वाराणसी। अब जब भारत विश्वगुरु बन रहा है, हमें बौद्धिकता बढ़ाना है, जिसके लिए हमे शोध पर बल देना होगा। इससे युवा नौकरी लेने वाला नही देने वाला बनेगा। नई शिक्षा नीति पर वाराणसी के रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में चल रहे अखिल भारतीय शिक्षा समागम के तीसरे और अंतिम दिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पत्रकारों से बात करते हुए यह बात कही।
उन्होंने बताया कि देश मे 1835 के बाद मैकाले शिक्षा पद्धति में जो बिंदु थे,आज़ादी के बाद उनमें संशोधन की जरूरत थी लेकिन नही हुआ। नौकरी पेशा के लिए मैकाले की शिक्षा पद्धति बनी थी। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक बदलाव लाने के लिए लाई गई है।
उन्होंने कहा कि जब 21वीं सदी में हम दार्शनिक तत्व की बात कर रहे है, इसलिए हमने सर्व विद्या की राजधानी को चुना, यहाँ सीखने सीखने की गुरु शिष्य परंपरा बहुत पुरानी है। उन्होंने बताया कि 260 फ्री टू एयर चैनल के जरिये गुणात्मक शिक्षा दी जायेगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी के माध्यम से हम भारत के सामान्य घर के बच्चों तक शिक्षा उपलब्ध शिक्षा कराएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनईपी के कार्यान्वयन पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का वाराणसी में 7 जुलाई को उद्घटान किया था। शनिवार को इसके समापन पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि नई शिक्षा नीति पर आगे का रोड मैप क्या होगा इस पर देश भर के कुलपति व विद्वानों ने चर्चा की है।
समागम में 350 से ज़्यादा विश्वविद्यालय व 600 से ज़्यादा विद्वानो ने प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में सबके सामने उल्लेख किया था कि हमारे देश में 1835 के उपरांत मैकॉले मिनिट्स में जो विषय रहता था। भारत की मूल विचार को डोमिनेंट करना कॉलोनी की राज को बरकरार रखना और आर्थिक संसाधनों को अख्तियार करने जैसे दो उद्देश्य से शिक्षा व्यवस्था बनाई गई थी। सिर्फ नौकरी पेशा की मानसिकता प्रस्तुत करने के लिए शिक्षा व्यवस्था बनाई गई थी। आजादी के उपरांत उसकी जितनी संशोधन की आवश्यकता होनी चाहिए थी नहीं हो पाई थी। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति उसी के आमूलचूल नया संस्कृति लाने के लिए चलाई गई एक मेजर पैराडाइम शिफ्ट हुई है। जब 21वीं सदी में भारत एक नॉलेज बेस इकोनामी की कल्पना कर रहा हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति उसका प्रमुख मसौदा है। ढांचागत परिवर्तन की ओर भारत की शिक्षा को ले जाना प्रधानमंत्री का विजन है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि पीएम का विज़न है। लोकल आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए टेक्नोलॉजी इनोवेशन पर जोर दें। इसके लिए शिक्षा जगत काम करें। यूनिवर्सिटी उसकी नया मंदिर बने। पहली बार देश में एक का समावेशी अप्रोच के साथ उच्च शिक्षा के सभी स्टेकहोल्डर्स को इकट्ठा लाकर इस प्रकार के एक समागम किया गया जिसको आने वाले समय में स्थाई रूप दिया जाएगा और निश्चित समय अंतराल में किया जायेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि पहली बार शिक्षाविदों का ऐसा सम्मेलन हुआ है अन्यथा पहले केंद्र और राज्य विश्वविद्यालय,आईआईटी, एनआईटी के अलग सम्मेलन होते थे।
काशी की अखिल भारतीय शिक्षा समागम का प्रमुख टेकवे है कि शिक्षा छात्र आधारित किया जाएगा और शिक्षकों के द्वारा किया जाएगा। यही काशी की गुरु शिष्य परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनानी है इसके लिए विश्व की बौद्धिक जगत में हमारी नेतृत्व भी चाहिए। हम रिसर्च एंड इनोवेशन के आधार पर उद्यमी नौजवान बना रहे हैं। जॉब्सीकर नहीं जॉब क्रिएट नौजवान बने। इसके लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेख है। इसका क्रियान्वयन सारे यूनिवर्सिटी कैसे करे इसके लिए निर्णय किया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि प्रधानमंत्री ने बजट में एक हजार करोड़ रुपया दिया हैं। जिसमे नए सिरे से 200 नये चैनल बनाने है। अभी हमारे पास सभी 34 चैनल है जो बढ़कर 60 हो जायेंगे। भाजपा सरकार नए पुराने मिलकर कुल 260 चैनल से फ्री टू एयर गुणात्मक शिक्षा देगी। उन्होंने डिजिटल यूनिवर्सिटी का ज़िक्र करते हुए कहा कि डिजिटल यूनिवर्सिटी के माध्यम से हम भारत के सामान्य घर के बच्चों तक शिक्षा उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने बताया कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 150 से ज्यादा लोगों के अनुभव और सुझाव भी आए। एक डिजिटल फीड बैक फार्म बनाया गया है। सभी के पास उसको भेज दिया गया है। फीडबैक भी सभी से लिया जाएगा। अखिल भारतीय शिक्षा समागम में जापान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को श्रद्धांजलि दी गई।