जानिए कैसे हुआ महाकाली का अवतरण

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आज शारदीय नवरात्रि की सप्तमी है माँ महाकाली की कथा

प्राचीन समय की बात है। संसार में प्रलय आ गई और चारों ओर पानी नजर आने लगा। उस समय भगवान विष्णु की नाभि से कमल की उत्त्पत्ति हुई। उस कमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई। विष्णु जी के कानों से कुछ मैल भी निकला था। जिससे मधु और कैटभ नाम के दो राक्षस भी पैदा हो गए।

मधु और कैटभ, ब्रह्मा जी को देख उन्हें अपना भोजन बनाने के लिए दौड़े। ब्रह्मा जी ने भय के मारे विष्णु जी स्तुति करनी आरंभ की। ब्रह्माजी की स्तुति से विष्णु भगवान की आँख खुल गई और उनके नेत्रों में वास करने वाली महामाया वहाँ से लोप हो गई। विष्णु जी के जागते ही मधु-कैटभ उनसे युद्ध करने लगे।

शास्त्रो के अनुसार यह युद्ध पाँच हजार वर्षों तक चला था। अंत में महामाया ने महाकाली का रुप धारण किया और दोनों राक्षसों की बुद्धि को बदल दिया। ऎसा होने पर दोनों असुर भगवान विष्णु से कहने लगे कि हम तुम्हारे युद्ध कौशल से बहुत प्रसन्न है। तुम जो चाहो वह वर माँग सकते हो। भगवान विष्णु बोले कि यदि तुम कुछ देना ही चाहते हो तो यह वर दो कि असुरों का नाश हो जाए। उन दोनों ने तथास्तु कहा और उन महाबली दैत्यों का नाश हो गया।