हरियाणा में हार के बाद इंडी में रार तकरार

हरियाणा में कांग्रेस की हार के साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं। उसका हर गठबंधन साथी आंखें तरेरने लगा है। अब तो हालत यह है कि सारी पार्टियां सरेआम उसको नसीहत देने लगी हैं

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नयी दिल्ली। हरियाणा में कांग्रेस की हार के साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं। उसका हर गठबंधन साथी आंखें तरेरने लगा है। अब तो हालत यह है कि सारी पार्टियां सरेआम उसको नसीहत देने लगी हैं। जानकार लोगों का कहना है कि आगे आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बारगेनिंग पावर भी घट गई है। गठबंधन में बड़ा भाई होने का दावा करने वाली कांग्रेस अब हरियाणा का परिणाम आने के बाद सकते में है, उसकी बोलती बंद है। आम आदमी पार्टी, शिवसेना उद्धव, नेशनल कांफ्रेंस, एनसीपी शरद और समाजवादी पार्टी ने तो कांग्रेस की कार्यसंस्कृति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देनी शुरू कर दी है।

अपनी प्रतिक्रिया में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि कांग्रेस को हरियाणा की हार से सबक लेना चाहिए। चूंकि कांग्रेस ने हरियाणा में आप और सपा को गच्चा दिया है, इसलिए जनता ने उसे गच्चा दे दिया। उन्होंने कहा कि जीती हुई बाजी कैसे हारी जाती है, यह सीखना हो तो कांग्रेस से सीखिए। कांग्रेस का आत्मविश्वास उसे ले डूबा। कांग्रेस को सबको साथ लेकर चलना चाहिए था। अगर कांग्रेस सबको साथ लेकर चलती तो उसकी ये हालत नहीं होती।

अगर पूरे कांग्रेस पूरे देश में अकेले चुनाव लड़ना चाहती है तो स्पष्ट करे, ताकि क्षेत्रीय दल अपना अपना रास्ता तय करें।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने उपचुनाव वाली 10 में से 6 सीटों को अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं। और कांग्रेस से इस विषय पर कोई बातचीत नहीं की प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे ने कहा की सीटों के बंटवारे के विषय में अभी हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है परंतु हम उम्मीद करते हैं कि हमारा गठबंधन उत्तर प्रदेश में कायम रहेगा। परंतु लोगों का कहना है कि बिना कांग्रेस से पूछे अच्छा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा सीधे-सीधे कांग्रेस को चुनौती है।

इस बाबत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि गठबंधन के बारे में हाई कमान का जो भी फैसला होगा, हम उस पर कायम रहेंगे। दरअसल समाजवादी पार्टी ने उन सीटों पर भी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है जिन पर कांग्रेस की नजर थी। इनमें प्रयागराज की फूलपुर, मिर्जापुर की मझवां और अयोध्या की मिल्कीपुर सीटें शामिल हैं। कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने कई बार इन सीटों का दौरा भी किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय दस में से आधी यानी 5 सीटों पर अपनी पार्टी का दावा भी ठोंक चुके हैं। ऐसे में गठबंधन की अब क्या स्थिति होगी, अंदाजा लगाया जा सकता है। उधर कांग्रेस के गठबंधन साथी जम्मू कश्मीर के उमर अब्दुल्ला ने नसीहत देते हुए कहा है कि कांग्रेस को हरियाणा की हार पर विचार करना चाहिए। आम आदमी पार्टी के सांसद का को जाता ने कहा है कि कांग्रेस अगर हमारा ख्याल रखती तो कुछ और बात होती, साथ-साथ चलते तो कुछ और बात होती। उनका कहना है कि हरियाणा से कांग्रेस को सबक लेना चाहिए। कांग्रेस जहां भी अकेली रहेगी तो हारेगी। यह बात उसको समझनी चाहिए।

उधर आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने ऐलान कर दिया है कि पार्टी दिल्ली का विधानसभा अगला विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। हरियाणा में कांग्रेस की हार पर एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम तो इस बार हरियाणा में लड़े ही नहीं, फिर भी क्यों हार गई कांग्रेस। हमें भाजपा की बी टीम कहने वाली कांग्रेस के पास अब क्या जवाब है। ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस के हार के लिए इवीएम को दोष देना गलत है।

एनडीए के घटक लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हरियाणा मैं एनडीए की जीत को किसानों और नौजवानों की जीत बताया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मोदी जी और हरियाणा की जनता ने कांग्रेस के गुब्बारे की हवा निकाल दी है। और कांग्रेस की जलेबी का जलेबी का स्वाद फीका कर दिया है। मोदी जी के नेतृत्व में यह एक शानदार जीत है।

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने संजय रावत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि गठबंधन की बातों को सार्वजनिक रूप से कहना ठीक नहीं है। यह गलत है। हम इस बात को गठबंधन की बैठक में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र राज्य की परिस्थितियां अलग-अलग हैं। हम महाराष्ट्र में अघाडी के साथ चलेंगे। एनसीसी शरद के नेता अनिल देशमुख ने कहा कि कांग्रेस को हरियाणा में गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना चाहिए था।

उधर बहुजन विकास अघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने राज्य की 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। इसमें खास बात यह है कि उसके द्वारा घोषित किए गए सभी दस प्रत्याशी मुस्लिम हैं। और लिस्ट में बाकायदा उनके नाम के आगे मुस्लिम भी लिखा हुआ है। और जो सीधे-सीधे उसकी नीयत को दर्शाता है। अभी तक वह एमवीए के साथ चुनाव लड़ने की बात कह रही थी। उसका आरोप है कि अगाड़ी के लोग उसका इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के रूप में करना चाहते थे। और सीट देने में आनाकानी कर रहे हैं।

5 सीटें तो आप ने हरवा दीं कांग्रेस को : हरियाणा विधानसभा चुनाव में पांच सीटें ऐसी भी हैं जहां पर कांग्रेस की हार का कारण आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बने। इन स्थानों पर जितने वोटों से कांग्रेस की हार हुई है उससे ज्यादा वोट आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को मिले हैं। उदाहरण के लिए आसंध विधानसभा सीट पर कांग्रेस को 2306 वोटों से हार मिली है जबकि यहां आप के प्रत्याशी को 4290 वोट मिले हैं। इसी प्रकार उचाना कलां सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी मात्र 32 वोटों से हारा है और यहां आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 2495 वोट मिले हैं। डबवाली सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी को 610 वोटों से हार मिली है और यहां पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 6606 वोट मिले हैं। रनिया विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस को 4019 वोटों से हार मिली है जबकि यहां भी आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 4697 वोट मिले हैं। हरियाणा की मुंदरी सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी को 2197 वोटों से हार मिली है जबकि यहां पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 2571 वोट मिले हैं। इस प्रकार इन पांच विधानसभा सीटों पर यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के वोट मिल जाते तो नतीजे कुछ और होते।

गौरव शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार