देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली कांग्रेस पार्टी इस समय शायद दिशाहीन हो गई है। उसके कर्णधारों को न तो जनता की नब्ज का पता है और न ही कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल। इसलिए धीरे-धीरे सभी पुराने दिग्गज पार्टी का साथ छोड़ते जा रहे हैं। अगर यही गति रही तो कहीं कांग्रेस खोखली न हो जाए। पार्टी छोड़ने वालों में से अधिकतर ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है। कुछेक ने भाजपा जैसी ही विचारधारा वाली अन्य पार्टियों का साथ पकड़ा है। हालत तो यह है कि टीवी चैनलों पर पार्टी के लिए गला फाड़ने वाले प्रवक्ता भी किनारा करते जा रहे हैं। रायबरेली के एक दिग्गज कांग्रेसी दिनेश प्रताप सिंह ने तो 2019 के लोकसभा चुनाव में पहले सोनिया गांधी को भाजपा की ओर से चुनौती दी और अब 2024 में राहुल गांधी को चुनौती दे रहे हैं। पार्टी छोड़ने वाले लगभग सभी कांग्रेसियों का एक ही आरोप है कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी जा रही है।
हालांकि कांग्रेसियों द्वारा पार्टी छोड़ने का सिलसिला मोदी राज आने के बाद से ही शुरू हो गया था किंतु पिछले 6 महीने में यह बहुत तेजी से बढ़ा है। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद तो जैसे इसकी बाढ़ आ गई हो। इस कड़ी में बड़ा नाम था मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी व केंद्रीय मंत्री रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया का। उन्होंने पार्टी छोड़ी तो उनके सहयोग से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराकर भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। इनाम स्वरूप ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजकर केंद्रीय मंत्री का पद दिया गया। लगभग उन्हीं के आसपास यूपी के पडरौना से पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे आरपीएन सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी। वे भी इस समय भाजपा की नाव पर सवार होकर राज्यसभा सभा से सांसद हैं। उसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ा और एमएलसी बनकर योगी सरकार में मंत्री बने।
लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद तो लगता है जैसे कांग्रेस छोड़ने की होड़ सी लग गई है। इस दौरान पार्टी छोड़ने वालों में महाराष्ट्र के दिग्गज कांग्रेसी और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेज कर पार्टी छोड़ने का इनाम दिया। उसके ठीक बात महाराष्ट्र के बड़े कांग्रेसी रहे मिलिंद देवड़ा ने भी पार्टी छोड़ी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का दामन थाम लिया। वे अब शिवसेना के टिकट पर मुंबई से लोकसभा प्रत्याशी हैं। कांग्रेस के दिग्गज प्रवक्ता रहे रोहन गुप्ता ले तो पार्टी का टिकट ही ठुकरा दिया और बाद में पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया। सुना है कि वे भी भाजपाई हो गए हैं।
कांग्रेस के सूरत से प्रत्याशी ने तो आखिरी दिन अपना पर्चा वापस ले लिया। वहां भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिए गए। इसी प्रकार इंदौर में भी कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना पर्चा वापस ले लिया और भाजपा के खेमे में शामिल हो गए। उड़ीसा में भाजपा नेता संबंधित पात्रा के खिलाफ घोषित कांग्रेस प्रत्याशी ने पार्टी पर फंड न देने का आरोप लगाते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। यहां पार्टी को दूसरे प्रत्याशी की घोषणा करनी पड़ी।
टीवी चैनलों पर पार्टी का पक्ष रखने वाली प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कुछ दिन पहले पार्टीजनों पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। अब वे शिवसेना उद्धव गुट का दामन थामे हुए हैं। हाल ही में कांग्रेस के कुछ और नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। इनमें गौरव वल्लभ का नाम प्रमुख है। इसी प्रकार लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद हरियाणा में दिग्गज कांग्रेसी नवीन जिंदल ने भी कांग्रेस छोड़ दी। वे अब भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उसके बाद बारी आई प्रियंका गांधी के कथित सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम की। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण ठुकराने का विरोध करते हुए उन्होंने अपनी आवाज मुखर की। बाद में अपने कल्कि धाम के शिलान्यास समारोह में जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया तो पार्टी ने उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने भी हाल ही में पार्टी में उपेक्षा का आरोप लगाकर पहले अपना पद छोड़ा और दो-चार दिनों बाद पार्टी भी छोड़ दी। वे भी अब भाजपा की नाव पर सवार हैं। उनका यह कदम दिल्ली के लोकसभा सीटों का समीकरण बिगाड़ सकता है। लगभग इसी समय महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता संजय निरुपम ने भी पार्टी छोड़ी। वे भी भाजपा में शामिल होकर रामधुन गा रहे हैं। इन्होंने भी पार्टी में उपेक्षा का आरोप लगाया है।
ताजा मामला पार्टी प्रवक्ता राधिका खेड़ा का है। उनके अनुसार छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से प्रचार के लिए गई थीं तो वहां पर उनके साथ बदसलूकी की गई। उन्होंने अपनी बात पार्टी फोरम पर रखी किंतु उनकी नहीं सुनी गई। उन्होंने जयराम रमेश को आरोपित करते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उनका आरोप है कि दोषी को टिकट भी दे दिया गया लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। अब वे भी भाजपा की नाव पर सवार हैं। उन्होंने मंगलवार दिनांक 7 मई 2024 को भाजपा की सदस्यता दिल्ली में ले ली है। उनके साथ प्रमुख टीवी कलाकार और कई फिल्मों में काम कर चुके शेखर सुमन ने भी भाजपा की सदस्यता ली है।
जिन्होंने हाल के दो-तीन वर्षों में पार्टी छोड़ी है उन सब का एक कामन आरोप है कि पार्टी में उनकी पूछ नहीं होती, उनके सुझावों पर ध्यान नहीं दिया जाता और उनके साथ बदतमीजी की जाती है। यह भी आरोप है कि चाहे सोनिया गांधी हों, राहुल गांधी हों या फिर प्रियंका गांधी हों, उनसे सीधी बात कभी हो ही नहीं पाती। और उनके पीए सीधे मुंह बात नहीं करते। उनका कहना है कि जब कार्यकर्ता की बात ही नहीं सुनी जाएगी तो पार्टी में कैसे काम कर पाएगा। ऐसे में पार्टी छोड़ देना ही एक अच्छा विकल्प है।
अभयानंद शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ