जे के सीमेंट : बागडोर अब युवाओं के हाथ

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वर्ष 2023 तक जेके सीमेंट की स्थापित क्षमता को बढ़ाकर सालाना 1 करोड़ टन करने का लक्ष्य

कंपनी विश्व में ह्वाइट सीमेंट के मामले में दूसरे नंबर पर

जे के आर्गनाइजेशन के गौरहरि  सिंघानिया समूह की फ्लैगशिप कंपनी जे के सीमेंट लि. की बागडोर सिंघानिया ग्रुप के ही नौजवानों मगर सक्षम हाथों में सौंप दी गई है। माडर्न टेक्नोलॉजी, दशकों से बाजार के तजुर्बेदार प्रोफेशनल्स की सधी रणनीति और जोश से लबरेज़ नई शीर्ष लीडरशिप के तालमेल से कंपनी को नई ऊंचाईयों पर ले जाने की तैयारियां भी शुरू कर दी गईं हैं।

पिछले माह 13 अगस्त को जे के सीमेंट के सीएमडी यदुपति सिंघानिया बीमारी के कारण सिंगापुर में शरीर छोड़ गए। सिंघानिया परिवार के लिए शाकिंग था। राय के तहत 31 अगस्त को जेके सीमेंट के बोर्ड  आॅफ डाइरेक्टर्स की बैठक  में यदुपति की मां (देवलोकीय गौरहरि  सिंघानिया की जीवनसंगिनी) बोर्ड मेंबर सुशीला देवी सिंघानिया को कंपनी की चेयरपर्सन तत्काल प्रभाव से नियुक्त करने का निर्णय लिया गया।

इसी बैठक में यदुपति के एक चचेरे भतीजा राघवपत सिंघानिया को मैनेजिंग डायरेक्टर और दूसरे चचेरे भतीजा माधवकृष्ण सिंघानिया को डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के साथ-साथ सीईओ नियुक्त कर दिया गया । राघव कंपनी में एक्सीक्यूटिव डायरेक्टर (कारपोरेट, ह्वाइट सीमेंट) और माधव एक्सीक्यूटिव डायरेक्टर (ग्रे सीमेंट) थे। कई दशकों से जुड़े प्रोफेशनल और सीएफओ अजय सरावगी को अगले पांच वर्षों तक के लिए  डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया। सरावगी सीएफओ पद पर भी बने रहेंगे।

एक और निर्णय लिया गया, यदुपति की पत्नी कविता सिंघानिया को 2021 में होने वाली एजीएम तक एडीशनल डायरेक्टर नियुक्त किया गया। बोर्ड के इन निर्णयों पर कंपनी के शेयर धारकों की मंजूरी वोटिंग के जरिए ली जा रही है। जानकारी ये है कि वर्ष 2023 तक जेके सीमेंट की स्थापित क्षमता को बढ़ाकर सालाना 1 करोड़ टन करने का लक्ष्य है। मौजूदा स्थापित क्षमता 1 करोड़ 5 लाख टन ग्रे सीमेंट और 12 लाख टन ह्वाइट सीमेंट की है। यह कंपनी विश्व में ह्वाइट सीमेंट के मामले में दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा यह वाॅल पुट्टी (सालाना 7 लाख टन क्षमता) उत्पादन में देश में दूसर पायदान पर खड़ी है। इसके 7 प्लांट हैं। यूनाइटेड अरब अमीरात में जो प्लांट है उसमें ह्वाइट, ग्रे दोनों तरह की सीमेंट बनाने की टेक्नोलॉजी है।

भविष्य में  उत्पादन, कच्चामाल (लाइमस्टोन वगैरह), ऊर्जा और ट्रासंपोर्टेशन में लागत कम करने तथा क्वालिटी को बेहतर करने की रणनीति अपनाई जा रही है । दरअसल यदुपति आईआईटियन होने के साथ-साथ उद्योग बाजार में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भविष्य में होने वाले बदलावों को पढ़ लेने की अद्भुत क्षमता रखते थे, चुस्त प्रबंधन दादा परदादा से मिला था।

उन्होंने कंपनी के प्लांट्स में खुद के बिजली संयंत्रों की स्थापना, वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन, कच्चे माल के मिश्रण अनुपात, नए तरह के कच्चे माल के इस्तेमाल, संयंत्रों से निकलने वाली ऊर्जा का दोबारा उपयोग करने के लिए पूंजी लगाने में आगे रहते थे । बाजार में कांटे की प्रतिस्पर्धा होते हुए भी इन तकनीकी उपायों के बल पर जे के सीमेंट मुनाफा कमाई में दूसरे धुरंधर खिलाड़ियों से आगे निकल गई। कंपनी की खुद की कच्चे माल की खदानों में ड्रोन से निरीक्षण, सर्वे कराना उन्होंने ही शुरू कराया। मिसाल के तौर पर_अन्य सीमेंट उत्पादकों से हटकर आर एफ आई डी हार्डवेयर, मशीन इंटरफेसिंग साॅफ्टवेयर और कंपनी के खुद के आर ऐंड डी में तैयार किए गए बिजनेस लाॅजिक टूल का माल ढुलाई में, उत्पादन में, सप्लाई चेन में और मार्केटिंग में अपनाने से 40-50 रुपए प्रति टन की बचत करने में कामयाबी मिली।

अब आते हैं नए टीम लीडर पर, एम डी राघव ने एप्लाइड साइंस इन बिजनेस मैनेजमेंट और हाॅस्पिटैलिटी में शेफ़्फील्ड हेलम यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली हुई है। वह न्यू बिजनेस डेवलपमेंट, सीमेंट, मैनेजमेंट, मार्केटिंग स्ट्रेटजी, कस्टमर सर्विस और टीम मैनेजमेंट में भी काफी कुशल हैं। उन्हें पहले ‘जे के रत्न’ से विभूषित किया जा चुका है। वैसे जे के सीमेंट ने 2020, 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 5463 करोड़ रुपए के टर्नो्वर पर कर बाद (पी ए टी) 400 करोड़ रुपए का लाभ कमाया। 77.26 करोड़ रुपए की शेयर पूंजी पर खड़ी इस कंपनी ने 2019-20 के लिए शेयरधारकों को 75 प्रतिशत लाभांश दिया।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी