सदा जवां रहना हो तो चलें प्रकृति के संग

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आधुनिक सुविधाओ के नाम पर भोग विलास, आलस्य व तनाव पूर्ण जीवन, विभिन्न प्रकार के नशा, और असंतुलित आहार ऐसे बीमारियां पैदा करने वाले प्रदूषण है, जो हमारी अच्छी सेहत को खोखला कर के हमें बीमार कर देते हैं। आरोग्यता पूर्ण जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी श्रीनाथ चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रवीन्द्र पोरवाल जो भारत सरकार आयुष मंत्रालय की बोर्ड मेंबर भी है, उन्होंने यह जानकारी साझा की है।

बीमारी के मूल कारण को भी समझिए : हम इतने व्यस्त हैं कि अपने गिरते स्वास्थ्य और कम होती इम्यूनिटी के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं है। छोटे-छोटे दोषों समस्याओं और रोगों में डॉक्टर और दवाइयों के ऊपर निर्भरता है। बीमारी को जड़ से भगाने और सच्चे स्वास्थ्य को पाने के लिए ना कभी सोचते हैं ना कोई सार्थक प्रयास करते हैं, बीमार होने पर दवाइयों के सहारे रोग ठीक करने का एकमात्र मार्ग अपनाते हैं। हमें अपनी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए और रोगों से बचाव के लिए भरपूर श्रम करना चाहिए। योग आसन प्राणायाम का नियमित अभ्यास भोजन और दिनचर्या में सुधार के साथ-साथ प्रकृति के बताए रास्ते पर चलकर सच्चा स्वास्थ्य पाना चाहिए।

प्रकृति के आनंद का लुफ्त उठाएं : उगते हुए सूर्य की परम कल्याणकारी छटा के दर्शन और प्रातः कालीन बह रही शीतल शुद्ध हवा का कोमल मर्मस्पर्शी एहसास तो युवा वर्ग के लिए कठिन हो गया है। रात्रि में देर तक जागना और सुबह देर तक सोना मोबाइल और टीवी पर घंटों जूझना व जंक फूड और फास्ट फूड पढ़े-लिखे आधुनिक और धन संपन्न होने का प्रतीक बन गया है। विभिन्न प्रकार के सामाजिक दिखावे और नशा भी सेहत को खोखला कर रहे हैं। शिक्षित समझदार और बुद्धिमान होने पर भी धृतराष्ट्र की तरह आंख बंद कर अपनी सेहत को पूरी तरह दवाइयों के भरोसे पर छोड़ देना, बीमारी होने का कारण ढूंढ कर खुद आत्मचिंतन ना करना निरोगी जीवन के लिए आत्मघाती कदम है।

रोगों को आमंत्रण ना दें : आधुनिकता की अंधी दौड़ और समाज में दिखावा की अंधाधुंध प्रवृत्ति ने शरीर एवं मन मस्तिष्क के अनेकों रोगों को जन्म दिया है किंतु खुली आंखों के बावजूद हम उनका ना तो एहसास करते हैं ना ही सुधार का कोई उपाय अपनाते हैं। कंबल ओढ़ के पंखा और एसी चलाना, बंद गुफा की तरह अशुद्ध वायु से भरा हुआ बेडरूम, घर में विभिन्न प्रकार के केमिकल युक्त सुगंधित रसायन, मच्छर मारने वाली व अन्य कीटनाशकों का प्रयोग अंधाधुंध बोतलबंद पानी पीना, शरीर की जीवनी शक्ति का गला घोट रहा है।

भरपूर जवानी में हो गए बूढ़े ध्यान दें : भरपूर जवानी की स्थिति में थोड़ा सा मेहनत करने पर थकान आना सीढ़ियां चढ़ने पर सांस उखड़ जाना, कभी कमर में दर्द, कभी सिर में दर्द और कभी शरीर में दर्द, आलस्य और थकान जैसी बुढ़ापे की तकलीफे जवानी में ही दिखाई देती है लेकिन सामान्य रूप से लोग जवानी में आए इस बुढ़ापे की स्थिति को, स्वास्थ्य की इस गिरावट को नजरअंदाज कर देते हैं जो भविष्य में बड़ी बीमारी का कारण बन जाती है। ऐसे लोगों को प्राकृतिक, आयुर्वेदिक या हर्बल इम्यूनिटी बूस्टर और शरीर की आंतरिक अंगों जैसे लिवर, हृदय, पैंक्रियाज, गुर्दे, हड्डियां आते फेफड़े आदि की कमजोर हुई शक्ति को सशक्त बनाने वाले जड़ी बूटी या औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

जीभ चौकीदार है मालिक नहीं : खाना खराब है, सड़ा है, खट्टा है, कड़वा है, मीठा है इत्यादि जानकारी मस्तिष्क तक पहुंचाने का कार्य जीभ करती है। जीभ को स्वादिष्ट चीजें खूब भाती हैं, चाहे उनका सेहत पर बुरा प्रभाव कितना भी हो जीभ मनपसंद स्वाद के बिना मानती नहीं है। जीभ और मन मिलकर बड़ी मनमानी करते हैं। समोसा, चाट, तली, मसालेदार चीजें चाइनीस फास्ट फूड, जंक फूड बिना भूख भी चाव से खा लेते हैं। चटपटी तले मसालेदार भोजन के स्थान पर अपने पाचन तंत्र की हित को ध्यान में रखकर अच्छी सेहत के लिए ऐसा आहार करना चाहिए जो शरीर की पोषक तत्वों की पूर्ति के साथ-साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाएं।

भोजन स्वास्थ्य के लिए करें स्वाद के लिए नहीं : भोजन में भी विभिन्न संतृप्त रिफाइंड आईल व मेंदा चीनी, नमक, मसालों आदि का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल चटपटी तले प्राइड खाना बनाने में किया जा रहा है। यही नहीं नाश्ता या भोजन के रूप में जंक फूड, फास्ट फूड पर आधारित हमारा दैनिक भोजन शरीर को पुष्ट करने के स्थान पर जर्जर कमजोर और अस्वस्थ कर रहा है। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों जिनमें कीटाणु नाशक रंग व अन्य घातक रसायन होते हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदयक है। हरी सब्जियां, ताजे फलों और सलाद, ताजा सूप, दूध के सेवन से बच्चे ही नहीं बड़े भी कतराते हैं। इन प्राकृतिक आहार का कम मात्रा में सेवन करने से हमारे शरीर में विभिन्न विटामिन खनिज तत्व, पोषक तत्व, फाइबर के साथ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले एंटीऑक्सीडेंट फाइटोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है। जिससे शरीर विभिन्न प्रकार की तकलीफों का सामना करता है। स्वाद के लिए भोजन करने वाले अधिकांश लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है, सेहत गिरती जा रही है और इन्हें विटामिन एंटी ऑक्सीडेंट इत्यादि का युवावस्था में ही सेवन करने को मजबूर होना पड़ता है।

सोचिए और कदम उठाइए : शरीर और मन मस्तिष्क प्रसन्नता और आनंद से परिपूर्ण कैसे रहे दीर्घायु और निरोगता जीवन में हमेशा बनी रहे, जीवन की सक्रियता कभी कम ना हो इसके लिए वृद्ध और प्रौढ़ ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी चिंतित और सतर्क है। दीर्घ जीवन, स्वस्थ जीवन और सदाबहार जवानी की कामना कैसे पूरी हो यह मार्ग सबको चाहिए, सभी इसे पाना चाहते हैं। यह बहुत कठिन नहीं है लेकिन अधिकांश लोग योगिक क्रियाएं, प्राकृतिक उपचार पद्धति, हर्बल, देसी और घरेलू उपचार जैसे साधनों पर पूरी श्रद्धा और विश्वास रखते हैं किंतु उनका प्रयोग स्वयं और परिजनों के लिए करने में हिचकिचहट महसूस करते हैं या उस पर अमल नहीं करते है। हमें भारत की अमूल्य धरोहर को जिसने हमें सामाजिक व्यक्तिगत और पारिवारिक स्वास्थ का बेहतर मार्ग सुझाया है, उस मार्ग का अनुसरण करने में सर्वहित है।

60 की उम्र में भी 30 की उम्र वाली जवानी : मानसिक तनाव, डिप्रेशन, अनिद्रा, लिवर, हृदय, फेफड़ों, हड्डियों आदि की बीमारियां घर-घर में फैल रही है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों ने समाज में भय का वातावरण पैदा कर दिया है। किंतु फिर भी हम सचेत नहीं है। परिजनों की असमय मृत्यु भी हमारे कुतर्कों और गलत सोच को बदल नहीं पा रही है। हमें बीमारी के मूल स्रोत को ढूंढ कर जीवन में बदलाव लाकर अच्छी सेहत का रास्ता मिल सकता है। प्रकृति की गोद में रहकर उसकी छत्रछाया में प्रकृति के सिद्धांतों व नियमों का दृढ़ता पूर्वक पालन करके ही आरोग्यता पूर्ण जीवन जीने का मार्ग मिलता है। सुंदर, सुडोल तन व बुद्धि विवेक और शांतिवाला मानसिक स्वास्थ्य के साथ 60 की उम्र में भी 30 की उम्र वाली जवानी का जोश, शक्ति,उत्साह और दृढ़ता केवल प्रकृति के मार्ग के सहभागी बनकर और भगवत कृपा से ही संभव है।

रोग ही नहीं बढ़ती उम्र को भी हराए : वास्तविक उम्र से कम दिखना यानी हमेशा युवा दिखने वाला सक्रिय शरीर और दुखों कष्टों व बीमारियों से मुक्त जीवन के लिए प्रतिदिन 20 मिनट योग आसन, प्राणायाम, ध्यान, सूर्य नमस्कार, दिनचर्या में सुधार, 6 से 8 घंटे की गहरी शांत व स्वप्न रहित निद्रा, आहार में परिवर्तन और भरपूर श्रम करके ही शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
समय पर मौसम के अनुकूल ताजे फल, ताजे फलों का रस, अंकुरित अनाज, ताजा गाय का दूध या मट्ठा जैसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। भोजन में हरी पत्तेदार सब्जी, दाल मौसम की सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन अच्छा होता है। तीन श्वेत विष मैदा, नमक और चीनी इनसे बचें, मिठाइयां, बिस्किट, दालमोठ, चाट, पकोड़े आदि से बचें।