दरियाई घोड़ा : एक कुशल तैराक

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‘वॉटर हार्स” जी हां, इसे ‘वॅाटर हार्स” कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी क्योंकि पानी-जलाशय-झीलों में इसकी अश्व शक्ति को सहजता से देखा व अनुभव किया जा सकता है। जी हां, दरियाई घोड़ा में गजब की ताकत होती है। हालांकि दरियाई घोड़ा जलाशय में सुप्तावस्था में रहता है क्योंकि उसे जलीय परिवेश बेहद भाता है। दरियाई घोड़ा बिलकुल गोलमटोल होता है। स्तनपायी जीव जन्तुओं की श्रेणी में शुमार होने वाला यह वन्य जीव-प्राणी ‘वॉटर हार्स” के नाम से भी जाना जाता है।
करीब चार मीटर लम्बा आैर चार टन वजन का यह वन्य जीव-प्राणी खास तौर से अफ्रीका की नदियों-झीलों व जलाशयों में पाया जाता है। दरियाई घोड़ा खास तौर से शाकाहारी होता है। हालांकि पानी में रहने वाले अधिकसंख्य जीव-प्राणी मांसाहारी होते हैं लेकिन दरियाई घोड़ा शाकाहारी होता है। घास इसका प्रिय भोजन होता है। दरियाई घोड़ा अधिकतर समय पानी में रहना पंसद करता है। सिर्फ भोजन के लिए पानी से बाहर आता है। दरियाई घोड़ा घास खाने के बाद फिर पानी में विश्राम के लिए चला जाता है।दरियााई घोड़ा को समूह में रहना पंसद अच्छा लगता है। इसके पैर खुरदार व थूथून चौड़ा होता है।
दरियाई घोड़ा अच्छा गोताखोर होने के साथ साथ अच्छा तैराक भी होता है। भारी-भरकम स्थूलकाय होने के बावजूद दरियाई घोड़ा भूमि तल पर पैंतालिस किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकता है तो वहीं पानी में तैरने की रफ्तार इससे कहीं अधिक रहती है। भोजन अर्थात घास की तलाश में यह  कई बार बीस से तीस किलोमीटर दूर तक निकल जाते हैं। इसके बावजूद अपने जलाशय में वापस लौटना नहीं भूलते। इसकी चमड़ी दो इंच मोटी होती है जिससे हिंसक पशुओं व अन्य हमलों का इस पर कोई खास असर नहीं होता क्योंकि हमला शरीर के मांस को चोट नहीं पहुंचा पाता। इसकी आैसत आयु करीब पचास वर्ष होती है।
हालांकि दरियाई घोड़ा का घोड़ों की प्रजाति से कोई संबंध नहीं होता है फिर भी इसे घोड़ा की श्रेणी में रखा जाता है। इसके पीछे इसकी ताकत को माना जाता है। जन्म लेने के समय दरियाई गोड़ा लगभग तीन फुट लम्बा होता है तो वहीं इसका वजन पच्चीस किलो के आसपास होता है। ऊंचाई भी उस वक्त करीब डेढ़ फुट होती है।  दरियाई घोड़ा जलाशय में एक झुण्ड में रहना पंसद करते हैं। इसे बालवाड़ी कहा जाता है। इस बालवाड़ी में सबसे अन्दर शिशुओं को रखा जाता है। इसमें भी नर व मादा शिशुओं को अलग-अलग रखा जाता है। शिशुओं के बाद मादायें रहती हैं। मादाओं के बाद नर दरियाई घोड़ा रहते हैं। खास बात यह होती है कि नर शिशु के व्यस्क होते ही उसे बालवाड़ी से बाहर कर दिया जाता है। बलिष्ठ व ताकतवर नर दरियाई घोड़ा व्यस्क हो चुके या व्यस्क हो रहे नर को बालवाड़ी में अन्दर आने से रोकते हैं जबकि व्यस्क दरियाई घोड़ा बालवाड़ी में अन्दर आने की कोशिश करते हैं।