• संतुलित आहार खाएं और इंटेक के हिसाब से करें दैनिक गतिविधि और व्यायाम
• टीबी जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए सुपोषित होना जरूरी
लखनऊ। कुपोषण से आशय अक्सर बेहद कमजोर दिखने वाले लोगों से लगाया जाता है लेकिन ऐसा है नहीं। मोटापा भी कुपोषण का ही एक प्रकार है। मोटापा ऐसी स्थिति है जिसमें वजन बढ़ने के कारण शारीरिक बदलाव के साथ-साथ कई रोगों को जन्म लेने का मौका मिल जाता है। लिहाजा संतुलित आहार और फास्ट व जंक फूड से परहेज आपको कुपोषण से बचा सकता है।
वर्ल्ड इंस्टेंट नूडल्स एसोसिएशन की ताजा रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के फटाफट नूडल्स भोजन में भारत चौथा सार्वाधिक बड़ा बाजार है। 2017 तक इसका बाजार 93.66 अरब रुपए था जो 5.6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि भारतीय परिवार देश में पैदा होने वाले अनाज की जगह नूडल्स खा रहे हैं जो सेहत के लिए हानिकारक है।
एसजीपीजीआई की डायटिशियन प्रीति यादव के मुताबिक कुपोषण ना केवल घटे हुए बाडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के साथ बल्कि मोटापे से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि आपके शरीर में अधिक मात्रा में चर्बी जमा होनी शुरू हो जाती है। चर्बी के कारण आपका शरीर तो बढ़ता जाता है परंतु कुछ आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, विटामिन, मिनरल पर्याप्त मात्रा में आपके शरीर को नहीं मिल पाते। इससे आपको ट्यूबरक्लोसिस जैसी बीमारी भी जकड़ सकती है। लिहाजा इस तरह की बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि शरीर सुपोषित हो।
प्रीति ने बताया कि मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण है लंबे समय तक जितनी कैलरी आप खानपान से रोज लेते हैं उससे कम दैनिक गतिविधि और व्यायाम में खर्च करते हैं। समय के साथ-साथ यह अतिरिक्त कैलरी जमा हो जाती है और वजन बढ़ने का कारण बनती है।
उन्होंने बताया कि कैलरी बर्न न होने का मुख्य कारण आजकल का खानपान है। फास्ट फूड एवं जंक फूड की तरफ लोगों खासकर युवाओं और बच्चों का रुझान अधिक होता जा रहा है। इस तरह के भोजन से पेट तो भर जाता है परंतु आवश्यक पोषक तत्व शरीर को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते जिस कारण कई तरह के रोगों को शरीर में जन्म लेने का मौका मिल जाता है। अतः यह बहुत जरूरी है कि संतुलित व उचित मात्रा में भोज्य पदार्थों को दिनचर्या में शामिल किया जाए। साथ ही फिजिकल एक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जाए।
प्रीति के मुताबिक सभी पोषण कार्यक्रमों में कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना ज़्यादा देते हैं, उद्देश्य फलों और दालों को मिलाकर तैयार किया गया संतुलित आहार देने की जगह भूख मिटाना है। नीति-निर्माताओं की सोच ये है कि भूख को मिटाना है, लेकिन आँकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि कुपोषण एक बेहद गहरी और गंभीर समस्या है।
कुपोषण के संकेत : कुपोषण का सबसे आम लक्षण अनियोजित रूप से वजन का घटना है। आमतौर पर तीन से छह महीनों के भीतर आपके वजन में 5-10% से अधिक की कमी। हालांकि इसके अन्य संकेतों में शामिल हो सकते हैं-
• कमजोर मांसपेशियां
• हर समय थकान महसूस करना
• उदास मन
• बीमारियों या संक्रमण में वृद्धि
डॉक्टर को कब दिखाएँ : यदि आपका बीएमआई 18.5 से कम है या आप उपरोक्त लक्षणों में से किसी को महसूस या अनुभव करते हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। बीएमआई के माध्यम से यह जाना जाता है कि क्या आपकी ऊंचाई के आधार पर आपका वजन सही है।
यदि आपको लगता है कि आप या आपके संपर्क में कोई कुपोषण का शिकार है तो आपको फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वह कुपोषण के संकेतों की जांच करेंगे और उन स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो कुपोषण का कारण हो सकती हैं।
संतुलित आहार : अनाज, दालें, हरे पत्तेदार सब्जियां, अन्य सब्जियां, फल, दूध व दूध उत्पाद, घी या तेल इन सभी चीजों का रोजाना इनटेक जरूरी हो।