जानिए वृद्धावस्था में कैसे रहें जवां

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वृद्धावस्था में अच्छा स्वास्थ्य एवं आनंदपूर्ण जीवन के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव और शास्त्रोक्त जानकारी श्रीनाथ आयुर्वेदिक चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर की मुख्य चिकित्सक डॉ रजनी पोरवाल ने दी है।

सक्रियता ना भूलें : वृद्धावस्था में शरीर के अंग प्रत्यंग असक्त और कमजोर होने लगते हैं वही मन मस्तिष्क की शक्ति, साहस व आत्मविश्वास भी कम होने लगता है। फलस्वरूप वृद्ध व्यक्ति का उत्साह खत्म हो जाता है। छोटी छोटी बातें उसके लिए चिंता और फिक्र का कारण बन जाती है। परिवार के सदस्यों नजदीकी लोगों, मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य करीबी लोगों को परिवार के वृद्ध का पूरा ख्याल रखना चाहिए उसकी मनो भावना को समझ कर वृद्ध व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक सक्रियता के लिए सदैव सार्थक प्रयास करने चाहिए और वृद्ध को भी अपने को वृद्ध ना मानकर जीवन आनंद के लिए जीवन दूसरों की सेवा के लिए जीवन प्रभु के चरणों में साधना के लिए बिताने का संकल्प लेना चाहिए। यही सतत आनंद का मार्ग है खुशियों का मार्ग है।

सामाजिक सरोकार बढ़ाएं : बहुत कम लोगों से बात करना, संपर्क कम रखना, ज्यादातर समय अपने कमरे में लेटे रहना यह टीवी देखना बार-बार चाय पीना और मौका लगते ही सो जाना कुछ अति सक्रिय वृद्धों की रिटायरमेंट के बाद दिनचर्या बन जाती है जो सेहत के लिए खराब है। इसलिए हमेशा याद रखें कि वृद्धावस्था में लोगों से खूब बात करें हंसे बोले विभिन्न प्रकार के सामाजिक विषयों पर चर्चा करें घर परिवार के छोटे बच्चों के साथ घर पर समय जरूर बिताएं। अपने मित्रों को रिश्तेदारों को और अन्य नजदीकी लोगों को रिटायरमेंट के बाद भूले नहीं साथ ही बेवजह बहस, बहम और अनावश्यक डर से बचें। घर परिवार के सदस्यों के प्रति पूरा विश्वास रखें चोरी-छिपे कोई कार्य ना करें घर परिवार के सदस्यों से छिपाकर सामाजिक संबंधों से जुड़ना आपकी अच्छी सेहत के लिए नुकसानदायक है।

संयम ना खोए समाधान ढूंढे : परिवार के किसी सदस्य की असामाजिक कार्यों मैं लिप्तता, नशा करने की बुरी आदत या दिनचर्या में गड़बड़ी रात भर जागना और दिन भर सोना, समय पर घर का बना हुआ ताजा भोजन ना करना, बजार के चटपटे मसालेदार फास्ट फूड का ज्यादा सेवन करना, घर परिवार के सदस्यों की बात ना मानना और लड़ाई झगड़ा चिल्लाना, पढ़ाई ना करके टीवी देखना मोबाइल चलाना दोस्तों से घंटों अनावश्यक बात करके जीवन के बहुमूल्य समय को नष्ट करना आदि ऐसे घर परिवार व्यवसाय आदि से जुड़े हुए मुद्दे आपके मन मस्तिष्क को झकझोर सकते है। आप इससे विचलित ना हो। धैर्य, शांति,बुद्धि व विवेक से प्रेम पूर्वक समस्या का समाधान ढूंढना होगा। इस कष्ट दाई दुखदाई समस्या के निवारण के लिए परिजनों के अतिरिक्त रिश्तेदारों और मित्रों की मदद लेकर समस्या का समाधान करके परिवार की खुशियां वापस ला सकते हैं। ऐसे मामलों में आपका उदासीन रहना भावी पीढ़ी के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

अनावश्यक हस्तक्षेप से बचें : वृद्धावस्था में आप घर परिवार में अपना मार्गदर्शन सलाह जरूर दें, ताकि परिवार आपके ज्ञान और अनुभव से आगे बढ़ता रहे। किंतु घर परिवार में छोटी-छोटी बातों पर अनावश्यक हस्तक्षेप उचित नहीं है। अपने आप को धैर्यवान संयमित रखना ही आज के युग की आवश्यकता है। घर परिवार समाज के दैनिक कार्य जैसे बहू को मार्केट जाना, किसी विशेष कारण से कभी समय पर भोजन नाश्ता या दूध चाय का ना मिल पाना, बच्चों की उछल कूद शोर-शराबा या आपके स्वभाव के विपरीत या आपको नापसंद परिवार के अन्य सदस्यों की सामाजिक गतिविधियों पर भी आपका संयम आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रख सकता है। यदि आप स्वयं को बदल लेंगे या अपने आप में थोड़ा परिवर्तन कर लेंगे तो जीवन की एक एक सांस को आनंद पूर्ण ढंग से जीने का मार्ग स्वता खुल जाएगा ।

इसे भी गांठ बांध ले : वृद्धावस्था में सनक नहीं पालना चाहिए। बहुत से लोगों को किसी एक विषय की सनक सवार हो जाती है जैसे घंटो योगाभ्यास करना या नाते रिश्तेदारी में बहुत ज्यादा जाना या तीर्थ यात्रा मंदिर मस्जिद में जाने के लिए सदैव तत्पर रहना या नाते रिश्तेदार मित्र वअन्य नजदीकी लोगों की गैर जरूरी कमियों को निकालना, दूसरों से चुगली करना अथवा अत्यधिक क्रोध करना, लड़ाई झगड़ा करना फालतू की बहस करना आदि ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु है जो वृद्धावस्था में व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। इसलिए वृद्ध को आत्म अवलोकन अवश्य करना चाहिए और चिंतन मनन करने के उपरांत यथा आवश्यक सुधार का मार्ग अपनाना चाहिए।