लखनऊ। लगता है कि यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे को अवैध मदरसा और मजार मुक्त करके ही छोड़ेंगे, क्योंकि उनका बुलडोजर लगातार अपना काम कर रहा है। उसके डर से अवैध अतिक्रमणकारी स्वयं अवैध कब्जा हटाने के लिए परमीशन मांग कर हटा भी दे रहे हैं। ऐसे में चाहे सूबे के सीमावर्ती इलाके हों या फिर अपनी नवैयत बदल रहा संभल, हर जगह अवैध मदरसों और मजारों को हटाकर जमीन समतल की जा रही है। इससे हिंदू जनमानस का इगो संतुष्ट हो रहा है, ऐसा लोगों का मानना है। अब खबर आ रही है कि योगी बाबा का बुलडोजर आजमगढ़ और मऊ की भी यात्रा पर जाने वाला है। इस खबर के बाद से वहां दहशत का माहौल है। ऐसे में इससे तो यही लग रहा है कि भाजपा अगला विधानसभा चुनाव हिंदुत्व की पिच पर ही लड़ने का मन बना चुकी है। और वह अब मुस्लिम वोट के चक्कर में हिंदुओं को नाराज नहीं करना चाहती।
उधर मोदी सरकार ने भी तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने को मंजूरी दे दी है। वैसे इस निर्णय से भाजपा के सवर्ण वोटरों में थोड़ा असमंजस दिख रहा है, किंतु कोई विकल्प न होने की स्थिति में फिलहाल वे भाजपा के ही साथ ही रहेंगे, ये तय लगता है। सवर्ण समाज अभी भी न तो कांग्रेस और न ही सपा या किसी और पार्टी पर विश्वास कर पा रहा है। सवर्ण समाज का मानना है कि उनके लिए अभी रोजी की चिंता से ज्यादा जरूरी अपने धर्म और इज्जत की चिंता करना है। यानी कि जातीय जनगणना भी कराने का निर्णय भाजपा का बहुत अधिक नुकसान नहीं कर पाएगा।
मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर नेपाल सीमा से सटे जिलों में अवैध कब्जों और बिना मान्यता के बल पर संचालित धार्मिक संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। प्रदेश की नेपाल सीमा से लगे पीलीभीत, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जिलों में प्रशासन द्वारा इसके लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। खबर लिखे जाने तक महाराजगंज जिले में 33 अवैध धार्मिक स्थल और मदरसे मिले हैं। सिद्धार्थनगर में भी 21 अवैध धार्मिक स्थल और मदरसे मिले हैं। इस मामले में सर्वाधिक कार्रवाई श्रावस्ती जनपद में हुई है। यहां अब तक 68 अवैध मदरसे सील किये गये हैं, और 177 के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई की गई है। वहीं महाराजगंज जिले में भी 33 में से 32 अवैध कब्जों पर कार्रवाई की गई है। जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि कुल 33 अवैध धार्मिक स्थल और मदरसे चिह्नित किये गये हैं। इनमें से 19 मदरसे हैं, जिनमें से 4 के कब्जे हटाये गये हैं। जबकि एक का मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसी प्रकार 10 अवैध धार्मिक स्थलों पर बेदखली की कार्रवाई की गई है। ऐसे ही सरकारी जनीन पर बनाए गये चार मजारों में से दो को हटा दिया गया है। एक पर बेदखली की कार्रवाई की गई है, जबकि एक को वन विभाग की ओर से नोटिस दी गई है। सिद्धार्थनगर में भी 21 में से सभी 21 अवैध कब्जों पर कार्रवाई की गई है। सिद्धार्थनगर जिले में नेपाल सीमा से 10 किलोमीटर अंदर तक कुल 21 अतिक्रमण चिह्नित किए गए हैं। इनमें चार अवैध धर्मस्थल और 17 अवैध मदरसे शामिल हैं। जिला प्रशासन ने 20 अतिक्रमणों को नोटिस जारी की है, जबकि एक अतिक्रमण को हटा दिया गया है। इसके अलावा बलरामपुर जिले में भी 16 अवैध मदरसे बंद कराए गए हैं। जिला प्रशासन की ओर से बताया गया है कि अबतक 34 अवैध मदरसे, धार्मिक स्थल और मजार चिह्नित किये गये हैं। इनमें से 6 जगहों से अवैध कब्जा हटाया गया है। 16 मदरसे बंद करा दिये गये हैं और 12 को नोटिस दी गई है। एक स्थान पर ईदगाह बना हुआ है, जिस पर कानूनी कार्रवाई जारी है। इसके अलावा पीलीभीत जिले में भी छह लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है। प्रशासन की ओर से बताया गया है कि जिले में अबतक केवल एक अवैध धार्मिक स्थल ही अवैध मिला है।
सूबे में सबसे बड़ी कार्रवाई श्रावस्ती जिले में की गई है। यहां 68 मदरसे सील किए गए हैं जबकि 177 पर बेदखली की कार्रवाई की गई है। प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि इसके अतिरिक्त भिनगा तहसील के ग्राम भरथा रोशनगढ़़ में अवैध धर्मस्थल के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी की गई है। जिले के मल्हीपुर थाना क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा से थोड़ी दूर ही स्थित मदरसा इस्लामिया अरबिया अनवारुल उलूम, फतेहपुर बनगई को प्रशासन ने बुल्डोजर चलवाकर जमीदोज कर दिया। ये मदरसा 1960 में बनाया गया था और मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित था। ये जिले का सबसे बड़ा मदरसा था। हालांकि मदरसे के संचालक का कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के यह कार्रवाई की गई। इसके अलावा जिले में नो-मेंस लैंड और सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनी मजार भी बुलडोजर एक्शन कर जमीन कब्जा मुक्त किया गया। इस प्रकार श्रावस्ती में 33 मदरसों को ध्वस्त किया गया है।
इधर अब सुना है कि बाबा का बुलडोजर आजमगढ़ और मऊ का भी रुख करने वाला है। इसे लेकर वहां हड़कंप मचा हुआ है। खबर है कि यह निर्णय जिले में बीते पांच जून को डीजे बजाने को लेकर हुए विवाद में थानेदार की पिटाई की घटना के बाद लिया गया है। इस घटना के बाद योगी सरकार का ध्यान इस ओर गया है। खबर है कि यहां पर अवैध मदरसों पर कार्रवाई के साथ-साथ आपरेशन लंगड़ा भी चलाने की तैयारी है। वैसे भी आजमगढ़ के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ का पुराना मामला है। बात तब की है जब योगी अपने हिंदू युवा वाहिनी नामक संगठन के बैनर तले एक काम से जिले के संजरपुर में गये थे और वहां एक समुदाय विशेष की भीड़ ने उन्हें घेर लिया था। बताते हैं कि योगी वहां से बड़ी मुश्किल से निकल पाए थे। इस मामले की चर्चा उन्होंने लोकसभा में भी की थी। ऐसे में वे आजमगढ़ को अपने जेहन में हमेशा रखते हैं। अब थानेदार की पिटाई के मामले ने उनका जख्म शायद फिर हरा कर दिया है। उधर आरोप है कि सूबे में अवैध मदरसों और मजारों का कारोबार समाजवादी पार्टी के शासन में अधिक फैला। आरोप है कि मुस्लिम वोट बैंक के तुष्टिकरण के चक्कर में सपा की सरकार इस ओर से आंखें बंद किए रही। यानी जिस अवैध काम की छूट सपा सरकार ने दी उसी अवैध कब्जे कटाने हटाने का काम भाजपा अपने वोट बैंक का इगो संतुष्ट करने के लिए कर रही है।
संभल में भी अवैध मजारों पर की गई कार्रवाई : इस समय योगी सरकार के निशाने पर चल रहे संभल में भी बुलडोजर अभियान चल रहा है। यहां भी एक अवैध मजार पर प्रशासन ने कार्रवाई की है। इसे अवैध निर्माण मानते हुए, मजार को गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि इस कार्रवाई से इलाके में तनाव बढ़ गया है, पर उससे बेपरवाह प्रशासन अपने काम में लगा हुआ है। यह मामला संभल के बहजोई मार्ग पर स्थित दरगाह का है। उसके प्रबंधकों को पहले पीडब्ल्यूडी का नोटिस दिया गया था। कहा गया था ये मजार सड़क पर थी और सड़क निर्माण में बाधा आ रही थी। इसके बाद स्थानीय लोगों ने खुद ही दरगाह के हिस्से को हटाना शुरू कर दिया। खबर है कि पास के एक मंदिर का भी कुछ हिस्सा दरगाह के साथ ही तोड़ा जाएगा, क्योंकि वह भी अवैध निर्माण का हिस्सा है। इसके अलावा संभल के चंदौसी में भी दो अवैध मजारों को ध्वस्त कराया है। इनका निर्माण तालाब की जमीन पर हुआ था। यह कार्रवाई राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अध्यक्ष कौशल किशोर वंदेमातरम की शिकायतों के बाद की गई। यहां कब्जा करने वाले तांत्रिक के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन ने भूमि को अपने कब्जे में लेकर तालाब के सुंदरीकरण की कवायद शुरू कर दी है। इस बाबत बीते एक फरवरी को तहसील सभागार में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस पर इसकी शिकायत राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अध्यक्ष कौशल किशोर वंदेमातरम ने की थी।
हिंदुओं का इगो सेटिस्फाई करने की भी है कोशिश : इस ताबड़तोड़ कार्रवाई को देखकर तो यही लगता है कि योगी और भाजपा ने मान लिया है कि वह चाहे कुछ भी करे, मुस्लिम विरादरी उनको अछूत मानती है और उन्हें वोट नहीं देगी। ऐसे में कट्टर हिंदुत्व ही वह रास्ता है जिससे भाजपा की चुनावी नैया पार हो सकेगी। इसी कारण योगी सरकार इस रास्ते पर चल रही है। उसकी कोशिश है कि इन कार्रवाईयों से वह हिंदुओं के इगो को संतुष्ट कर लें। हालांकि इस कार्रवाई से हिंदू समाज सीधे-सीधे नहीं जुड़ा है, फिर भी उसे लगता है कि धार्मिक रूप से योगी सरकार उसके साथ है। और यही बात भाजपा और सवर्ण समाज को एक मंच पर ले आती है। शायद जातीय जनगणना की घोषणा भी मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक होने वाला है। सूत्र बताते हैं कि जिस प्रकार हिंदुओं से उनकी जाति और उपजाति पूछी जाएगी वैसे ही मुस्लिम समाज से जाति और उपजाति पूछी जाएगी। इस प्रकार अब तक खुद को एक इकाई और एक वोट बैंक मानकर चल रहे मुस्लिम समाज में सवर्ण, बैकवर्ड और दलित समाज इस जातीय जनगणना से उभर कर आएगा। और ऐसे में भाजपा के लिए उन पर डोरे डालना आसान रहेगा। जानकार बताते हैं कि मुस्लिम समाज में 72 फिरके हैं। इसके अलावा शिया, सुन्नी, देवबंदी और बरेलवी जैसे सेगमेंट तो हैं ही। वैसे पसमांदा मुस्लिमों की एक अच्छी तादाद धीरे-धीरे भाजपा के पक्ष में दिखाई पड़ने लगी है। ये सभी अपने को राष्ट्रवादी मुस्लिम कहने में संकोच नहीं करते। मतलब ये कि जनगणना और जातीय जनगणना के बाद एक बड़ा सामाजिक विस्फोट होने के आसार हैं, और जिसका असर भारत की चुनावी गणित और पोलिटिकल सिस्टम पर भी पडना तय है।
अपनी हिंदूवादी नेता की छवि को धार दे रहे योगी : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से ही अपनी कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि बनाकर चर्चित हो रहे हैं। उनका साफ-साफ कहना है कि मुझे गर्व है कि मैं सनातनी हूं, और मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि चूंकि मैं सूबे का मुख्यमंत्री भी हूं, इसलिए मैं सबका नेता हूं। और मेरी कोशिश यही है कि मेरे स्तर से किसी के साथ अन्याय न होने पाए। लेकिन अगर किसी ने गलत किया है, तो उसका दंड उसे मिलेगा ही चाहे वह कोई भी हो। हिंदू हो या मुसलमान, सवर्ण हो, पिछड़ा हो या फिर दलित। उनका कहना है कि कोई भी कानून से बढ़कर नहीं है। ऐसे में लगता है कि अवैध मदरसों और मजारों पर कार्रवाई कर वे अपनी कट्टर हिन्दूवादी नेता की इमेज को और धार दे रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में अवैध मजारों और मदरसों पर चल रही कार्रवाई इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। जहां कहीं मजारों और मदरसों के नाम पर अवैध कब्जे या अवैध तरीके का पता चल रहा है वहां बाबा का बुलडोजर पहुंच जा रहा है। इस मामले में बाकायदा कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिया जा रहा है, इसलिए किसी के पास कहने के लिए भी कुछ नहीं है। फिर भी आरोप लगाने वाले लगा रहे हैं, किंतु प्रशासन का काम रुक नहीं रहा है। इधर योगी आदित्यनाथ सरकार ने तो संभल जिले का नक्शा ही बदल दिया है। जिस संभल में कभी मंदिरों की घंटी और और कीर्तन सुनना अपराध माना जाता था, अब वहां पर भजन कीर्तन शुरू हो गए हैं। बताते हैं कि 1978 के पहले का संभल आकार लेने लगा है। असल में पिछले साल संभल की शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद में परिसर का सर्वे करने गई टीम के साथ बदसलूकी और उसके बाद 24 नवंबर 2024 को हुए दंगों के चलते योगी आदित्यनाथ की सरकार को वहां पर हस्तक्षेप करने का मौका मिल गया। और फिर जिला प्रशासन ने योगी सरकार की शह पर ऐसा डंडा घुमाया कि इस समय संभल की पहचान 1978 के पहले वाली होती दिख रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में चल रहे तबादला एक्सप्रेस के पहिए संभल जिले के दाएं-बाएं से निकल जा रहे हैं, और वहां का प्रशासन निश्चिंत होकर अपना डंडा चला रहा है। इसी कारण संभल में रोज सनातन के खोए हुए चिन्ह मिलते जा रहे हैं, और उनका उद्धार होता जा रहा है। इसी क्रम में मजारों और मदरसों के नाम पर किए गए अवैध कब्जे भी हटाए जा रहे हैं। यानी एक पुराना संभल आकार लेने लगा है।
इसी साल प्रयागराज में महाकुंभ का सफल आयोजन कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दुनिया भर में काफी चर्चित हो चुके हैं। महाकुंभ में आए 66 करोड़ लोगों के प्रबंधन को लेकर विश्व में उनकी धाक बन गई है। इसी कारण वे इस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रिय पत्रों में से एक हैं। चर्चाएं तो यहां तक हैं कि वे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने लगे हैं। किंतु अभी इस बारे में सटीकता से कह पाना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि अभी भी गृह मंत्री अमित शाह का इस पद पर दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है, क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीब हैं। वैसे इधर चर्चाएं ये भी उठीं हैं कि योगी आदित्यनाथ को भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। पर यह खबर अभी सच्चाई नहीं बन सकी है। बताया जाता है कि योगी अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए हामी नहीं भरा रहे हैं। कारण, यह कि वे संघ की पसंद तो हैं किंतु भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की निगाह में अभी वे पूरी तरह फिट नहीं बैठ पा रहे हैं। बताते हैं कि इसीलिए वे हिचक रहे हैं। इसीलिए शायद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा में इतना विलंब हो रहा है। हां, ये जरूर है कि योगी उत्तर प्रदेश सरकार और भाजपा के निर्विवाद नेता के रूप में उभर कर आए हैं। सीएम योगी ने प्रयागराज महाकुंभ का सफल आयोजन करने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में पंच तीर्थ का भी कॉन्सेप्ट दिया है। उनके अनुसार इन पंच तीर्थों में विंध्याचल, काशी, अयोध्या, मथुरा और नैमिषारण्य शामिल हैं। राज्य सरकार की ओर से इन सभी तीर्थों पर विकास कार्य बहुत तेजी से कराये जा रहे हैं। अभी तक मथुरा में कारीडोर बनाने के लिए जमीन की दिक्कत थी जो अब कोर्ट के आदेश से प्राप्त हो गई है। सुना है कि वहां भी जल्द ही काम शुरू होने वाला है। अर्थात मुख्यमंत्री के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का विस्तार और यूपी का धार्मिक विकास ही प्रमुख एजेंडा है। और यह तभी संभव है जब पिछली सरकारों में मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर अवैध कब्जा करा दी गई जमीनें मुक्त हो जाएं। इससे उत्तर प्रदेश का वह चेहरा दिखेगा, जिसे मुस्लिम आक्रांताओं ने बदल कर रख दिया था।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में आक्रांताओं के नाम पर लगने वाले मेलों को भी बंद करा दिया है। उल्लेखनीय है कि संभल समेत प्रदेश के कई जिलों में मुस्लिम आक्रांता सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर नेजा मेलों का आयोजन होता था। प्रदेश सरकार ने साफ तौर पर निर्देश दे दिए थे कि आक्रांताओं के नाम पर मेलों का आयोजन नहीं किया जाएगा। और इसके बाद इस साल कहीं भी इन मुस्लिम आक्रांताओं के नाम पर मेलों का आयोजन नहीं हुआ। बहराइच में तो सैकड़ों साल से लगने वाले जेठ मेले का भी आयोजन नहीं होने दिया गया। हर जगह प्रशासन ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर उन्हें रोका। हालांकि बाद में बहराइच में ही गाजी को हराने वाले हिंदू महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा की स्थापना कर उनके नाम पर एक दिनी मेले का आयोजन किया गया। सूत्र बताते हैं कि यह सब कुछ यह मैसेज देने के लिए किया गया कि अब सनातन और सनातनियों का समय है।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक