कई सवाल छोड़ गई आजम खां की चुप्पी

आखिरकार समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और दिवंगत मुलायम सिंह यादव के साथी रहे आजम खां मंगलवार को 23 महीने के जेल प्रवास के बाद बाहर आ गए और आते ही अपने गृह जनपद रामपुर के लिए रवाना हो गए। पूरे मामले में खास बात ये रही की रिहाई के वक्त सीतापुर जेल के बाहर कोई भी बड़ा पार्टी नेता मौजूद नहीं था।

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लखनऊ। आखिरकार समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और दिवंगत मुलायम सिंह यादव के साथी रहे आजम खां मंगलवार को 23 महीने के जेल प्रवास के बाद बाहर आ गए और आते ही अपने गृह जनपद रामपुर के लिए रवाना हो गए। पूरे मामले में खास बात ये रही की रिहाई के वक्त सीतापुर जेल के बाहर कोई भी बड़ा पार्टी नेता मौजूद नहीं था। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हांलांकि उनकी रिहाई पर खुशी जताई है और कहा है कि उनकी भाजपा के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमें उम्मीद थी कि उन्हें न्याय मिलेगा क्योंकि उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया था। परंतु 23 महीने बाद जेल से बाहर आने के समय आजम खां से कोई बड़ा नेता मिलने नहीं आया, इस पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में आजम खां की चुप्पी भी ढेर सारे सवाल खड़े कर गयी है।

* 23 महीने बाद रिहा वरिष्ठ नेता की रिहाई के वक्त जेल के बाहर कोई बड़ा सपाई मौजूद नहीं था
* रिहाई के बाद लखनऊ न जाकर सीधे रामपुर जाना भी कुछ बड़े राजनीतिक सवाल खड़े करता है
* इससे उन चर्चाओं को भी बल मिलता है जिसमें कहा गया है कि वे अपनी पार्टी से नाराज हैं
* सोमवार को ही बसपा के विधायक उमाशंकर सिंह ने आजम खां का पार्टी में स्वागत किया है

राजनीति में कुछ भी अनायास और अचानक नहीं होता है। आजम खां के रिहाई के एक दिन पहले बसपा के विधायक उमाशंकर सिंह का ये बयान कि पार्टी में आजम खां का स्वागत है, उनके आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी, एक बड़ा संकेत है। और उसे संकेत को भी बल तब मिलता है जब आजम की रिहाई के वक्त सीतापुर जेल के बाहर पार्टी का कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था। और इसके अलावा रिहाई के बाद आजम खां लखनऊ न आकर सीधे रामपुर अपने गृह जनपद चले जाते हैं। यह इस बात का सीधा संकेत है कि पार्टी से उनके रिश्ते सामान्य नहीं हैं। अन्यथा पार्टी इस रिहाई का पॉलिटिकल गेन लेने के लिए सीतापुर जेल के बाहर उनको धूमधाम से रिसीव करती, और लखनऊ लाकर उनका जोरदार स्वागत होता। तो इसे एक राजनीतिक संदेश जाता पर ऐसा नहीं हुआ। माना जाता है कि राजनीति में बहुत सी बातें संकेतों में कही जाती हैं और अपने कार्य व्यवहार से बताई जाती हैं, और समझने वाले इसको समझ भी लेते हैं।

उधर 72 मामलों में मिली जमानत और लगभग 23 महीने जेल में रहने के बाद सीतापुर जेल से मंगलवार को बाहर निकले आज़म खां को तीन दिन पहले ही रिहा हो जाना चाहिए था लेकिन रिहाई परवाने में कुछ गड़बड़ी के चलते देर हुई।
हालांकि पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आजम खां की रिहाई पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि हमें उम्मीद थी कि उन्हें न्याय मिलेगा क्योंकि उन्हें झूठे मुकदमों में फसाया गया था। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बनेगी तो हम उन पर लगे सारे मामले वापस करेंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि आजम खां के साथ बहुत अन्याय हुआ और उन पर झूठे मुकदमे लगाए गए थे। पर आजम खां की रिहाई खुशी की बात है। वे नेताजी के समय से ही हमारे साथ थे। और बीजेपी से मुक़ाबला करने में उनकी बड़ी भूमिका थी।

पर अखिलेश यादव का यह बयान सिर्फ रस्म अदायगी ही लगा। क्योंकि 23 महीने जेल में रहना कम नहीं होता है। ऐसे में कम से कम मैसेजिंग के लिए ही सही, लेकिन पार्टी के किसी बड़े नेता को वहां होना चाहिए था। किंतु ऐसा नहीं हुआ और यहीं पर सवाल पैदा होते हैं। और जब सवाल पैदा होते हैं तो अन्य बयानों से कयासबाजी भी शुरू हो जाती है। और बसपा के अकेले विधायक उमाशंकर सिंह ने यह काम कर दिया है। सोमवार को बलिया में दिया गया उनका वह बयान बहुत वायरल है जिसमें उन्होंने कहा है कि आजम खां का बसपा में स्वागत है। उनके इस बयान का खंडन न तो आजम खां ने किया है और न ही समाजवादी पार्टी ने। ऐसे में मौन स्वीकारोक्ति का प्रमाण माना जाता है। इसमें आजम खां की चुप्पी भी गौर करने लायक है।

समर्थकों का अभिवादन पर मीडिया से बनाई दूरी : सीतापुर जेल से बाहर आते ही आजम खां ने अपने समर्थकों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि जिस-जिस ने मेरे लिए दुआ की, उनका शुक्रिया। और जिन्होंने मेरी मदद की, उनका भी धन्यवाद। जेल के बाहर आने के बाद उन्होंने गाड़ी का शीशा बंद कर दिया था। मीडिया कर्मियों को सुरक्षाकर्मियों ने गाड़ी के पास फटकने ही नहीं दिया। जेल के बाहर भारी पुलिस बल तैनात था। आजम खां जेल से निकले तो तुरंत गाड़ी में बैठ गये और शीशा बंद कर लिया। अंदर से ही हाथ हिलाकर उन्होंने समर्थकों का अभिवादन किया। इस मौके पर उनके बड़े बेटे और परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे। रिहाई के बाद उनका काफिला सीधे रामपुर रवाना हुआ। सूत्रों के अनुसार आजम खां ने बसपा में शामिल होने की अटकलों का कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि अभी जेल से बाहर आया हूं। अभी तबीयत ठीक नहीं है, पहले मैं इलाज कराउंगा। कुल मिलाकर उन्होंने बसपा में जाने की अफवाहों को खारिज भी नहीं किया है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक