जब कानपुर के चहेते बन गए उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद

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110वर्षीय मारवाड़ी विद्यालय में प्रिंसिपल थे उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद … मर्मभेदी कहानीकार, उपन्यास सम्राट जैसे टाइटिल और उपमाएं मुंशी प्रेमचंद की प्रकृतिप्रदत्त प्रतिभा के सामने बौने बैठते हैं। वे अपने जीवन-काल के कुछ अंश कानपुर में स्थित जिस प्राचीन श्री मारवाड़ी विद्यालय इंटर कालेज के छात्रों की शिक्षा में समर्पित कर गए वह विद्यालय उनकी स्मृतियों को आज भी जीवंत करने में सक्षम है। मारवाड़ी समाज से सिंचित -पल्लवित 110 वर्षीय विद्यालय की ऐतिहासिकता और इसके अभिन्न रहे महान संस्थापक एवं विभूतियों की स्मृतियों को आप से साझा करते हैं।

तबअंग्रेजी हुकूमत थी, ‘कंपू’ में अंग्रेजों की कपड़ा मिलें धकाधक उत्पादन करतीं थीं नगर में कपड़ा मंडी पनप रही थी। मारवाड़ी समाज के अग्रणीयों ने समाज की आवश्यकता को भांपा और विद्यालय- स्थापना की रूपरेखा बनी। कपड़ा व्यवसाई बंशीधर कसेरा, गिल्लू मल बजाज एवं रामकुमार नेवटिया ने जेके समूह के कमलापत सिंहानिया से जब यह विचार साझा किया तो उन्होंने नहर किनारे जमीन उपलब्ध करा दी। संस्थापकों ने श्री मारवाड़ी विद्यालय सोसायटी का गठन किया और इस तरह 1913 में श्री मारवाड़ी विद्यालय इंटर कालेज का बीजारोपण हुआ।

लेखक- इतिहासकार श्रद्धेय नारायण प्रसाद अरोड़ा जी को विद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसे उन्होंने पूरे दस वर्षों तक पूरे मनोयोग से निभाया। अरोड़ा जी के पश्चात प्रेमचंद जी अर्थात धनपत राय ने एक वर्ष और तीसरे प्रधानाचार्य के रूप में श्रद्धेय कृष्ण विनायक फड़के जी ने बीस वर्षों का रिकार्ड बनाया। यह सच्चाई है कि नगर के घने -व्यस्त बाजारों के बीचोंबीच तिमंजिला विद्यालय में अधिकांश किशोरों को शिक्षा दिलाने वाले अभिभावक आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं संघर्षरत होते हैं। लेकिन विद्यालय की प्रबंध कारिणी समिति के प्रबंधक सुनील कुमार मुरारका और अध्यक्ष सत्यनारायण सिंहानिया दोनों ही पदाधिकारियों ने सेवाभाव से नगर में सबसे बेहतरीन और मेनटेंड केमिस्ट्री लैब, फिज़िक्स लैब, लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल छात्रों को उपलब्ध कराई हुई हैं, क्लोज़ सर्किट टीवी, कंप्यूटर लैब से लेकर बैडमिंटन, कैरम, वाॅलीबाल की सुविधा तक उपलब्ध है।

विद्यालय की मातृ संस्था श्री मारवाड़ी विद्यालय सोसायटी के अध्यक्ष एवं गोल्डी मसाले के मैनेजिंग डायरेक्टर सोम गोयनका अपनी व्यावसायिक व्यस्तता से समय निकालकर न केवल विद्यालय को वित्तीय योगदान करत रहते हैं बल्कि बेहतरी के लिए प्रबंधन से विचार-विमर्श करते रहते हैं। इसके अलावा वर्ष में एक-दो बार क्रिकेट जैसे आउटडोर गेम्स का आयोजन भी कराए जाते हैं। हाल ही में इक्कीसवें प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी संभालने वाले अखिलेश कुमार मिश्रा ने विशेष उल्लेख किया कि विद्यालय में आठ किलो वाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित है। विद्यालय की सौ प्रतिशत जरूरतें अक्षय ऊर्जा से ही पूरी होती हैं। नैतिक एवं सनातन संस्कृति से लेकर बच्चों को ट्रैफिक शिक्षा, स्वास्थ्य जागरूकता, फायर ब्रिगेड और ऊर्जा संरक्षण की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। अभिभावकों से जानकारी मिलती रहती है कि इसके सार्थक परिणाम भी बच्चों में दिखाई पड़ते हैं। बड़ों के चरणों को छूने जैसे संस्कार रोपने में सफलता मिली है। वैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता सहित दस-बारह प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को प्रमाणपत्र के साथ पुरस्कृत भी किया जाता है।

मुरारका ने बताया कि पहली बार विद्यालय के पू्र्व छात्रों का अलंकरण समारोह का आयोजन 31जुलाई को करने का निर्णय किया गया है। सिंहानिया ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत चालीस से पचास पूर्व छात्रों के इस आयोजन में सम्मिलित होने की उम्मीद की जा रही है। विद्यालय में प्रति वर्ष मेधावियों को पुरस्कृत करने की परंपरा का पालन किया जाता है। प्रबंध कारिणी समिति उत्साहवर्धन के उद्देश्य से मेधावी छात्रों को कभी कलाई घड़ियां, तो कभी अन्य कोई छात्रोपयोगी वस्तु एवं आकर्षक स्मृति चिन्ह विद्यालय के प्रमाण पत्र के साथ पुरस्कार स्वरूप प्रदान किए जाते हैं।

प्रणतेश बाजपेयी