आजादी से पहले किसी मेहमान के घर पहुंचने पर कभी हमारी परम्परा लस्सी, छाछ व गुड़ के शरबत की रही। अंग्रेजों ने भले ही कुछ किया हो न किया हो लेकिन हमारी मेहमानवाजी की परम्परा गांव से शहर तक एक समान अवश्य करा गये। वह है चाय की गर्मागर्म प्याली। इस बारे सबकी राय यही है कि घर के बाहर निकलते ही सबसे ज्यादा जिस चीज की तलब लगती है वह चाय की। आज के कश्मीर से कन्या कुमारी तक खानपान जरूर अलग-अलग मिलें लेकिन आपको जगह-जगह चाय जरूर मिल जाएगी। जाड़े में तो पचास एमएल चाय शरीर पर लदे पांच दस किलो वूलेंस पर भारी पड़ जाती है। चाय का प्याला चाहे वह चीनी मिट्टी का हो, मिट्टी का हो, चाय का गिलास चाहे थर्मोकोल का हो या फिर कांच का … दस्तानों से कवर्ड उंगलियों के बीच आते ही जिस गर्मी से भर देता है वह अलाव से भी जल्दी नहीं मिलती।
इटौंजा के एक छोटे से गांव से मेडिकल की इंट्रेंस की कोचिंग पढ़ने शहर के कपूरथला इलाके में दोस्तों के साथ चाय की चुस्की ले रहीं चारू फरमाती हैं – ‘यहां की चाय पिये बिना दिमाग की बत्ती जलती ही नहीं है। यहां की चाय में जो चुस्ती मिलती है वह घर की चाय में नहीं मिलती।” यहां चाय पियक्कडा़ें या यूं कहें चायखोरों का जमावड़ा लगा रहता है। टी स्टाल के मालिक का कहना था-‘हम चाय को पम्पिंग स्टोव पर पकाते हैं, चाय जब तक अच्छी तरह से न पक जाए तब तक मजा नहीं देती। यही हमारा फंडा है।” शहर के बाहर निकलते ही जगह-जगह ढाबे हैं आैर ढाबों में बनने वाली चाय का आनन्द ही कुछ आैर है।
बख्शी के तालाब के पास कार रोक चाय की चुस्की ले रहे रिटायर्ड सरकारी अधिकारी का परिवार चाय पकौड़े का नोश फरमा रहा था। पता चला कि वे कानपुर में रहते हैं आैर लखीमपुर अपने गांव जा रहे हैं। बताते हैं कि यहां की चाय रास्ते की सारी थकावट फुर्र कर देती है। साथ चल रहे नौकर रामआसरे बोल पड़ते हैं, ‘भइया, याक पियाला चा (चाय) अंदर गये तौ समझो अमृत पी लिहेन।”
राजधानी का सबसे क्राउडेड एरिया चारबाग स्टेशन पर दूर-दूर से लोग अपनी यात्रा पूरी कर उतरते हैं या फिर अपनी यात्रा शुरू करते हैं। एक अनुमान के अनुसार दिन रात मिलाकर पचास से साठ हजार प्याला चाय रोज होठों से होकर पेट में उतर जाती है। जाड़े में तो यह संख्या दोगुनी से भी ज्यादा पहुंच जाती है। माल गोदाम के पास रेलवे कैंटीन में भी हर वक्त चाय के चुस्कीबाज भरे रहते हैं। यहां हर आधे घंटे में चाय का भगोना चढ़ जाता है। फिर देखते ही देखते ही खाली हो जाता है। पानदरीबा का ग्लोेब रेस्टोरेंट चाय के अपने अनूठे अन्दाज के लिए खासा मशहूर है। रिक्शे पर सवार गोरखपुर के एक गांव से रामचंद्र यादव पीजीआई अपनी पत्नी का इलाज कराने आये हैं। रेस्टोरेंट के बाहर हाथ में चाय का कुल्हड़ लिए पूरा परिवार चाय का आनन्द ले रहा है। रिक्शेवाला भी फुटपाथ पर बैठा यूं चाय पी रहा है मानो रहा ‘हाट फ्यूल” ले रहा हो। चाय खत्म कर रामचन्द्र यादव जी अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हैं , ‘गांव में हमारे यहां दूध में सीधे पत्ती डालकर चाय बनाते हैं पर यहां की चाय में भी मजा आ गया।” रेस्टोरेंट के मालिक बताते हैं कि हमारा फंडा है पानी कम दूध ज्यादा। दूध भी फुल क्रीम वाला। इलायची अदरक के अलावा आैर कुछ भी चाय में नहीं डाला जाता। यहां दूसरे शहरों के सैलानी आैर अपडाउन करने वाले यात्री जरूर चाय पीकर जाते हैं।”
चाय पर बात निकल ही आयी है तो फैक्ट्स पर रोशनी डालते चलें। भारत का पहला टी बार इंफिनिटी नाम से बंगलुरु में खोला गया। यहां हर साल 15 दिसम्बर को विश्व टी दिवस मनाया जाता है। इस टी बार में दुनिया में भर में पिलायी जाने वाली 30 तरह की चाय परोसी जाती हैं। यहां कली व फूल चाय के अलावा मेवे युक्त चाय भी परोसी जाती है। इंफिनिटी टी बार ने सबसे पहले एक्जॉटिक ग्रीन टी नाम से एक नया फ्लेवर अपने ग्राहकों के लिए उतारा था, जिसको बाद में सभी बड़े होटलों में परोसा गया।
दिल की बीमारियों से बचाती है चाय : चाय बारे में अक्सर कहा जाता है कि उसमें मौजूद कैफीन शरीर में पानी की कमी (डिहाईड्रेशन) कर देता है लेकिन हाल में हुए अध्ययन इस धारणा को खारिज करते हैं। शोध में पाया गया कि एक दिन में चार से छह कप चाय एक लीटर पानी पीने के बराबर तरोताजा रखती है। शोध में यह भी निष्कर्ष निकला कि चाय से छह कप चाय शरीर में किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती। ब्रिटेन के एक उच्च गुणवत्ता वाले क्लिनिकल परीक्षण में 21 लोगों पर किये गये परीक्षण से स्थापित हुआ कि चाय से छह कप चाय शरीर में किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाने के बजाए फायदा पहुंचाती है। इस शोध के न्यूट्रिशनल एडवाइजर डा. कैरे रक्सटॉन के मुताबिक, शरीर में पानी के स्वस्थ स्तर को बनाए रखने में चाय एक बेहतर पेय पदार्थ है। इसके अलावा चाय फ्लेवोनॉयड का समृद्ध स्त्रोत है जिसका सम्बन्ध दिल की बामीरियों आैर स्ट्रोक का खतरा कम करने से है।
बिना दूध वाली चाय घटाती है वजन : शोध से यह भी पता चला है कि चाय में ऐसे आक्सीडेंट पाये जाते हैं जो आपका वजन कम करने में सहायक होते हैं। एक ने अपने शोध में पाया कि अगर चाय में दूध मिला दिया जाए तो वसा से लड़ने का यह गुण समाप्त हो जाता है। बहुत पहले यह पता लगाया जा चुका था कि चाय में थीफ्लाविन आैर थियरूबिन जैसे एंटी आक्सीडेंट होते हैं जो आंत द्वारा अवशोषित होने वाली वसा आैर कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम कर देते हैं। टी रिसर्च एसोसिएशन इन असम, भारत के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा चूहों पर किये गये प्रयोगों में ये पाया गया कि यौगिक मोटापे कोे कम करने में भी चाय मददगार है।
कैंसर से बचाती है चाय : शोध पता चला है कि कम से कम दो कम चाय पीने वाले को त्वचा के कैंसर की गिरफ्त में आने से बचाता है। चाय में कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो त्वचा कैंसर से लड़ने की इंसान की प्रतिरोधी क्षमता में इजाफा करते हैं। त्वचा कैंसर के दो सर्वाधिक सामान्य रूपों स्क्वेमस सेल कार्सीनोमास आैर बैसल सेल कार्सीनोमास से लड़ने से चाय खास योगदान दे सकती है। यह दोनों तरह के कैंसर त्वचा पर हद से ज्यादा धूप पड़ने पर होते हैंं। विशेषज्ञों के मुताबिक लम्बे समय तक धूप में काम करना जानलेवा साबित हो सकता है। स्क्वेमस सेल कार्सीनोमास मुख्यत: चेहरे पर होने वाला कैंसर है। त्वचा कैंसर कई बार अल्सर की रफ्तार से इस कदर फैलता है कि इसका इलाज असम्भव हो जाता है। बैसल सेल कार्सीनोमास शरीर में सुन्न दाने जैसा निकलता है। दबाने से दर्द भी नहीं होता। कई बार इसका आकार तेजी से बढ़ता है।अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थित डर्टमाउथ मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने 25 से लेकर 74 वर्ष के 14 सौ से अधिक मरीजों पर अध्ययन कर यह रिपोर्ट तैयार की है। शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जो लोग नियमित रूप से चाय पीते रहे हैं उनमें स्क्वेमस सेल कार्सीनोमास कैंसर होने का खतरा 65 फीसद कम पाया गया। वहीं बैसल सेल कार्सीनोमास नामक कैंसर का खतरा 80 फीसद कम पाया गया। सबसे अधिक फायदा उन लोगों को हुआ जो लम्बे से समय से चाय का सेवन कर रहे हैं। शीर्ष शोधकर्ता जूडी रीस के अनुसार चाय अनेक बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी देती है।
चाय के हैं बड़े-बड़े गुण : चाय में पाने जाने वाले तत्व एंटीआक्सीडेंट का काम करते हैं आैर शरीर से वसा को बर्न करने की क्षमता होती है। हार्ट अटैक व दिल की अन्य बीमारियों से चाय बचाती है। चाय में मौजूद एंटी आक्सीडेंट कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने में सहायक हैं। चाय के सेवन से पार्किंसन रोग की सम्भावना कम हो जाती है। चाय पीने से अल्ट्रावायलेट किरणों से घातक प्रभाव से तत्वा बची रहती है। वैज्ञानिकों को मानना है कि चाय के सेवन से मैटाबॉलिक सिंड्रोम (जो डायबटीज, धमनियों में रुकावट की परेशानियों व स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार है) से बचा जा सकता है। सिगरेट पीने वालों को होने वाले फेफड़े के कैंसर का प्रभाव चाय कम करती है। टाइप टू डायबटीज में ग्रीन टी काफी फायदा करती है। अलजाइमर व अन्य मानसिक रोगों के रोकथाम में चाय की खास भूमिका पायी गयी है।
प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव