जलमहल सपनों की दुनिया नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

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जल महल को वास्तुशास्त्र का विलक्षण आयाम कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जल महल की सुन्दरता भी नायाब है। मान सागर झील के मध्य स्थित जल महल की ख्याति देश दुनिया में है। अरावली पर्वत श्रंखला के मध्य स्थित यह महल शान-ओ-शौकत का एक सुन्दर नगीना है। झील के मध्य में स्थित होने के कारण इसे आई बॉल भी कहा जाता है। दो मंजिला इस महल में सुन्दरता का हर आईना मौजूद है।

शायद इसी लिए इसे रोमांटिक महल भी कहा जाता है। राजा जय सिंह के शासनकाल में निर्मित यह महल मध्यकालीन महलों की तरह है। इसमें खास तौर से सुन्दर मेहराब, नक्काशीदार बुर्ज, आकर्षक छतरियां एवं आलीशान सीढ़ियां हैं। सुन्दरता का एक आयाम यह भी है कि जल महल के निर्माण में राजपूताना शैली के साथ ही मुगल शैली की खासी झलक मिलती है। जल महल को सुरम्य बनाने के लिए सुन्दर बगीचा भी बनाया गया था। खास यह कि जल महल के इस बगीचे में बड़ी संख्या में वृक्ष हैं। राजस्थान के सर्वाधिक ऊंचाई वाले वृक्ष भी यहां पाये जाते हैं।

लिहाजा जल महल क्षेत्र अब पक्षी अभ्यारण का स्वरूप भी ले रहा है। पक्षी अभ्यारण में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का कोलाहल-कलरव रहता है। विशेषज्ञों की मानें तो राजा जय सिंह ने इस शानदार एवं विलक्षण महल का निर्माण खास प्रयोजन से कराया था। जयपुर-आमेर मार्ग पर स्थित मान सागर झील के मध्य इस जल महल का निर्माण स्नान के खास मकसद से कराया गया था।

राजा जय सिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों एवं पंड़ितों के स्नान के लिए बनवाया था। जल महल के निर्माण से पहले राजा जय सिंह ने जयपुर की जलापूर्ति के लिए गर्भावती नदी पर बांध बनवा कर मान सागर झील का निर्माण कराया था। इसका निर्माण वस्तुत: 1799 में कराया गया था। राजपूत शैली में संरचित इस जल महल का निर्माण नौकाओं के सहयोग से किया गया था। राजा जय सिंह अपनी रानी के साथ जल महल में खास वक्त बिताया करते थे। जल महल का उपयोग खास उत्सव के आयोजन के लिए भी करते थे।

खास यह कि जल महल तपते रेगिस्तान में भी शीतलता प्रदान करता है। कारण जल महल का एक बड़ा हिस्सा पानी के अंदर बना है। जल महल से पहाड़ एवं झील का अति खूबसूरत नजारा दिखता है। चांदनी रात में झील का पानी एवं जल महल का सुन्दर नजारा दिखता है। खास यह कि जल महल के रास्तों को भी अति सुन्दर तौर तरीके से सजाया गया है। निकट ही चमेली बाग है। चमेली बाग की सुगंध दिल-दिमाग को तरोताजा कर देती है। मान सरोवर के आगे विशाल पर्वत श्रंखला देखने को मिलती है। सरोवर के शीर्ष पर ऐतिहासिक किले एवं मंदिर हैं।

शीर्ष से जल महल की दिव्यता-भव्यता का अंदाज कुछ अलग ही दिखता है। जल महल की दिव्यता-भव्यता को ध्यान में रख कर इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। खास यह कि जल महल की यात्रा करने का सबसे उत्तम समय सितम्बर के बाद होता है।

जयपुर स्थित जल महल की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जयपुर है। निकटतम रेलवे स्टेशन जयपुर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।