देशी गाय का शुद्ध घी करीब 80 प्रकार के रोग जो वात-पित्त के असंतुलन से होते है पर अंकुश लगाता है। इसमें दिमाग की गर्मी को शांत करने की अद्भुत क्षमता है। क्रोध व चिड़चिड़ापन स्वभाव वालो को भी शांत रखने में इसकी अहम भूमिका है। देशी गाय के घी में जो चिकनाई होती है, उसे स्नेह कहा जाता है। इसे खाने से शरीर व मन दोनों को ताकत मिलती है। मस्तिष्क का करीब 20 प्रतिशत भाग चिकनाई से बना है।
अध्ययनों की माने तो मस्तिष्क केवल 3.5 माइक्रोन से छोटी चिकनाई को ही ग्रहण कर पाता है। देशी गाय का बिलौने का घी 3.1 से 3.3 माइक्रोन का होता है, अन्य सभी चिकनाई 4.8 माइक्रोन से अधिक होती हैं। प्रसव या ऑपरेशन के कारण हुए घाव को देशी गाय का घी सबसे तेजी से भरता है। देशी गाय का घी बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने में सहायक है। देशी गाय का घी वजन को संतुलित रखता है।
आयुर्वेद बताता है कि देशी गाय के बिलौने से बनाया गया घी दवा की तरह काम करता है। मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के साथ ही त्वचा व बालों के लिए भी वरदान है। देशी गाय के दूध में फैट कम होता है। इस लिए करीब 29 से 32 लीटर दूध से एक किलो घी प्राप्त होता है। दही जमाने के बाद मक्खन निकाला जाता है।
इस मक्खन को गर्म करने के बाद घी निकलता है। इस लिए देशी गाय का घी महंगा होता है। जबकि भैंस व विदेशी गायों के करीब 12 से 20 लीटर दूध में ही एक किलो घी निकल आता है। भैंस के घी में अत्याकि कोलेस्ट्रॉल होता है। इस लिए जर्सी, फ्रीजन, होस्टन जैसी गाय व भैस का घी सस्ता मिलता है।
– देशी गाय के घी में लिनोलिक एसिड पाया जाता है जिससे वजन संतुलित रहता है।
– देशी गाय के शुद्ध बिलौना से प्राप्त घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है।
– गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।