लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों में बैंकों का फंसा 19 ट्रिलियन

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एमएसएमई में बैंकों का फंसा 19 ट्रिलियन लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) बैंकों के लिए चिंता का कारण बन रहे हैं। यूं तो बैंकों के द्वारा दिए गए समग्र लोन की सिर्फ 14 फीसद रकम यानी 19 ट्रिलियन रुपया एम एस एम ई सेक्टर पर बकाया है लेकिन इसकी वापसी मुश्किल भरी है, बैंकों को पसीना बहाना ही पड़ेगा फिर भी पूरी सफलता मिलेगी ही यह भी दावा नहीं किया जा सकता।

इस सेक्टर पर बैंकों का 19 ट्रिलियन रुपया बकाया है। मौजूदा हालात एमस एस एम ई सेक्टर के अनुकूल नहीं हैं। कारोबार चलाने में इनके उत्पादों की भरपूर मांग का न निकलना एक बड़ा कारण है। दूसरी वजह वर्किंग कैपिटल की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों से क़र्ज़ लेने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। बैंकों से पहले लिए गए कर्ज और उस पर ब्याज की अदायगी से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं और नया लोन लेना और बैंकों द्वारा इन्हें दे पाना दोनों ही कठिन है।

बैंकिंग क्षेत्र के जिम्मेदार सूत्रों का कहना है कि लोन की वसूली में एक सीमा तक ही सख्ती संभव है, उद्यमियों की समस्याओं को देखते हुए उन पर ज्यादा कसाव करने से कारोबारी स्थिति और बिगड़त सकती है। उनके संपर्क में लगातार बने हुए हैं। बैंकों का शीर्ष प्रबंधन ऋणों और उस पर ब्याज की अधिकतम वसूली जल्दी से जल्दी कराने को अपने नीचे के अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं। उन्हे एनपीए का खतरा हर समय सताए रहता है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि 31 दिसंबर 2022 तक बैंकों की 19 ट्रिलियन रुपये की ऋणराशि एम एस एम ई सेक्टर पर बकाया थी, यह रकम बैंकों द्वारा वितरित समग्र ऋणराशि का सिर्फ़ 14 फीसद है। आरबीआई के ही आंकड़े बताते हैं कि एम एस एम ई सेक्टर के उद्यमों का ग्रास एनपीए (बैंकों का) बल्कि स्पष्ट रूप से कहें तो 31 दिसंबर 2022 तक बैड लोन का अनुपात 7.7 फ़ीसद के उच्च स्तर पर पहुंच चुका था, ये सिगनल खतरे के हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट ऐसी ही स्थिति का खुलासा करती है।

राष्ट्रीय स्तर के उद्योगों के संगठन – एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया की अध्ययन रिपोर्ट भी कमोबेश यही तस्वीर पेश करती है। इन दोनों संस्थाओं की रिपोर्ट के अनुसार एम एस एम ई सेक्टर का ग्रास एनपीए बढ़कर 2024 मार्च तक 10-11 फीसद के स्तर पहुंच सकता ‌है। इन तमाम समस्याओं, उलझनों का सामना करते हुए घरेलू बैंकिंग क्षेत्र का कुल मिलाकर प्रदर्शन संतोषजनक कहा जा सकता है।

देश में सक्रिय सार्वजनिक बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक, स्माल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंको सहित सभी शेड्यूल्ड काॅमर्शियल बैंकों की ब्याज से होने वाली समग्र आय 2021-22 में तकरीबन सत्ताईस हजार करोड़ रुपए की बढ़त हुई, इस मद से 2020-21में 12.41 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 2021-22 में 12.68 लाख करोड़ रुपए दर्ज़ की गई। कुल मिलाकर कमाई कै लिहाज से कर्मचारियों के वेतन भत्ते, जमाओं पर ब्याज भुगतान और अन्य खर्चों को निकालने के बाद वित्तीय वर्ष 2022-22 ठीक रहा क्योंकि इनके शुद्ध लाभ में लगभग 61 हजार करोड़ रुपए का इज़ाफा हुआ, 2020-22 में 1.21लाख करोड़ रुपए से बढ़ कर 2021-22में 1.82 लाख करोड़ रुपए रहा।

प्रणतेश बाजपेयी