उन्हें छूट मिली हुई है और दूसरा वास्तव में ऑपरेशन सिंदूर अभी चल रहा है, और सेना को पूरी छूट मिली हुई है। और कभी भी किसी भी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। ऐसे में दोनों सेनाधिकारियों के बयान सीधे-सीधे किसी बड़ी होने वाली कार्रवाई का संकेत दे रहे हैं।
इसके अलावा खबर मिली है कि पीओके में फिर आतंकी अड्डे सक्रिय होने लगे हैं। और आतंकवादी बड़ी संख्या में भारत में घुसपैठ की साजिश में है। ऐसे में भारत की सेना की ओर से जबाबी कार्रवाई की पूरी संभावना है। खबरें आ रही हैं कि आतंकी आका हाफिज सईद, मसूद अजहर, सैफुल्लाह कसूरी के समर्थक पाकिस्तान के न्यूक्लियर टेस्ट दिवस के अवसर पर अपने बिलों से निकले हैं। इस मौके पर हुए कार्यक्रम में पंजाब प्रांत के विधानसभा अध्यक्ष भी मौजूद थे। यानी पाकिस्तान में आतंकियों और सरकार की साजिश साफ-साफ दिखती हैं। आतंकियों ने खुलेआम भारत तथा पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विष वमन किया। इस मौके पर आतंकी और पहलगाम कांड का मास्टर माइंड सैफुल्लाह कसूरी भी था। उसने खुलेआम धमकी दी है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या कर देगा और भारत में तबाही मचा देगा। ऐसे में इन आतंकियों का जमावड़ा और भारत के खिलाफ विष वमन भी पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का एक मजबूत आधार हो सकता है। वैसे भी तमाम अज्ञात हमलावर आतंकवादियों को एक-एक करके जहन्नुम पहुंचने के काम में लगे ही हुए हैं।

इस बारे में पूर्व राजनयिक दीपक बोहरा ने कहा है कि पीओके के लोग जम्मू कश्मीर के विकास से बहुत प्रभावित हैं। और वे भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द में भारत के साथ मिल जाएं बस उन्हें एक उचित मौके का इंतजार है। वोहरा ने कहा कि वैसे भी वहां के तीन प्रांतों में आजादी के लिए जंग जारी है। और बलूचिस्तान ने तो अपनी आजादी की घोषणा करके भारत तथा यूनाइटेड नेशंस से मान्यता की मांग कर दी है। उनका तो भारत को सीधा आफर है कि भारत अपनी सेना भेजे, वे स्वागत के लिए तैयार हैं। इसके अलावा सिंध प्रांत में भी अलगाव की बयार बह रही है। वे भी पाकिस्तान से अलग सिंधु देश की मांग कर रहे हैं। इसी प्रकार एक और प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में स्थितियां बहुत अच्छी नहीं हैं। ऐसे में पाकिस्तान अंदरुनी मामलों में फंसा है, जो भारत के लिए मुफीद मौका हो सकता है। जहां बात पीओके की है तो पीओके अगर भारत में आया तो यह सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होगा। भारत को अलगावबाद से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी। इससे पाकिस्तान और चीन के बीच संपर्क टूट जाएगा और हमारी सीमाएं अफगानिस्तान से जुड़ जाएंगी। साथ सामरिक दृष्टि से हम चीन पर दबाव बनाने में भी सफल हो जाएंगे। पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्रालय कई बार यह बात कह चुके हैं कि पाकिस्तान से अगर बात होगी तो सिर्फ पीओके और आतंकवाद पर। अब तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसमें आतंकियों को भारत को सौंपने की मांग भी शामिल कर दी है।
इसके अलावा भारत में 31 मई को होने वाले माक ड्रिल को लेकर पाकिस्तान में बड़ी बेचैनी है। उनको डर है कि भारत कभी भी हमला कर सकता है। इसी कारण स्थानीय लोगों और मीडिया द्वारा इसके लिए लोगों को सचेत किया गया है कि वे कम से कम दो-तीन महीने का राशन जमा करके रखें। उनको डर है कि इस बार सिर्फ हमले हवाई नहीं होंगे बल्कि सेना भी आएगी, समुद्र में नौसेना तैनात होगी। यानी चौतरफा हमले होंगे। पाकिस्तान के रक्षा एक्सपोर्ट हामिद फैज का कहना है कि भारत इस बार बहुत गंभीर हमला करेगा। इसलिए उन्होंने अवाम को सचेत किया है लोग सरकार, सेना और आतंकवादियों के बहकावे में न आएं और अपनी रक्षा की स्वयं तैयारियां करें। सोशल वर्कर्स ने भी आशंका व्यक्त करते हुए कहा है भारत कभी भी हमला कर सकता है इसलिए हमें भारत से हमेशा सतर्क रहना होगा। कुल मिलाकर परिस्थितियां तो बन ही रही हैं, बाकी पाक का भाग्य जाने।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक