महाकालेश्वर महादेव: मोक्ष का स्थान….. शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में उज्जैन का महाकालेश्वर महादेव मंदिर का अपना एक अलग एवं विशेष महत्व है। मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तट पर विद्यमान महाकालेश्वर महादेव दर्शन अति कल्याणकारी माना जाता है। कहावत है कि ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इंसान को महाकालेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से कालसर्प योग के संताप से मुक्ति मिलती है।
दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव अत्यंत पुण्यकारी हैं। महाकालेश्वर महादेव मंदिर वास्तुशिल्प का सुन्दर आयाम है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए सीढ़ीदार रास्ता है। इसके ठीक उपर शिवलिंग स्थापित है। करीब 29 मीटर ऊंचाई वाला महाकालेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास का केन्द्र है। मंदिर के सन्निकट एक जलरुोत है। इसे कोटितीर्थ कहा जाता है। कोटितीर्थ को भी महादेव का स्थान माना जाता है।
वर्ष 1968 में सिंहस्थ महापर्व के पूर्व मुख्य द्वार की साज-सज्जा एवं विस्तार कराया गया था। श्रद्धालुओं की अपार भीड़ को देखते हुये एक आैद्योगिक घराना ने 1980 में सिंहस्थ के पूर्व विशाल सभा मण्डपम का निर्माण कराया था। खास यह कि महाकालेश्वर महादेव मंदिर की शिखर स्वर्ण जड़ित हैं। मंदिर के 118 शिखरों पर 16 किलो स्वर्ण आवरण जड़ित है।
मान्यता है कि उज्जैन भारत की कालगणना का केन्द्र था। महाकाल उज्जैन के अधिपति आदिदेव माने जाते हैं। उज्जैन को प्राचीनकाल में अवंतिकापुरी भी कहते हैं। तांत्रिक परम्परा में दक्षिणमुखी पूजा का विशेष महत्व है। महादेव की दक्षिणमुखी पूजा का महत्व केवल महाकालेश्वर महादेव को ही प्राप्त है। महादेव के इस स्थान में ओंकारेश्वर, महाकाल एवं नागचंदेश्वर विद्यमान हैं। मध्यप्रदेश के उज्जैन में धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व के स्थान महाकालेश्वर महादेव के दर्शन पुण्य-प्रताप के लिए श्रेष्ठतम हैं। साथ ही यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी बेहतरीन है। महाकालेश्वर महादेव मंदिर के आसपास श्री बड़े गणेश, हरसिद्धि, क्षिप्रा घाट, गोपाल मंदिर, गढ़कालिका देवी, भर्तृहरि गुफा, काल भैरव आदि हैं।
श्री बड़ा गणेश मंदिर : महाकालेश्वर महादेव के निकट ही श्री बड़ा गणेश मंदिर हरसिद्धि मार्ग पर स्थित है। मंदिर में श्री गणेश जी भव्य-दिव्य कलात्मक प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। मंदिर परिसर में सप्तधातु की पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा के साथ साथ नवग्रह मंदिर तथा कृष्ण यशोदा की प्रतिमायें विद्यमान हैं।
हरसिद्धि मंदिर : हरसिद्धि मंदिर उज्जैन के प्राचीन एवं महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। चिंतामणि गणेश मंदिर के कुछ ही दूर रुद्र सागर तालाब के निकट यह मंदिर है। सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य हरसिद्धि देवी थीं। सम्राट निरन्तर देवी की पूजा अर्चना करते थे। हरसिद्धि देवी वैष्णव सम्प्रदाय की आराध्य रहीं। शिवपुराण के मुताबिक राजा दक्ष की पुत्री सती की कोहनी यहां गिरी थी।
क्षिप्रा घाट : क्षिप्रा घाट उज्जैन का एक प्रमुख स्थान है। नदी के दाहिने किनारे पर शहर स्थित है। घाट पर स्नान के लिए सुन्दर सीढ़ियां बनीं हैं। घाटों पर देवी-देवताओं के प्राचीन एवं नवीन मंदिर हैं। क्षिप्रा नदी का गौरव सिंंंहस्थ में देखते ही बनता है।
गोपाल मंदिर : गोपाल मंदिर उज्जैन का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। यह मंदिर शहर के अतिव्यस्ततम क्षेत्र में स्थित है। मंदिर का निर्माण महाराजा दौलतराव सिंधिया की महारानी बायजा बाई ने 1833 में कराया था। मंदिर में कृष्ण जी की प्रतिमा है। मंदिर का द्वार चांदी का है।
गढ़कालिका देवी : गढ़कालिका देवी का मंदिर प्राचीन उज्जैन अर्थात अवंतिकापुरी में स्थित है। कवि कालीदास गढ़कालिका देवी के उपासक थे। इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन ने कराया था।
भर्तृहरि गुफा : भर्तृहरि गुफा वास्तविकता में 11 वीं सदी के एक मंदिर का अवशेष है। प्राचीनकाल का वास्तुशिल्प एवं सुन्दरता विशेष आकर्षित करती है।
काल भैरव मंदिर : काल भैरव मंदिर प्राचीन उज्जैन नगरी अर्थात अवंतिकापुरी में स्थित है। काल भैरव का यह मंदिर शिव उपासकों के कपालिक सम्प्रदाय से संबंधित है। मंदिर में काल भैरव की भव्य-दिव्य प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण प्राचीनकाल में राजा भद्रसेन ने कराया था।
ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर महादेव की दर्शन यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। उज्जैन का निकटतम एयरपोर्ट इंदौर है। इंदौर एयरपोर्ट से उज्जैन की दूरी करीब 55 किलोमीटर है। श्रद्धालु या पर्यटक भोपाल एयरपोर्ट से भी उज्जैन की यात्रा कर सकते हैं। उज्जैन से भोपाल एयरपोर्ट की दूरी करीब 172 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन उज्जैन में ही है। सड़क मार्ग से भी उज्जैन की यात्रा की जा सकती है।