अंततः योगी ने लपेटे में ले ही लिया अखिलेश को

* अखिलेश यादव को अयोध्या मामले में ऐसा फंसा दिया है कि न निगलते बन रहा न उगलते * रेप पीड़िता के मामले में मोइद खां पर पुलिस की कार्रवाई का खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे * सांसद अयोध्या की शुरुआती चुप्पी पर भी पार्टी की ओर से कोई स्वीकार्य सफाई भी नहीं आ रही

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लखनऊ। हफ्तेभर पहले तक बांह चढ़ाकर भाजपा को लपेटे में लेने वाले अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री योगी ने अयोध्या के भदरसा सामूहिक रेप कांड में ऐसा लपेटा है कि उनको समझ ही नहीं आ रहा है कि किस ओर जाएं। क्योंकि आगे कुआं है और पीछे खाई। यानी अखिलेश अगर पीड़िता का पक्ष लेते हैं तो मुस्लिम वोट बैंक की नाराजगी का खतरा है और यदि अपने नगर अध्यक्ष का पक्ष लेते हैं तो जग हंसाई तो होगी ही, साथ ही पीडीए समीकरण के पी यानी पिछड़े वर्ग की नाराजगी का भी खतरा है। भाजपा की इस रणनीतिक चाल में सपा प्रमुख उलझ कर रह गए हैं। अब उन्होंने मामले में तकनीकी पहलू यानी नार्को और डीएनए टेस्ट का शगूफा छोड़ा है। इस पर भी भाजपा हमलावर है और ये कह रही है कि अखिलेश ऐसे बयान देकर मामले को भटकाना और अपनी पार्टी के रेपिस्ट नेता को बचाना चाहते हैं।

अयोध्या गैंगरेप मामले को लेकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि रेप पीड़िता का डीएनए टेस्ट करवाना कैसे गलत हो सकता है जबकि कानून में इसकी व्यवस्था है। यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। पर इतने उम्र दराज व्यक्ति को इस तरह फंसाना ठीक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल अयोध्या की हार को भारतीय जनता पार्टी पचा नहीं पर रही है। इस वजह से इस मामले में पुलिस पर दबाव बनाकर बेकसूर लोगों को झूठे केस में फंसा रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस बीजेपी के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी मुसलमानों का अधिकार छीनना चाहती है। अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री जी को जब पता चला कि नजूल उर्दू का शब्द है तो उनको लगा कि नजूल की भूमि मुसलमानों की है। इसलिए ये विधेयक लाया गया। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि सरकार सपा को बदनाम करने की साजिश कर रही है। खास कर मुसलमानों को लेकर जो बीजेपी की सोच है वो अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है।

उधर भाजपा के राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद नेतृत्व में अयोध्या गयी तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी है। रिपोर्ट लगभग 4 पन्नों की है। सूत्रों के अनुसार उसमें धटना की वजह मोइद खां के बड़े सियासी रसूख और पुलिस के गैर जिम्मेदाराना रुख को धटना के लिए जिम्मेदार माना गया है। उधर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के बयान पर कहा है कि अखिलेश यादव तो अपने पिता से भी आगे निकल गए हैं। उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने रेप को लड़कों की गलती बताकर शर्मसार किया तो अखिलेश अयोध्या के सामूहिक रेप को षड्यंत्र बताकर गुमराह कर रहे, जो चिंता का विषय है। वे एक पीड़ित बेटी की आवाज को अनसुना कर रहे। साथ ही आरोपी मुसलमान है तो वे ‘मजहबी तुष्टिकरण’ की भी कोशिश कर रहे हैं।

उधर अन्य भाजपा नेताओं का भी रेप पीड़िता के परिवार से मिलने आना जारी है। पूर्व सांसद साध्वी निरंजन ज्योति भी सोमवार को अयोध्या आयीं। पूर्व सांसद ने पीड़िता के परिजनों से मुलाकात के बाद कहा कि इस मामले में सपा नेताओं का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह की घटनाओं में राजनीति करना ग़लत है। उधर लखनऊ के 1090 चौराहे पर भाजपा नेता श्वेता सिंह ने अयोध्या रेप केस से जुड़ा एक पोस्टर लगाया है। इसमें रेप कांड के आरोपी मुईद अहमद के बचाव में डीएनए टेस्ट की मांग को लेकर श्वेता ने समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए लिखा है कि

लड़के हैं गलती हो जाती है।
मोइद है गलती हो जाती है।

कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में प्रदेश की लगभग आधी सीटें हथियाने के बाद समाजवादी पार्टी के हौसले बुलंद थे। विधानसभा से लेकर लोकसभा-राज्यसभा में उनके प्रवक्ताओं की आवाज में तल्खी और बुलंदी देखने को मिल रही थी। किंतु पिछले हफ्ते अयोध्या के भदरसा क्षेत्र में अति पिछड़े वर्ग की नाबालिक लड़की से सपा नेता मोइद खां और उसके नौकरों द्वारा रेप की घटना को अंजाम देने के बाद उठे राजनीतिक बवंडर के बाद सपा के नेताओं की आवाज में काफी नरमी आ गई है। मुंह के बोल नहीं निकल रहे हैं। काफी दिनों तक सपा नेता चुप्पी साधे रहे। यहां तक कि सांसद फैजाबाद अवधेश प्रसाद पासी भी चुप रहे। पत्रकारों के पूछने पर यह कह कर सवाल टाल दिया कि मुझे अभी मामले की जानकारी नहीं है। ऐसे में समाजवादी पार्टी फिलहाल राजनीतिक रूप से बैकफुट पर दिख रही है।

समाजवादी पार्टी को लगता है कि कहीं यह मामला आने वाले विधानसभा उपचुनाव में उसे नुकसान न पहुंचा दे। ज्यादा परेशानी मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र को लेकर है, जहां उपचुनाव होना है। और जो फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद इस्तीफे से खाली हुई है। समाजवादी पार्टी को डर है कि अगर कहीं भाजपा ने मिल्कीपुर सीट हथिया ली तो अयोध्या में जीत का जश्न फीका पड़ जाएगा। इसीलिए सपा नेताओं ने डीएनए और नार्को टेस्ट का शगूफा छोड़ा है ताकि मामले को लटका कर डैमेज कंट्रोल किया जा सके। लेकिन भाजपा और उसके समर्थक दलों के नेता उनकी इस मांग को खारिज कर सवाल उठा रहे हैं कि अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में कितने मामलों में ऐसे टेस्ट करवाए हैं। भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद तो इमोशनल कार्ड खेलते हुए पीड़िता के परिवार से मिलने के बाद मीडिया के सामने परिवार की पीड़ा बताते समय रो पड़े। इसकी काफी चर्चा रही।

भाजपा को लगता है कि अगर उसने सामूहिक बलात्कार के इस मुद्दे को जीवित रखकर विधानसभा का उपचुनाव लड़ा और मिल्कीपुर सीट पर कब्जा कर लिया तो यह नहले पर दहला जैसा होगा। और तब पब्लिक और हाई कमान को यह समझाने में आसानी रहेगी कि हमने फैजाबाद संसदीय क्षेत्र से हार का बदला ले लिया। ऐसे में भाजपा को समाजवादी पार्टी का मनोबल गिराने में भी आसानी रहेगी। फिलहाल सियासी ड्रामा जारी है। और कम से कम विधानसभा उपचुनाव तक तो यह मामला ठंडा होने वाला नहीं है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक