हाई वे निर्माण सुस्त, लक्ष्य कोसों दूर, टोलटैक्स की रिकॉर्ड वसूली… चालू वित्तीय वर्ष में राजमार्गों के निर्माण का काम बहुत शिथिल पड़ गया है। कई राज्यों में बारिश ने भी सड़क-निर्माण में जबर्दस्त रुकावटें खड़ी कीं। इस साल अप्रैल, मई और जून में निर्माण के आंकड़ों को देखते हुए 2023-24 के निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर पाना कठिन नहीं बल्कि नामुमकिन होगा। इन तीन महीनों में वर्ष के निर्धारित लक्ष्य का सिर्फ सोलह प्रतिशत निर्माण किया जा सका। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावी वर्ष की गहमागहमी शुरू हो चुकी है, मंत्रियों, सांसदों से लेकर पूरी सरकारी मशीनरी का फोकस और व्यस्तता लोकसभा चुनाव पर ही होने लगी है। अब तक देखने में तो यही आया है कि सभी आमचुनावों में हर मंत्रालय का कार्य अच्छा खासा प्रभावित होता रहा है। योजनाओं के लक्ष्य कागजों के होकर रह जाते हैं।
अपने देश का सरकारी तंत्र अव्यावहारिक लक्ष्य निर्धारित करने का आदी है। महत्वाकांक्षी लक्ष्य मीडिया की सुर्खी बटोरने में कामयाब तो रहते ही हैं, बाद में लक्ष्य पूरा हुआ या नहीं इसे खास तरजीह नहीं दी जाती है। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में पहले 12 हजार 500 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 13 हजार 800 किलोमीटर कर दिया गया। इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल में 523 किलोमीटर, मई में 1465 किलोमीटर और जून में बमुश्किल 263 किलोमीटर मिलाकर बीते तीन महीनों में कुल 2 हजार 251 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण किया जा सका, प्रतिदिन औसतन 25 किलोमीटर निर्माण किया गया, निर्माण पर प्रति किलोमीटर औसत लागत 44 करोड़ रुपए से अधिक आई और कुल 99 हजार 273 करोड़ रुपए खर्च हुए। राजमार्गों के निर्माण लक्ष्य और उनकी प्राप्ति की एक बानगी पेश करते हैं।
चालू वित्तीय वर्ष में 13 हजार 800 किलोमीटर राजमार्ग निर्माण करने का लक्ष्य है, पिछले तीन महीनों में निर्मित 2251 किलोमीटर निकाल दें तो चालू जुलाई से मार्च 2024 तक के नौ महीनों में 11 हजार 549 किलोमीटर निर्माण के लिए प्रति माह 1283 किलोमीटर अर्थात प्रति दिन औसतन 43 किलोमीटर की फर्राटा दर कैसे हासिल हो पाएगी, जबकि मौसम प्रतिकूल चल रहा है ऊपर से लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजने लगी है।
पिछले दो सालों में निर्माण लक्ष्य प्राप्त नहीं किए जा सके। 2021-22 में कुल 10 हजार 457 किलोमीटर मार्ग निर्माण किया गया जबकि लक्ष्य था 12 हजार किलोमीटर। 2022-23 में 12 हजार 500 किलोमीटर के लक्ष्य के मुकाबले निर्माण हुआ 10 हजार 993 किलोमीटर। राजमार्गों के निर्माण के लिहाज से अब तक का सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन वर्ष 2020-21 में रहा, उस साल 13 हजार 327 किलोमीटर निर्माण का रिकॉर्ड है।
हालांकि राजमार्गों के निर्माण में धन संबंधी समस्या नहीं है। कई सालों से टोल टैक्स की वसूली में लगातार बढ़ोतरी ही हुई है – 2020-21 में 27 हजार 923 करोड़, 2021-22 में 33 हजार 907 करोड़ और 2022-23 में 48 हजार 28 करोड़ रुपए।
प्रणतेश बाजपेयी