जानिए आखिर क्या है लाइफस्टाइल डिसीजीज

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वर्तमान समय में लाइफस्टाइल से जुड़ी हुई बीमारियां और समस्याएं जनसामान्य के लिए ही नहीं चिकित्सकों के लिए भी एक चिंता का विषय है। देश की जानी-मानी चिकित्सक डॉक्टर रजनी पोरवाल, मुख्य परामर्शदाता श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर ने इस ज्वलंत विषय पर जनसामान्य के लिए बचाव संबंधी बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी है।

क्या है लाइफस्टाइल डिसीजीज : कंप्यूटर मोबाइल और टेलीविजन पर घंटों समय बिताना, गलत खानपान, आलसी निष्क्रिय और श्रमहीन जीवनशैली और पटरी पर उतरी बायलाजीकल क्लॉक के दुष्प्रभावों के कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी रोगों और समस्याओं को लाइफस्टाइल डिजीज कहते हैं। आज की भागदौड़ भरी व्यस्त दिनचर्या में विज्ञान को प्रकृति से भी महान और बड़ा समझने की गलत सोच, नेचर के खिलाफ भोग विलासी सुख सुविधा वाली जीवनशैली से होने वाली अधिकांश शारीरिक और मानसिक बीमारियां केवल शहरी क्षेत्रों में ही नहीं गांव देहातों में भी तेजी से पैर फैला रही हैं।

लिस्ट लंबी है बीमारियों की : एलर्जी, दमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, थायरॉइड, अम्लपित्त, कैंसर, सांस रोग, जोड़ों कमर व गर्दन का दर्द, मासिक के समय असहनीय दर्द पीसीओडी, मातृत्व सुख से वंचित होना, संपूर्ण शरीर के अंग सामान्य किंतु तोंद, जंघा और कूल्हों पर हटीली चर्बी इकट्ठे होना, वास्तविक उम्र से ज्यादा की दिखाई देना, बालों का बेवजह गुच्छों गुच्छों टूटना और असमय भरी जवानी में ही बालों का सफेद हो जाना, तनाव, अनिद्रा, एंजायटी डिप्रैशन आदि आदि अनगिनत बीमारियां खराब जीवनशैली का ही नतीजा हैं।

जानलेवा है प्रदूषण : आधुनिक युग में हमने विज्ञान की मदद से जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति के उच्चतम बिंदु को छुआ है। किंतु इसका परिणाम विभिन्न प्रकार के रेडियोधर्मी, रासायनिक, मिट्टी, जल वायु और ध्वनि प्रदूषण ने शहरी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों की सेहत को बुरी तरह खराब किया है। शहरी क्षेत्रों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों मैं हो रही अनियोजित औद्योगिकीकरण के कारण वहां की वायु में मौजूद विभिन्न प्रकार की रासायनिक घातक गैसे ही नहीं कैडमियम, क्रोमियम, काॅपर, लेड, मरकरी तथा निकिल जैसी भारी धातुओं की हवा में मौजूदगी ने जनसाधारण को बीमारी के गर्त में धकेल दिया है। जल प्रदूषण से बीमार होने वाली मानवता की संख्या भी भयावह है। वास्तव में प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों के विरुद्ध विज्ञान के बढ़ते कदम मानव को तात्कालिक सुख तो दे सकते हैं किंतु शारीरिक और मानसिक अनेकों अनेक बीमारियां भी आधुनिक जीवनचर्या की ही देन है।

क्या है उपाय : हमारी आरोग्यता को नष्ट करके हमें रोगों के समुद्र में धकेलने वाली आधुनिक दिनचर्या में केवल सजगता और सावधानी रखना ही स्वस्थ रहने का एकमात्र उपाय है। क्योंकि जल वायु ध्वनि व रासायनिक प्रदूषण ऐसे हैं, जिन्हें कोई एक व्यक्ति समाप्त नहीं कर सकता किंतु इनसे यथासंभव बचाब हमारी सशक्त इम्यूनिटी और बीमारियों से बचने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

बंद आंखें भी खोलें : आधुनिक, उच्च शिक्षित और ज्ञानवान होने पर भी हम अपनी सेहत को दूसरी और चीजें जैसे नौकरी, सामाजिक संबंधों, व्यापार, धन-संपत्ति आदि की तुलना में कम महत्व देते हैं यह छोटी सी भूल हमारे जीवन की एक-एक सांस को दुख और कष्टमय बना देती है। छोटी-छोटी बीमारियों पर एलोपैथी दवाइयों की अत्यधिक निर्भरता भी अच्छी सच्ची और आनंददाई आरोग्यता को खत्म कर रहीं है। विभिन्न एलोपैथी औषधियों के दुष्प्रभावों को जानते हुए भी हम आंख बंद कर उनका सेवन बडी शान से प्राथमिकता से करते रहते हैं और आयुर्वेद रूपी मां और योग रूपी लालन-पालन करने वाली महाविद्या का आधुनिकता के नाम पर उपहास उड़ाते हैं। जबकि आयुर्वेद योग की सत्यता जानते हैं और समाज में देखते हैं कि योग करने वाला व्यक्ति आयुर्वेद की औषधियों का सेवन करने वाला व्यक्ति निरोगी एवम लंबी आयु जीता है बीमारीमुक्त जीवन जीता है। यह सब हम जानते तो हैं किंतु स्वयं के लिए और अपने परिवार के लिए अमल नहीं करते और आयुर्वेद योग के प्रति पूरीश्रद्धा और भरोसा नहीं जुटा पाते जो अनेक परिस्थितियों में व्यक्ति को शरीर ही नहीं मन मस्तिष्क के विभिन्न बीमारियों और रोगों से ग्रासित करके रोगी जीवन जीने को विवश कर देता है।

करें क्या ? : अपने कीमती और व्यस्त समय में से 10 से 20 मिनट प्रतिदिन योगाभ्यास आसन प्राणायाम सटकर्म आदि के लिए जरूर निकालें। तला मसालेदार घर पर बना चटपटा खाना, बाजार का जंक फूड फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक, चाय, डिब्बाबंद आहार जैसे खाद्य पदार्थों का परित्याग करें। बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला, गुटखा, भांग, गांजा, शराब जैसे नशीले पदार्थों से दूरी बनाएं। शराब आजकल स्टेटस का सिंबल बन गई है। इस भ्रम से दूर रहें। खानपान में ताजा दूध, दही, छाछ, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसम के ताजे फल, दलिया, खिचड़ी, ताजा कटा हुआ सलाद, अंकुरित अनाज, ड्रायफ्रूटस शामिल करें। निरोगी आरोगयमय और अच्छी सेहद का हमेशा ख्याल रखें। सावधानी बरतने और सजग रहने के बाद भी जब रोग ग्रसित हो जाएं या बीमार हो जाए तो आयुर्वेदिक उपचार को प्राथमिकता दें उस पर पूरा विश्वास करें।