लखनऊ। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 60 हजार निगरानी समितियां कोविड के खिलाफ महा अभियान चला रही हैं। समितियों के 4 लाख सदस्य गांवों में घर घर दस्तक दे कर न सिर्फ लोगों को जागरूक कर रहे हैं, बल्कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की टेस्टिंग कर मुफ्त मेडिकल किट उपलब्ध करा रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में निगरानी समितियों की तैनाती करने वाला यूपी देश का पहला राज्य है। लेकिन, एसी कमरों में बैठ कर ट्वीट करने वालों को गांव और जमीन पर हो् रहे कामों की जानकारी कैसे हो सकती है। यह बात सोमवार को प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक बयान में कही।
सपा मुखिया अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि एसी कमरे में बैठ कर बयान जारी करने से पहले अखिलेश यादव को कम से कम एक बार गांवों में जाना चाहिए था । वहां हो रहे कार्यों को देखना चाहिए था। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से गांवों में वापस आ रहे 621165 प्रवासियों की अब तक स्क्रीनिंग की गई है। स्क्रीनिंग के बाद 133560 लोगों को होम क्वारंटीन किया गया है। प्रदेश के जिलों में 566 क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं। इनमें जिला स्तर पर 187, तहसील स्तर 201, ब्लाक स्तर पर 9 और पंचायत स्तर पर 169 क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं।
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि लगातार आधारहीन बयानबाजी करके खुद का मखौल उड़वा रहे सपा और उसके नेता को कम से कम इस मुश्किल वक्त में जनता का हाल लेना चाहिए था। देखना चाहिए था कि योगी सरकार ने किस तरह से गांवों को कोरोना से बचाने के लिए महा अभियान चला रखा है। लक्षण वाले हर ग्रामीण की जांच हो रही है। हर बीमार व्यक्ति तक मेडिकल किट पहुंचाई जा रही है। जिनके पास आइसोलेशन की सुविधा नहीं है उन्हें पंचायत भवन और स्कूलों में बने आइसोलेशन सेंटर में रहने की सुविधा दी जा रही है। झूठी बयानबाजी कर जनता के बीच डर फैलाने की साजिश करने के बजाय अखिलेश लोगों की मदद के लिए घर से निकलते तो बेहतर होता।
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि रोजाना निगरानी समिति के सदस्य गांवों में घूमकर संक्रामित लोगों की पहचान कर उनको दवाएं व होम आइसोलेट करने का काम कर रहे हैं। विशेष सफाई अभियान चलाने के साथ ही गांवों में लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए इंडिया मार्क-2 हैंडपंप रिपेयर और रिबोर किए जा रहे हैं। फागिंग तथा एंटी लार्वा का छिडकाव किया जा रहा है। निगरानी समितियों में लेखपाल, रोजगार सेवक, एनजीओ, एसएचजी, कोटेदार से लेकर सफाई कर्मचारी तक अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। निगरानी समितियों द्वारा प्रदेश के 97 हजार राजस्व गांवों में घर-घर स्क्रीनिंग और टेस्टिंग का महाभियान शुरू किया गया है।