# शुगर रोगियों का खतरे का न भांप पाना बढ़ा रहा हृदय रोग की बीमारी # विशेषज्ञों की सलाह, मधुमेह रोगी न सिर्फ स्वयं बल्कि बच्चों को लेकर भी बरतें सतर्कता
लखनऊ। मधुमेह यानी डायबिटीज भले ही आज एक आम बीमारी हो गई हो, लेकिन अभी भी लोग इसके खतरे को लेकर लापरवाह बने हुए हैं। डायबिटीज कई बीमारियों की जड़ होने के साथ दिल की बीमारी, हृदय रोग जैसी समस्या की बड़ी वजह बन रही है। ऐसे में इसके प्रति गम्भीर नहीं होना जान के खतरे का सबब बन सकता है।
डायबिटीज एक प्रकार से हृदयाघात की स्थिति : राजधानी लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) में हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. भुवन चंद्र तिवारी के मुताबिक डायबिटीज का मतलब है कि एक प्रकार से आपको हृदयाघात हो गया है। यह बात डराने के लिए नहीं है, लेकिन ये चेतावनी है कि अगर आपको डायबिटीज हो गई है तो आप हार्ट अटैक की स्थिति में पहुंच गये हैं। इसके रिस्क फैक्टर की बात करें तो कोलेस्ट्रोल ज्यादा बढ़ जाता है, शुगर का स्तर बढ़ने के कारण रक्त गाढ़ा होना शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति में ब्लड का फ्लो धीमा हो जाता है। शुगर के कारण खून चिपचिपा हो जाता है। दिल की धमनियों में एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल जमा होना शुरू हो जाता है। इस एलडीएल के बढ़ने से दिल से जुड़ी परेशानी शुरू हो जाती है जो हृदय रोग का कारण बनती है।
डायबिटीज मरीज में हार्ट अटैक की सम्भावना कई गुना ज्यादा: प्रो.तिवारी के मुताबिक सामान्य रोगी के मुकाबले डायबिटीज के मरीज में हार्ट अटैक होने की सम्भावना कई गुना ज्यादा होती है। इसलिए डायबिटीज को खतरे की घंटी समझना चाहिए। इसका पता लगते ही सचेत होकर अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव शुरू कर दें। ऐसा करने से हृदय रोग के के खतरे को समय रहते कम किया जा सकता है।
दिल तक रक्त पहुंचाने वाली तीनों धमनियों में कोलेस्ट्रॉल होने लगता है एकत्र: सामान्य ब्लड प्रेशर वाले मरीज या दिल के रोगी में एलडीएल किसी एक जगह या दो जगह इकट्ठा होता है। वहीं इसके मुकाबले डायबिटीज वाले मरीज में दिल तक रक्त पहुंचाने वाली तीनों धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होना शुरू हो जाता है। नसों के काफी हिस्से में समस्या होने के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है जो दिल के दौरे की वजह के रूप में भी सामने आती है। प्रो. तिवारी कहते हैं कि सरल भाषा में कहा जाए तो अगर एक मरीज को हार्ट अटैक हुआ और एक को डायबिटीज हुई है और उसने जीवनशैली में सुधार नहीं किया है, तो दोनों इंसान एक ही स्तर पर हैं।
युवाओं में पहले की अपक्षा ज्यादा बढ़ा खतरा : उन्होंने बताया कि डायबिटीज के मरीजों की संख्या धीरे-धीरे काफी बढ़ रही है। खासतौर से कम उम्र के लोगों में अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा डायबिटीज के मामले सामने आ रहे हैं। इसकी वजह से भी युवाओं में हृदय रोग में भी इजाफा देखने को मिल रहा है।
समय रहते जीवनशैली में बदलाव लाना बेहद जरूरी : डायबिटीज आनुवांशिक भी होती है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में यह देखने को मिलती है। इसके अलावा जंक फूड का ज्यादा प्रयोग, फिजिकल एक्टिविटी कम होना, आरामदायक जीवन शैली जैसे बड़े फैक्टर भी इस मर्ज के बढ़ने की वजह है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज है तो ना सिर्फ उसको अपनी जीवनशैली में तत्काल बदलाव लाकर हृदय रोग के खतरे को लेकर सचेत हो जाना चाहिए बल्कि अपने बच्चों को लेकर भी सतर्कता बरतनी चाहिए।
जाहिर तौर पर मां-पिता अगर ज्यादा तला-भुना खायेंगे, जंक फूड घर में लायेंगे तो बच्चे भी उसका सेवन करेंगे। मां-बाप की आदतों का असर अगली पीढ़ी पर पड़ना स्वभाविक है। ऐसे में कई बार बच्चों में माता-पिता की तरह मोटापा जैसी समस्या भी कम उम्र में देखने को मिलती है। जो आगे जाकर और गम्भीर हो जाती है। इसलिए जैसे ही किसी व्यक्ति को पता चलता है कि उसे मधुमेह है, तो न सिर्फ उसे स्वयं अच्छी जीवनशैली को अपना चाहिए बल्कि बच्चों को इससे जोड़ना चाहिए।
हाई ब्लड शुगर से हार्ट ब्लड वेसेल्स को पहुंचता है नुकसान : केजीएमयू के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर अरविंद मिश्रा के मुताबिक ज्यादा वक्त से डायबिटीज होने पर हाई ब्लड शुगर शरीर में मौजूद ब्लड वेसल्स, हार्ट ब्लड वेसेल्स और दिल को नियंत्रित करने वाले नर्व्स को नुकसान पहुंचा सकता है। जितना अधिक समय तक किसी व्यक्ति में डायबिटीज रहेगी, उतनी अधिक संभावना हृदय रोग की बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि डायबिटीज की वजह से हार्ट डिजीज का खतरा युवा अवस्था से ही शुरू हो जाता है। ज्यादातर डायबिटीज के वयस्क मरीजों में मौत का कारण हार्ट डिजीज ही होते हैं। डॉ. अरविंद के मुताबिक अगर डायबिटीज को नियंत्रित रखा जाए तो दिल की बीमारी या स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है। डायबिटीज और हृदय रोग का आपस में एक-दूसरे से सम्बन्ध हैं। लगभग 80 फीसदी डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों को दिल की बीमारी होती है। डायबिटीज की वजह से ग्रस्त कई व्यक्तियों में हार्ट डिजीज के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इसलिए, इसे अक्सर साइलेंट हार्ट डिजीज भी कहा जाता है।
डायबिटीज रोगियों में दिल का दौरा पड़ने पर कई बार नहीं होता दर्द: हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी सिंह के मुताबिक शहरीकरण, जीवन शैली में आया बदलाव अपने साथ कई समस्याओं का लेकर आया है। दिल इनकी वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। डायबिटीज को लेकर सतर्क और सजग होना बेहद जरूरी है। कई बार दिल का दौरा पड़ने पर डायबिटीज रोगियों में अन्य रोगियों के मुकाबले अधिक दर्द नहीं होता है। इसे मेडिकल भाषा में एसिम्पटोमेटिक कहा जाता है। इस तरह के मामलों में मरीज खतरा भांप नहीं पाते और समय पर इलाज नहीं मिलना भारी पड़ता है। इसलिए डायबिटीज के मरीज लापरवाही न बरतें। अगर लोग इसे लेकर जागरूक रहें तो बड़े खतरे को टाला जा सकता है।
डायबिटीज रोगियों में हार्ट अटैक के लक्षण : लम्बे समय तक डायबिटीज होने से दर्द महसूस करने वाली कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं। इससे हार्ट अटैक में दर्द महसूस नहीं होता है। दर्द की जगह उनकी सांसें फूलने लगती हैं और पसीना आने लगता है। इसके अलावा घबराहट होना, चक्कर आना, बेहोश होने जैसी स्थिति, अत्यधिक पसीना, कंधों में दर्द, जबड़ा और बांया हाथ में असर पड़ना, जी मिचलाना आदि प्रमुख लक्षण हैं।
डायबिटीज रोगी सचेत होकर टाल सकते हैं खतरा : -कोलेस्ट्रॉल की समस्या स्थिति और ज्यादा घातक बना सकती है, इसलिए इसको बढ़ने न दें।
# शुगर का स्तर ज्यादा होने पर धूम्रपान नहीं करना चाहिए। धूम्रपान और डायबिटीज दोनों ही रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण करते हैं।
# समय पर खाना और थोड़ी-थोड़ी देर पर भोजन की आदत डालें।
# शुगर नियंत्रण के लिए पैदल चलें, प्रतिदिन व्यायाम जरूर करें।
# वसा युक्त और जंक फूड से दूरी बनाना बेहतर है।
# मौसमी सब्जियों-फलों का सेवन जरूर करें।