जल्द ही बनेंगे 40 लाख अन्त्योदय कार्ड धारकों के आयुष्मान कार्ड

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लखनऊ। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का दायरा बढ़ाते हुए प्रदेश के कमजोर वर्ग के अधिक से अधिक लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसी के तहत अब प्रदेश के करीब 40 लाख अन्त्योदय कार्ड धारकों को भी योजना से जोड़ते हुए उनकी जेब तक आयुष्मान कार्ड पहुंचाकर एक तरह से उनको स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी प्रदान करने का कार्य मिशन मोड में किया जा रहा है। यह बातें प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने आयुष्मान भारत योजना के तीन वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में राजधानी के गोमतीनगर स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कहीं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत 23 सितम्बर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रॉंची (झारखंड) से की थी। योजना का प्रमुख उद्देश्य यही था कि कमजोर वर्ग को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराना ताकि उनको यह एहसास न हो कि पैसे के अभाव में वह बेहतर इलाज से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर योजना की तैयार की गयी सूची का दायरा बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के तहत करीब 8.43 लाख परिवारों को भी योजना का लाभ दिया जा रहा था। एक बार फिर से इसका दायरा बढ़ाते हुए अब करीब 40 लाख अंत्योदय कार्ड धारकों एवं 11.65 लाख निर्माण श्रमिकों को भी योजना की पात्रता सूची में शामिल कर लिया गया है। अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों एवं पंजीकृत निर्माण श्रमिकों का आंकड़ा जुड़ने से प्रदेश के 1.78 करोड़ परिवारों के लगभग 8.22 करोड़ लाभार्थियों को पांच लाख रूपये तक की निःशुल्क चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकेगा। इस तरह प्रदेश की कुल आबादी के एक तिहाई हिस्से को इस योजना के तहत लाभान्वित करने का काम तेजी से चल रहा है। इस दिशा में महिलाओं के बीच भी जागरूकता की खास जरूरत है तभी योजना को सही मायने में धरातल पर उतारा जा सकता है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यही नहीं अधिकतर बीमारियों को भी योजना के दायरे में लाते हुए निजी और सरकारी क्षेत्र के बड़े अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है, सरकारी अस्पतालों में उपकरणों और चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जा रहा है। कोरोना काल में कोविड-19 के आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों का अस्पतालों में मुफ्त इलाज किया गया, जिसके लिए 64 करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान किया गया है। अब पूरा प्रयास है कि जिला स्तर पर ही गंभीर बीमारियों का इलाज संभव हो सके।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि योजना के दायरे में आने वालों तक पहुँच बनाना आज एक बड़ी चुनौती के रूप में है। इसके लिए जरूरत है योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार की ताकि लोग आसानी से जुड़ सकें। इसमें ग्राम प्रधान, आशा कार्यकर्ता, एएनएम व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर अहम् भूमिका निभा सकते हैं। इन लोगों को समुदाय के बीच कुछ गम्भीर बीमारियों और कुछ बड़े सरकारी व निजी क्षेत्र के अस्पतालों के नाम लेकर उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करना होगा कि आयुष्मान कार्ड होने पर इन गंभीर बीमारियों का इन बड़े अस्पतालों में बिल्कुल मुफ्त इलाज मिल सकता है।

उन्होंने कहा कि कोविड टीकाकरण में इसका प्रयोग करके देखा है जो बेहद सफल रहा, ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण शिविर लगाने से तीन दिन पहले से ही टीम को सक्रिय कर दिया जाता था कि लोगों को टीकाकरण की जानकारी देने के साथ ही उसके फायदे भी बताएं और आज परिणाम सामने है कि हम 10 करोड़ से अधिक का टीकाकरण कर चुके हैं।
कार्यक्रम से वर्चुअल रूप से जुड़े अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी-भारत सरकार डॉ. विपुल अग्रवाल ने आयुष्मान भारत योजना के तीन साल पूरे होने और उत्तर प्रदेश द्वारा हासिल की गयी विशेष उपलब्धियों के लिए बधाई दी और कहा कि अब अन्त्योदय कार्ड धारकों को योजना के दायरे में लाकर एक साहसिक कदम उठाया गया है।

कार्यशाला में स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस एंड इंटिग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) की मुख्य कार्यपालक अधिकारी संगीता सिंह ने आयुष्मान भारत योजना के तीन साल के सफ़र पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि योजना की पूरी तरह से समझ विकसित करने में लोगों को थोड़ा वक्त लगा लेकिन अब उनकी पूरी तैयारी है कि वह सरकार की मंशा पर खरी उतरते हुए जल्दी से जल्दी शत-प्रतिशत पात्र लोगों को आयुष्मान कार्ड प्रदान कर योजना के दायरे में जोड़ने में सफल होंगी।

कार्यक्रम से वर्चुअल रूप से जुड़े बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के पब्लिक पॉलिसी एंड फाइनेंस के कंट्री लीड संतोष मैथ्यू ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा इस्तेमाल की जा रही आधुनिक तकनीक की सराहना की। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक का ही कमाल है कि आज 20 मिनट के अन्दर टेलीमेडिसिन के जरिये विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श मिल सकता है, 40 मिनट के अंदर एम्बुलेंस की सेवा प्राप्त की जा सकती है और कुछ ही घंटों में बेहतर जांच और इलाज पाया जा सकता है।