रसीला बना दे जो होठों को उनकी भी तो सुनिए

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रसीला बना दे जो होठों को उनकी भी तो सुनिए….. बारह सौ साल पूर्व अरब के वैज्ञानिक अबुल कासिस ने साॅलिड लिपस्टिक का आविष्कार किया था। जबकि फ्रांसीसी परफ्यूम कंपनी Guertain को लिपिस्टिक का सबसे पहले उत्पादन करने का श्रेय दिया जाता है। इससे एक और भी इतिहास जुड़ा है- बेलनाकार यानी सिलेंडर आकार में लिपिस्टिक को बाजार में उतारने वाले थे माॅरिस लेवी,  उन्होंने 1915 में यह कारनामा कर दिखाया था। और अब तो लिपिस्टिक महिला की घनिष्टतम-निकटतम- हरपल की परमानेंट सहेली है।

लिपस्टिक के सैकड़ों बनाने वाले हैं और इसके इतने ढेर सारे ब्रांड हैं कि उनकी लिस्ट बनाने में एक बुकलेट तैयार हो जाएगी। फिर भी इस पापुलर फीमेल पार्टनर के बारे में जानना तो थोड़ा सा जरूरी है। भारत में कमोबेश सभी इंटरनेशनल ब्रांडों की मौजूदगी है। देशी ब्रांड भी बाजार में समानांतर चल रहे हैं। जैसा पर्स एलाउ करे वैसी कीमत का ब्रांड हाजिर मिलता है। वैराइटीज़ ! इतनी कि बयान नहीं की जा सकतीं। यकीनन पुराने ज़माने में पान पत्ता में गीला चूना-कत्था लगे पान पत्ता में लौंग इलायची और सरौते से कटी सुपाड़ी के टुर्रे और पेपरमिंट के दाने से सजा बीड़ा होंठों पर कुदरती लाली बिखेरती थी। वे दिन बीते वे बातें गईं। लिपस्टिक की साल दर साल बढ़ती मांग का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि अपने देश में करोड़ों की संख्या में लिपस्टिक खरीदी जाती हैं। मार्केट रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में देश में तीन करोड़ दस लाख से भी अधिक लिपस्टिक खरीदी गईं।

होठों को रसीला दर्शाने में लिपिस्टिक के आजू-बाजू लिपग्लॉस को भी महत्व मिला है, जहां तक खपत का संबंध है लिपस्टिक की तुलना में महज नौ-दस प्रतिशत महिलाएं ही अपने होठों पर लिपग्लॉस को जगह देती हैं। बाजार में आहिस्ता-आहिस्ता हरबल लिपस्टिक की बिक्री बढ़ रही है। लेकिन इनकी ग्राहकी अभी उच्चवर्ग तक ही सीमित है। महंगी होना भी एक कारण है। लोटस हरबल्स 625 रु की, जस्ट हर्ब्स की 1600-2500रु व टिंटेड लिपबाम 295 रु, सूरट्री 1295 रु, लवचाइल्ड मसाबा (4 ग्राम) 600 रु कीमत पर बिकती है।

कलरबार, रेवलाॅन, एवन, लोटस, लओरियल, इनसाइट, शुगर (भारतीय ब्रांड), लक्मे से लेकर मेबलिन, 9 टु 5, फेसेज़ कैनडा जैसे पुराने और विदेशी कंपनियों के ब्रांड की लिपस्टिक लेडीज़ पर्सों और ड्रेसिंगटेबल में सजी दिखाई पड़ती हैं। भारत में इनका उत्पादन तो होता ही है लेकिन प्रमुख रूप से बेल्जियम और चीन से आयात भी अच्छा-खासा आयात होता है। लेकिन कई विदेशी ब्रांड ऐसे भी हैं जो फैशनेबल महिलाओं को रिटेल शाॅप्स और यहां तक कि माॅल्स में भी ढूंढ़े नहीं मिलते जैसे कि GUERTAIN KISS KISS Gold, Diamond (मूल्य 48लाख रु), वेस्टर्न एटेलियर्स (मूल्य 7200-7500 रु), एडवर्ड बेस बिग किस (मूल्य 6000 रु)।

प्रणतेश बाजपेयी