खर्राटे व्यक्तिगत रूप से शर्मिंदा करने के साथ-साथ नजदीक सो रहे दूसरे परिजनों को भी कष्ट पहुंचाने वाली बीमारी है। यह लाइफ़ स्टाइल डिसीज की श्रेणी की यह बीमारी जब बहुत अधिक बढ़ जाती है तो जीवन के लिए खतरा बन जाती है।
जानिए खर्राटे की करामात को : सोते समय सांस गति के साथ स्वभाविक प्रक्रिया में रुकावट, तेज आवाज और युत्युला के ऊतकों में वाइब्रेशन के कारण होने वाले थरथराहट को खर्राटे के रूप में जानते हैं। इस स्थिति को ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया या ओ एस ए भी कहते हैं।
यह भी जिम्मेदार है : जीभ का बड़ा होना, नीचे का जबड़ा छोटा होना गर्दन का सामान्य से छोटा होना तथा किसी कारण से सोते समय पीछे की ओर श्वास नली मे अवरोध के कारण भी खर्राटे आते हैं।
सावधानियां ही बचाव है : कुछ छोटी-छोटी सावधानियों को रखकर हम खर्राटे की समस्या से पूरी तरह निजात पा सकते हैं और खर्राटे से होने वाले मृत्यु के खतरों से पूरी तरह बच सकते हैं।
1.बजन को बढ़ने ना दें, मोटापा खर्राटा का एक बड़ा कारण है। खर्राटा के अधिकांश मरीजों में मोटापा, शरीर का वजन ज्यादा होना जैसे तकलीफ पाई जाती है।
2.नाक से लेकर श्वास नली तक के विभिन्न रोग कारक और इम्यूनिटी का कम होना भी खर्राटे का कारण हो सकता है।
3.रात सोने से पहले शराब या अन्य किसी भी प्रकार का नशा, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय और कॉफी नुकसानदायक ही नहीं खर्राटे का जनक हो सकता है।
4.पान मसाला, तंबाकू, बीड़ी, गुटका, भांग, गांजा जैसे नशीले पदार्थ श्वास नली को सकरा कर देते हैं। फल स्वरुप खर्राटा शुरू हो जाता है।
5.एलर्जी, साइनस, एडिनॉयड्स, नजला और कफ़वाली खांसी व दमा से पीड़ित रोगियों के भी खर्राटे की समस्या होने की संभावना रहती है।
6.सिंथेटिक टाइट कपड़े, जूता-मोजा पहनकर उल्टे सीधे ढंग से बिस्तर पर सो जाने पर श्वास नली के अंदर दबाव पड़ता है। फलस्वरुप खर्राटे की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
7.ऊंचा तकिया, निरंतर एयर कंडीशन में रहना और जंक फूड, फास्ट फूड, तेलीय खाद्य पदार्थ मिर्च मसालों का ज्यादा सेवन खर्राटे का बड़ा कारण है।
8.सलाद, हरी सब्जियां का भरपूर मात्रा में सेवन के साथ दिन भर में अपने वजन के दसवें हिस्से के बराबर पानी का सेवन करने से खर्राटे की समस्या ठीक हो जाती है।
9.रात्रि में हल्का बिना तेल मसाले के भोजन करके बाई करवट सोने से श्वास नली पर दबाव कम होता है। फलस्वरुप खर्राटे ठीक होने लगते हैं।
10.आलसी स्वभाव, बिना मेहनत के विलासिता पूर्ण जीवन, सुबह से ही थके थके रहना, शारीरिक श्रम से बचने की कोशिश किंतु भोजन पूरी मात्रा में भरपेट करना खर्राटे ही नहीं अन्य अनेकों बीमारियों को दावत देते हैं।
गलत योगाभ्यास से बचें : गलत ढंग से योगाभ्यास गलत तरीके से अनेकों प्राणायाम और अवैज्ञानिक ढंग से जिम में घंटों वर्कआउट करने से लाभ के स्थान पर हानि की संभावना होती है। गलत योगिक क्रियाओं का अभ्यास करने से सांस नली पर बुरा असर होता है। हिचकी, खर्राटे, स्वास, दमा, खांसी, सिरदर्द जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है।
तनाव से बचें : तनाव भी खर्राटे का जनक है, हार्टफूलनेस मेडिटेशन का अभ्यास जीवन की हताशा निराशा, आलस, तंद्रा, क्रोध, एंजाइटी, नकारात्मक चिंतन, स्मरण शक्ति की कमी जैसी समस्याओं को ठीक करके खर्राटे से मुक्ति का शक्तिशाली उपाय है।
योगाभ्यास महा औषधि है : योगासन और प्राणायाम खर्राटे का सर्वश्रेष्ठ उपचार है। सत्कर्म की क्रियाओं में कुंजल और जल नीति का अभ्यास करने से भयंकर खर्राटे भी कुछ ही सप्ताह में पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। अलोम विलोम, भस्त्रिका और भ्रामरी प्राणायाम का पांच पांच मिनट प्रतिदिन अभ्यास श्वास नली की सिकुड़न को दूर करके दुखदाई खर्राटे से से पूर्णता निजात दिलाने में मददगार है। वही अश्वचालनासन, पक्षी आसन, विमाननासन और चरणासना हठीली चर्बी वाले मोटापे को तो दूर करते ही हैं। फेफड़ों व सकरी स्वांस नली को शक्तिशाली बनाकर खर्राटे से पूर्ण मुक्ति दिलाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
ये उपाय भी बड़े काम के : खर्राटों से बचाव के लिए 4 या 5 लहसुन कलियों को दूध में खूब उबालकर गरम-गरम पीना चाहिए। 5 मिलीलीटर तुलसी की पत्ती का रस और 5 मिलीलीटर देसी अदरक का रस मिलाकर गर्म करें और बराबर मात्रा में शहद मिलाकर प्रातः खाली पेट एवं रात्रि सोने से पहले चाट ले। श्वास नली को खोलने और बड़ें हुए कफ को ठीक करने का अमोघ अस्त्र है। सोने से पूर्व दोनों नासा रंध्र में गुनगुना देसी घी या कडुआ तेल डालना भी श्रेष्ठ उपाय है।
डॉक्टर रजनी पोरवाल कंसलटेंट श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट कानपुर