डीएफआई में निवेशक को 10 वर्ष की कर छूट

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देश में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) की स्थापना- प्रक्रिया का एक और चरण 16 मार्च को केंद्रीय मंत्रिमंडल से ‘नेशनल बैंक फाॅर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट विधेयक 2021’ को हरी झंडी मिलने से संपन्न हो गया। इसक मुख्यालय वित्तीय राजधानी मुंबई में स्थापित किए जाने वाले डीएफआई के विधेयक को 8 अप्रैल से पहले को संसद की स्वीकृति मिलना भी पक्का है।

डीएफआई का अस्तित्व ‘नेशनल बैंक फाॅर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चरऐंडडेवलपमेंट’ (एनबीएफआईडी) नाम से जाना जाएगा। सरकार अपने पूर्ण स्वामित्व में इसकी स्थापना कर रही है पर आगे चलकर इसमें अपनी 74 फीसद हिस्सेदारी साॅवरेन वेल्थ फंडों, बीमा और बड़े पेंशन फंडों के हाथों बेचकर आवश्यक पूंजी जुटाएगी। भावी निवेशकों से पूंजी जुटाने के उद्देश्य से कर- रियायत दी जाएगी। इसी के तहत ‘इंडियन स्टांप ऐक्ट’ में संशोधन करने की तैयारी है।

डीएफआई के प्रोफेशनल बोर्ड के प्रबंध निदेशक, उप प्रबंध निदेशक पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की खोज भी बैंकिंग बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) ने शुरू कर दी है। डीएफआई भारतीय बाजार के लिए नया नहीं है। इसलिए कि स्वतंत्रता प्राप्ति के एक साल के अंदर 1948 में इंडस्ट्रियल फाइनेंस काॅर्पोरेशन आॅफ इंडिया (आईएफसीआई) देश का पहला डीएफआई बना। इसके बाद 1955 में इंडस्ट्रियल क्रेडिट ऐंड इन्वेस्टमेंट काॅर्पोरेशन आॅफ इंडिया (आईसीआईसीआई) और वर्ष 1964 में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक आॅफ इंडिया (आईडी बीआई) के रूप में तीसरा डीएफआई देश को मिला। ये तीनों लंबी दूरी के खिलाड़ी नहीं हो सके। 1994-95 के बाद से ही देश को सक्षम डीएफ आई की सख्त जरूरत थी। लेकिन पुराना माॅडल उपयुक्तता खो चुका था।

एक अच्छी बात यह है कि आईसीआईसीआई को नया रंग-रूप देकर बिल्कुल नया अवतार बनाने वाले कुंडापुर वामन कामथ हमारे बीच हैं। यह उनकी काबिलियत और प्रोफेशनलिज्म ही है। जिसे समझकर उन्हें 2015 में ब्रिक्स देशों के नवस्थापित ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ का पहला प्रेसिडेंट बनाया गया, इस शख्सियत ने पूरे भारत का मान बढ़ाया, उन्हें भारत रत्न प्रदान कर देशवासी उऋण हो सकते हैं।

श्री कामथ ने एक इंटरव्यू में हाल ही में ‘भारत को कई डीएफआई की जरूरत’ बताई थी। वित्त मंत्री ने कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार सर्वप्रथम 5 हजार करोड़ रु का अनुदान (ग्रांट) देकर डीएफआई की बुनियाद डालेगी। टैक्स सेविंग बाॅण्ड के रूप में अनुदान डीएफआई की बुनियाद की पहली ईंट की भूमिका निभाएगा। डीएफआई में पूंजी निवेशक को 10 वर्षों तक कर-छूट देगी।

सरकार के कुल 20 हजार करोड़ रु के पूंजी योगदान को मिला कर जब एक लाख करोड़ रु की चुकता पूंजी कर ली जाएगी, तब डीएफआई नौ-दस लाख करोड़ रु आसानी से जुटाने की स्थिति में आ जाएगी। इंडियन स्टांप ऐक्ट में संशोधन होने पर दूसरे देशों के साॅवरेन वेल्थ फंडों, बड़ी पूंजी डालने में सक्षम बीमा और पेंशन फंड डीएफआई में निवेश करेंगे।

डीएफआई के अध्यक्ष पद पर विशिष्टता प्राप्त और तजुर्बेकार हस्ती को आसीन किया जाएगा। निर्णायक स्तर पर तीन नामों पर चर्चा भी हुई है। डीएफआई के बोर्ड आॅफ डाइरेक्टर्स को पर्याप्त प्रोफेशनल रखने के निर्णय को कार्पोरेट जगत में सराहा जा रहा है। बोर्ड में कम से कम पचास फीसद डाइरेक्टर प्रोफेशनल होंगे।

मौजूदा में सड़कों-पुलों की 2625 परियोजनाएं, रेलवे की 606, बंदरगाह-गोदियों की 79, उड्डयन क्षेत्र की 91,और नगरीय परिवहन की 220 परियोजनाएं वित्तपोषण के लिए टकटकी लगाए हुए हैं। बताते चलें-पड़ोसी ने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए छब्बीस साल पहले 1994 में ‘चाइना डेवलपमेंट बैंक की स्थापना कर ली थी, इसे चीन सरकार की आर्थिक नीतियों का इंजन कहा जाता है।

प्रणतेशनारायणबाजपेयी