वो समय गया जब बाढ़ में डूब जाती थीं बाढ़ बचाव की परियोजनाएँ: सीएम योगी
मई तक पूरी हो जाएंगी बाढ़ से बचाव की सभी परियोजनाएं
सीएम ने किया बाढ़ नियंत्रण की 146 परियोजनाओं का लोकार्पण और 170 परियोजनाओं का शिलान्यास
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा प्रदेश की जनता को अब बाढ़ को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं। वह सरकारें चली गईं, जिनके समय में बाढ़ बचाव की परियोजनाएं बारिश से ठीक पहले शुरू होती थीं और बाढ़ में ही बह जाती थीं। वर्तमान सरकार बाढ़ की समस्या से स्थायी निजात दिलाने के लिए नियोजित कार्य कर रही है। सतत प्रयासों से न केवल बाढ़ के सीजन में जनजीवन सुरक्षित रहा है, बल्कि खेतों की सिंचाई क्षमता में भी इजाफा हुआ है। इससे लोगों का विश्वास भी बढ़ा है। उन्होंने कहा है कि बाढ़ से बचाव के प्रति यह सरकार की प्रतिबद्धता ही है कि आज परियोजनाएं जनवरी में ही शुरू हो रहीं हैं और बरसात से पहले मई तक पूरी भी हो जाएंगी।
मुख्यमंत्री योगी, बुधवार को अपने आवास पर आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की बाढ़ बचाव से जुड़ी 146 परियोजनाओं का लोकार्पण तथा 170 परियोजनाओं का शिलान्यास कर रहे थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ आपदा की दृष्टि से 2017 में प्रदेश के 24 जिले अति संवेदनशील थे, जबकि 16 जिले संवेदनशील श्रेणी में थे। बावजूद इसके, न कहीं बाढ़ बचाव की कोई व्यवस्थित कार्ययोजना थी, न राहत सामग्री की। लेकिन वर्तमान सरकार ने स्थानीय जरूरतों का आंकलन कर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की, उन्हें लागू कीं और जवाबदेही निर्धारित की। नतीजा आज काफी बड़े पैमाने पर बाढ़ से लोग सुरक्षित हुए हैं। व्यापक स्तर पर लोगों को सहायता मुहैया कराई गई है। यही नहीं, राज्य के इतिहास में पहली बार कुछ अभिनव प्रयोग भी किए गए। नदियों की ड्रेजिंग और चैनलाइजेशन की व्यवस्थित कार्ययोजना बनाकर काम हुआ। इसके अच्छे परिणामों से उत्साहित तमाम जनप्रतिनिधियों ने इसे अपने क्षेत्रों में भी लागू करने की जरूरत बताई है। सीएम योगी ने बाढ़ बचाव कार्य कार्यों की बेहतरी के लिए जियो टैगिंग और सीसीटीवी कैमरे लगवाने जैसे टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल करने के लिए जल शक्ति मंत्री और उनकी पूरी टीम की सराहना भी की।
ड्रेजिंग से निकली बालू का तत्काल कराएं टेंडर:
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि नदियों और बड़े नहरों की ड्रेजिंग अथवा सफाई से निकलने वाली बालू और सिल्ट के सम्बंध में तत्काल टेंडर कराएं। इससे जो राशि प्राप्त होगी उसे माइनिंग फंड में जमा कराएं, यह पैसा जनहित के काम आएगा। उन्होंने कहा कि जनहित के लिए धन की कोई कमी नहीं है। कन्वर्जेंस के माध्यम से विविध विकल्प उपलब्ध हैं। फिर भी संवेदनशील क्षेत्रों के लिए यदि कोई आवश्यक कार्य है, धन की जरूरी है तो उसे विभाग को बताएं, शासन से पूरी मदद मिलेगी।
ग्रामीणों ने कहा शानदार हुआ है काम, जनप्रतिनिधियों ने भी दिया अच्छा फीडबैक:
लोकार्पण व शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने न केवल जनप्रतिनिधियों से कार्यों की गुणवत्ता का फीडबैक लिया, बल्कि स्थानीय जनता से भी बाढ़ बचाव कार्यों के बाबत जानकारी ली। बलरामपुर, गोरखपुर, मथुरा, सिद्धार्थ नगर, देवरिया, कुशीनगर सहित कई जनपदों से स्थानीय ग्रामीणों ने सीएम को बताया कि तटबंधों की मरम्मत हो, बोल्डर का कार्य हो, ड्रेजिंग की कार्यवाही हो अथवा लोकार्पित हुई नई परियोजनाएँ, सभी का काम संतुष्टिपरक है। ग्रामीणों ने बाढ़ दुर्दशा की दशकों की कहानी सुनाते हुए सीएम योगी को बाढ़ बचाव के लिए तत्परता से काम कराने पर आभार भी जताया। मुख्यमंत्री ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जनता से कहा कि कोई भी विकास कार्य हो रहा हो, सभी उसकी मॉनिटरिंग करें, जहां गड़बड़ी हो उसकी जानकारी दें।
रंग ला रहा हमारा प्रयास: जलशक्ति मंत्री डॉ.महेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2013 में प्रदेश की 15 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित रही, जबकि लगातार किए जा रहे प्रयासों से इस बार केवल 12 हजार 05 हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित हो सकी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 में 74, 2018-19 में 111, 2029-20 में 151 परियोजनाएँ विभाग ने पूरी कीं। कोविड काल में लगातार काम करने का ही सुफल है कि आज 146 परियोजनाएं जनता को समर्पित की जा रही हैं। कार्यक्रम में लोकार्पित और शिलान्यास की गईं बाढ़ बचाव की परियोजनाओं के संबंध में विभागीय अपर मुख्य सचिव टी.व्यंकटेश ने विस्तार से जानकारी दी। जबकि आभार ज्ञापन जलशक्ति राज्य मंत्री विजय कश्यप ने किया।