खरीद डाले 49 हजार करोड़ के ‘गोल्डबांड’…. आज एक रोचक जानकारी आप से साझा करते हैं। सोना का क्रेज भारतीयों में हमेशा से रहा है। फिलहाल इस वक्त ‘स्वर्ण मुद्रीकरण योजना’ के बारे में चर्चा कर रहे हैं। भारत सरकार ने 2015, नवंबर में इसी योजना को ‘सावरेन गोल्ड बांड श्रृंखला’ (एसजीबी) के नाम से लांच किया था। सरकार के बिहाफ पर भारतीय रिज़र्व बैंक एसजीबी को संचालित करता है, तथा इसमें निवेश की गई धनराशि का भुगतान करने की गारंटी भी लेता है। वर्ष में चार बार एसजीबी की नई श्रृंखला निवेशकों के लिए खुलती है।
हर श्रृंखला के गोल्ड बांड नए मूल्य पर जारी किए जाते हैं। लेकिन निवेशकों को इन पर २.५ प्रतिशत सालाना की फिक्स दर पर ब्याज दिया जाता है और साल में दोबार यानी छमाही आधार पर भुगतान किया जाता है। बांड की मैच्योरिटी आठ सालों में होती है। बांडों पर ब्याज से होने वाली आय पर कर का भुगतान निवेशक यानी बांड धारक को करना पड़ता है लेकिन बांड की मैच्योरिटी आठ सा पूरे होने पर इनपर पूंजी गत लाभ (कैपिटल गेन) करमुक्त रहता है।
नियमानुसार कोई व्यक्ति एक साल में न्यूनतम एक ग्राम और अधिकतम चार किलो ग्राम सोना के बांड खरीद सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र, या निजी क्षेत्र के अधिकृत बैंक के माध्यम से बांड खरीदे जा सकते हैं। नवंबर, 2015 से अब तक यानी जून, 2023 तक एसजीबी की 64 श्रृंखलाएं आ चुकी हैं। इन श्रृंखलाओं के गोल्डबांडों की बिक्री से सरकार कुल कोई 49 हजार 805 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि एकत्र कर चुकी है।
खास बात यह है कि पिछले माह 27 जून को बंद हुई 64 वीं श्रृंखला के गोल्ड बांड का मूल्य अब तक का सबसे ज्यादा था, प्रति एक ग्राम 5926 रुपए यानी 10 ग्राम 59260 रुपए का।जानकर आश्चर्य होगा कि इस बार के बांड
जितने ही ज्यादा महंगे थे उतनी ही ज्यादा मारामारी इनको खरीदने में रही। सभी 64 श्रृंखलाओं में से सबसे अधिक 7 हजार 770 किलो ग्राम (7.77 टन) सोना की रिकॉर्ड बिक्री पिछले महीने हुई।
संभवतः कम लोगों को यह जानकारी होगी कि सरकार इस योजना के अंतर्गत अब तक एक लाख दस हजार किलो ग्राम से अधिक सोना बेंच चुकी है या यूं भी कहा जा सकता कि निवेशक अब तक 49 हजार 805 करोड़ रुपए का भुगतान करके 110 टन सोना खरीद चुके हैं।
प्रणतेश बाजपेयी