रोज़गार मांगने वाली नहीं अपितु रोज़गार प्रदान करने वाली शिक्षा समय की आवश्यकता
वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने विश्वविद्यालय में हथकरघा प्रौद्योगिकी में एडवांस्ड डिप्लोमा और पर्यावरण जागरूकता एवं शिक्षा में एडवांस्ड डिप्लोमा इन दो कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों के दीक्षारंभ कार्यक्रम के उपलक्ष्य में कहा है कि नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा संस्थान में कौशल विकास की शिक्षा के दृष्टि से खादी एवं पर्यावरण से संबंधित पाठ्यक्रमों का हिंदी विश्वविद्यालय आदर्श केंद्र बनेगा।
कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों में श्रम की प्रतिष्ठा का यह अभियान कौशल विकास की दिशा में महत्वपूर्ण अभियान होगा। महात्मा गांधी फ्यूजी गुरुजी सामाजिक कार्य अध्ययन केंद्र के अंतर्गत इन दो पाठ्यक्रमों की विधिवत शुरूआत ऑनलाइन की गयी। इस अवसर पर केंद्र के निदेशक प्रो. मनोज कुमार, प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट, पाठ्यक्रम के संयोजक एसोशिएट प्रो. के. बालराजु, डॉ. मिथिलेश कुमार, डॉ. शिव सिंह बघेल, केंद्र के अन्य शिक्षक एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।
कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि रोज़गार मांगने वाली नहीं अपितु रोज़गार प्रदान करने वाली शिक्षा समय की आवश्यकता है। व्यक्ति को आजीविका के साथ-साथ स्वतंत्रता और उन्नति मिल सकें इसके लिए कौशल विकास के अंतर्गत विश्वविद्यालय ने खादी एवं पर्यावरण से जुड़े इन दो पाठ्यक्रमों को प्रारंभ कर महत्वपूर्ण पहल की है। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों पाठ्यक्रम बड़े परिवर्तन के दिशादर्शक बनेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कौशल विकास की शिक्षा से सफल अर्थवान जीवन की निष्पत्ति हो सकेगी।
कार्यक्रम की प्रस्तावना देते हुए प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत रागीट ने कहा कि हथकरघा से शुद्ध खादी तैयार होगी और इसे एक अभियान के रूप में विश्वविद्यालय के आसपास के गावों में चलाया जाएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन पाठ्यक्रमों से वर्तमान समय की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा और यह मिल का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि गोशाला, सौर ऊर्जा और बारिश के पानी का बेहतर उपयोग आदि प्रयोगों से वर्धा जिले के आसपास के लोगों को जोड़ा जाएगा। उन्होंने संकल्प व्यक्त किया कि आगामी दो वर्ष के भीतर जिले में खादी का बड़ा अभियान बनाया जाएगा।
स्वागत व्यक्तव्य में प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि स्वावलंबन, कौशल विकास में दोनों पाठ्यक्रम महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होंगे। पाठ्यक्रम के संयोजक डॉ. के. बालराजु ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए दोनों पाठ्यक्रमों में रोज़गार की अनेक संभावनाएं पैदा होगी और नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अनूठे पाठ्यक्रम होंगे। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. मिथिलेश कुमार ने किया तथा आभार डॉ. शिव सिंह बघेल ने व्यक्त किया। दीक्षारंभ में केंद्र के अध्यापक डॉ. पल्लवी शुक्ला, डॉ. आमोद गुर्जर, डॉ. गजानन निलामे, डॉ. ज्योति कुमारी, डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय सहित दोनों पाठ्यक्रमों में प्रवेशित विद्यार्थियों ने सहभागिता की।