जानिए स्वस्थ जीवन जीने का मूलमंत्र

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स्वस्थ रहने के नियम… आज व्यस्तता पूर्ण जीवन चर्या और आधुनिकतम जीवन शैली अनेकों रोगों का कारक बन गई है। ऐसे समय हम अपने भोजन में परिवर्तन, कुछ साधारण घरेलू उपाय और सावधानियां करके पूरे परिवार को अस्वस्थ होने से बचा सकते हैं। इस विषय पर डॉक्टर रजनी पोरवाल मुख्य चिकित्सक श्रीनाथ आयुर्वेद संस्थान सिविल लाइंस भगवतदास घाट रोड कानपुर ने बहुत ही ज्ञानवर्धक और आंखें खोल देने वाली जानकारी दी है।

भोजन की आरोग्यकारी जानकारी
1.भोजन करने के तुरंत बाद पानी ना पिए बाजार का मिष्ठान ना खाएं एक छोटा चम्मच मोटी सौंफ और 5 ग्राम गुड़ का सेवन भोजन करने के तुरंत बाद अत्यंत हितकारी है। भोजन के 30 मिनट से 40 मिनट के बाद पानी पीना अमृत सदृश्य हितकारी होता है। खट्टे फलों देसी नींबू पानी संतरे अथवा अनन्नास का ताजा रस भी भोजन के आधे घंटे बाद घुट घुट कर के पीना संपूर्ण पाचन तंत्र और पाचन ग्रंथियां जैसे लिवर पेनक्रियाज और आंतों की सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है।

2.भोजन ताजा हो और भोजन में बहुत मात्रा में मिर्च मसाले और तेल का प्रयोग न करें। प्याज लहसुन टमाटर अदरक आदि को जब रिफाइंड ऑयल में तला और भूना जाता है तो यह इन तथ्यों की पौष्टिकता को कम करने के साथ-साथ बहुत ही गरिष्ठ खाद्य पदार्थ के रूप में बदल जाता है। उसका नियमित रूप से सेवन करने से लीवर कमजोर होता है। पाचन क्रिया भी मंद हो जाता है और हमारी धमनियों में कोलेस्ट्रोल जमा होने लगता है जो जीवन के लिए नुकसानदायक माना जाता है।

3.जंक फूड और फास्ट में फैटी एसिड्स के साथ-साथ बड़ी मात्रा में प्रिजर्वेटिव्स, रंग और घातक रसाइन होते हैं जो अच्छी सेहत के दुश्मन है। इनमें हमारे आहार का अति आवश्यक तत्व फाइबर भी नहीं होता है जो हमारी आंतों की कार्य क्षमता को कम करता है और अनचाहे कब्ज गैस के साथ-साथ पाइल्स जैसी समस्या का कारण बन जाता है। छोटे बच्चों को यदि जंक फूड और फास्ट फूड की बचपन से ही आदत लग जाती है तो युवावस्था में इनका हमेशा लीवर कमजोर होता है व पेट में गैस बनने लगती है। हृदय रोग उच्च रक्तचाप मानसिक तनाव डिप्रेशन और मधुमेह जैसी बीमारियां भी दुख देती हैं।

4. भोजन बनाने में केमिकली प्रोसेस्ड रिफाइंड ऑयल के स्थान पर किसान या छोटे छोटे व्यापारी जो कोल्हू या स्पेलर से तेल निकालते हैं। यह साधारण रिफाइंड किया हुआ तेल होता है। जिसमें पौष्टिक तत्व और विटामिन नष्ट नहीं हो पाते। इस हानि रहित तेल का प्रयोग करने से हमारे शरीर को पौष्टिक तत्वों की पूर्ति तो होती ही है। साथ ही साथ शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ती है।

5. खाना पकाते समय आयोडाइज्ड नमक को कुकर में डालकर पकाना नहीं चाहिए। दाल या सब्जी में सेंधा नमक ही डालकर कुकर में पकाएं। अथवा दाल या सब्जी पकने के बाद आयोडाइज्ड नमक मिलाकर सेवन करें। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। अरहर की दाल या अन्य दालो को कम से कम 30 मिनट पानी में भिगोने के बाद ही कुकर में पकाएं, और ध्यान रखें कि कुकर का ढक्कन दाल के पानी में तैरने लगे झाग को सावधानी से बाहर निकालकर ही बंद करें। दाल को बहुत तेज आंच पर गलाना नहीं है। धीमी आंच पर पकाना चाहिए, यही दाल स्वाद में बेमिसाल और सेहत के लिए लाभकारी होती है।