लखनऊ। युवाओं को रोजगार से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम में लगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘ऑनलाइन स्वरोजगार संगम’ कार्यक्रम एक साथ 5,06,995 युवाओं को ₹4313.58 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया। विशेष कार्यक्रम में ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के अंतर्गत प्रशिक्षित 75,000 परंपरागत कारीगरों को निःशुल्क टूलकिट भी मिला तो योगी सरकार की महत्वपूर्ण योजना ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के 10,000 प्रशिक्षण प्राप्त हस्तशिल्पियों को भी टूलकिट भी दिया गया।
वर्चुअल माध्यम से अयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की पारंपरिक शिल्पकला और शिल्पकारों की तारीफ की तो ओडीओपी, मुद्रा योजना, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना जैसे प्रयासों से रोजगार, व्यवसाय के लिए सरलता से उपलब्ध हो रहे वित्तीय संसाधनों से युवाओं की तरक्की पर खुशी भी जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप जब एक व्यक्ति को नौकरी देते हैं, तो वह सिर्फ एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि इससे पूरे परिवार का पेट भरता है। एक परिवार स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर होता है। उसको देख पूरा गांव उस नवाचार के साथ जुड़ता हुआ दिखाई देता है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, ओडीओपी वित्त पोषण हेतु सहायता योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, मुद्रा योजना आदि के माध्यम से इन लोगों को एक नई राह मिली है। आज हम प्रदेश के सभी जनपदों में 75,000 महिलाओं को निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। उनमें से 21,000 महिलाओं को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत ऋण भी उपलब्ध करा रहे हैं। यह महिलाएं, आर्थिक रूप से स्वावलंबी होंगी तो समाज भी सशक्त होगा। सरकार के ‘मिशन शक्ति’ का उद्देश्य भी यही है।
हर जिले को मिली खास पहचान : यूपी की शिल्पकला की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम से जुड़े हुए कलस्टर पहले से मौजूद हैं। हमारे पूर्वजों ने अपनी दूरदर्शिता से हर क्षेत्र को विशिष्ट पहचान दी थी। वाराणसी में साड़ी है तो भदोही में कालीन, फिरोजाबाद में कांच के उद्योग है तो मुरादाबाद के पीतल कारोबारी विश्वप्रसिद्ध हैं। कन्नौज का इत्र हो, या मेरठ के स्पोर्ट आइटम, हर जगह एक औद्योगिक क्लस्टर था। हर जगह की अपनी एक अलग पहचान थी। लेकिन बीच के कालखंड में उपेक्षा के कारण यह पहचान खंडित हो गई। वर्ष 2017 में जब हमारी सरकार आई तो इन विशिष्टताओं की पहचान कर ओडीओपी के माध्यम से इस क्लस्टर को पुनर्जीवित किया गया। अब एक बार फिर प्रदेश के पारंपरिक शिल्प, हुनर को विश्व में प्रतिष्ठा मिल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज एक जनपद-एक उत्पाद योजना के माध्यम से हम लोगों ने सभी 75 जनपदों को ब्रांड बनाने के लिए एक-एक उत्पाद को उन जनपदों से जोड़ा है। इससे ढेर सारी रोजगार की संभावनाएं इससे सृजित हुई हैं।
रोजगार की असल स्थिति बताती पुस्तक का विमोचन : मुख्यमंत्री आवास पर सम्पन्न इस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ, विभागीय मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और राज्य मंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने एमएसएमई इकाइयों में रोजगार सृजन पराधारित पुस्तिका का विमोचन भी क़िया। अपर मुख्य सचिव एमएसएमई, डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि 11 लाख एमएसएमई इकाइयों में कराये गए सर्वेक्षण में इस बात की पता चला कि यहां 27 लाख लोगों को रोज़गार प्राप्त हुआ है। बीते पौने 05 वर्षों में हमने 95 लाख 49 हजार इकाइयों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराकर वित्तीय रूप से स्वावलंबी बनाया और इस प्रकार विगत करीब 03 करोड़ से अधिक युवा इन इकाइयों में प्रत्यक्ष रूप से सेवायोजित हो सके हैं।
औरंगाबाद के अखिलेश ने तो कमाल कर दिया : स्वरोजगार संगम कार्यक्रम में वर्चुअली विभिन्न जिलों के लाभार्थियों से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने सभी के व्यवसाय की स्थिति, आर्थिक स्थिति परिवार आदि के बारे में जानकारी ली। सिद्धार्थ नगर में सर्जिकल बैंड निर्माण का कारोबार करने वाली शीला, मुरादाबाद में मेटल हैंडीक्राफ्ट सजावटी सामान बनाने वाली अनीशा बंसल, वाराणसी में मेटल शीट कटिंग का काम करने वाले स्पर्श अग्रहरि, कानपुर देहात में हलवाई का काम करने वाले दिनेश अवस्थी, सहारनपुर में लकड़ी के फर्नीचर का निर्माण करने वाले इस्तखार से बातचीत की। वहीं गोरखपुर के टेराकोटा शिल्पकार अखिलेश चंद्र ने सीएम को बताया कि उन्होंने 6-8 लोगों को रोजगार भी दिया है और सालाना दो-ढाई लाख रुपये बचत कर लेते हैं। अखिलेश की शानदार आय पर खुशी जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि औरंगाबाद के अखिलेश ने तो सचमुच कमाल किया है। वहीं मथुरा में ठाकुर जी की पोशाक तैयार करने वाली कंचन ने हर दिन 1100-1200 रुपये की आमदनी होने की जानकारी दी और मुख्यमंत्री को बताया कि सरकार के सहयोग से मिला ऋण उन्हें कारोबार बढ़ाने बहुत सहयोगी है। मुख्यमंत्री ने सभी के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा यह लोग स्वावलम्बन की मिसाल हैं। इन लोगों ने न केवल स्वावलम्बन हासिल किया है, बल्कि अनेक लोगों को सेवायोजित किया है।